जैविक हथियार का प्रयोग कैसे किया जाता है? क्या है जैविक हथियार?
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क्या है जैविक हथियार, इस खतरनाक हथियार का प्रयोग कैसे किया जाता है? देखे पूरी जानकारी

जैविक हथियार यानी बायोलॉजिकल वेपन, एक ऐसा खतरनाक और महाविनाशक हथियार जो बिना किसी धमाके के एक साथ आधी दुनिया को तबाह कर सकता है। तो आइये देखते हैं। जैविक हथियार क्या है? जैविक हथियार का प्रयोग कैसे किया जाता है? बॉयोलॉजिकल वेपन क्या है?

जैविक हथियार क्या है? कैसे दिखता है बायोलॉजिकल वेपन?

जैविक हथियार एक जैविक एजेंट जिसे बायो-एजेंट, जैविक युद्ध एजेंट, जैविक हथियार, या जैव हथियार भी कहा जाता है। जैविक हथियार एक जीवाणु, वायरस, प्रोटोजोआ, परजीवी, कवक, रसायन या विष है जिसे उद्देश्यपूर्ण रूप से जैव आतंकवाद में एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। सामान्य भाषा मे कहा जाए तो जब बैक्टीरिया, वायरस और फफूंद जैसे संक्रमणकारी तत्वों का इस्तेमाल जानबूझकर इंसानों को संक्रमित करने के लिए किया जाता है तो इसे जैविक हथियार कहते हैं।

जैविक युद्ध क्या है?

जैविक युद्ध अथवा कीटाणु युद्ध किसी युद्ध में किसी व्यक्ति, पशु अथवा पौधे को मारने के उद्देश्य से उसके उसमें जीवाणु, विषाणु अथवा फफूंद जैसे जैविक आविष अथवा संक्रमणकारी तत्वों का उपयोग करने को जैविक युद्ध कहा जाता हैं।

जैविक हथियार का प्रयोग कैसे किया जाता है? क्या है जैविक हथियार?

जैविक हथियार के प्रयोग से क्या होगा?

जैविक हथियार विभिन्न तरीकों से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की क्षमता रखते हैं, अपेक्षाकृत हल्के एलर्जी प्रतिक्रियाओं से लेकर गंभीर चिकित्सा स्थितियों तक, जिसमें गंभीर चोट, साथ ही साथ गंभीर भी शामिल हैं। या स्थायी विकलांगता या मृत्यु भी हो जाता है। इनका प्रयोग करके ही इंसान को नुकसान पहुंचाया जाता है।

हालांकि इनमें से सबसे ज्यादा प्रयोग वायरस का होता है। जैविक हथियार कम समय में बहुत बड़े क्षेत्र में तबाही मचा सकते हैं। ये लोगों में ऐसी बीमारियां पैदा कर देते हैं कि वो या तो मरने लगते हैं, या अपंग हो जाते हैं या फिर मनोरोगी हो जाते हैं।

कैसे शुरू हुआ जैविक हथियार का प्रयोग?

कई जीव प्राकृतिक वातावरण में सर्वव्यापी हैं जहां वे पानी, मिट्टी, पौधों या जानवरों में पाए जाते हैं। बायो-एजेंट “हथियारीकरण” के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं चूंकि कई बायो-एजेंट तेजी से प्रजनन करते हैं और तेजी से फैलते है इसी कारण विभिन्न प्रकार की संसोधन करके जैविक हथियार बनाने की शुरुआत हुआ। ताकि कम समय मे गुप्त तरीके से नुकसान पहुचाया जा सके। वैसे तो जैविक हथियारों के उपयोग का इतिहास 1346 में काफ़ा की घेराबंदी से छह शताब्दियों से अधिक पुराना है। लेकिन कुछ उदाहरण इस प्रकार है…

  • जैविक हथियारों का पहली बार इस्तेमाल 1347 में मंगोलियाई सेना ने किया था। मंगोलियाई सेना ने प्लेग से संक्रमित शव ब्लैक – सी के किनारों पर फेंके थे जिससे संक्रमण फैलने के कारण ब्लैक डेथ महामारी फैली और 2.5 करोड़ लोगों की मौत हुई।
  • दूसरी बार 1710 में स्वीडन सेना से लड़ रही रूसी फौज ने एस्टोनिया के तालिन में घेरकर उन पर प्लेग से संक्रमित शव फेंके थे।
  • 1763 में ब्रिटिश सेना ने पिट्सबर्ग में डेलावेयर इंडियन को घेरकर चेचक वायरस से संक्रमित कंबल फेंके थे।
  • पहले विश्वयुद्ध में जर्मनी ने एन्थ्रेक्स नामक जैविक हथियार का इस्तेमाल किया .इसके लिए जर्मनी ने गुप्त योजना बनाकर दुश्मनों के घोड़ों और मवेशियों को संक्रमित किया।

अबतक कौन कौन देशों ने जैविक हथियार बनाये हैं?

दुनिया भर में विभिन्न जैव सुरक्षा स्तरों के तहत और बायोकंटेनमेंट सुविधाओं के तहत रक्षात्मक और चिकित्सा अनुसंधान उद्देश्यों दोनों के लिए जैव-एजेंटों का व्यापक रूप से अध्ययन किया जाता है। अब तक 1,200 से अधिक विभिन्न प्रकार के संभावित हथियार बनाने योग्य जैव एजेंटों का वर्णन और अध्ययन किया जा चुका है। अब तक प्राप्त जानकारी के हिसाब से जर्मनी, अमेरिका, रूस और चीन समेत 17 देश जैविक हथियार बना चुके हैं।

जैविक हथियार संबंधित कानून

परम्परागत अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी विधियों एवं कई अंतरार्ष्ट्रीय सन्धियों द्वारा जैविक हथियारों का प्रयोग प्रतिबन्धित है। सशस्त्र संघर्ष के दौरान जैविक हथियारों का इस्तेमाल युद्ध – अपराध की श्रेणी में आता है। प्रथागत अन्तरराष्ट्रीय मानवीय कानून और कई अन्तरराष्ट्रीय सन्धियों के तहत आक्रामक जैविक युद्ध निषिद्ध है। विशेष रूप से, 1972 जैविक हथियार सम्मेलन जैविक हथियारों के विकास, उत्पादन, अधिग्रहण, हस्तान्तरण, भण्डारण और उपयोग पर प्रतिबन्ध लगाता है। इसलिए, सशस्त्र संघर्ष में जैविक एजेण्टों का उपयोग एक युद्ध अपराध है।

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Amit Yadav

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