रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाये जाते है | Rakshabandhan
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रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है | Festival of Rakshabandhan

वैसे तो रक्षाबंधन पूरे भारत मे हर वर्ष बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है कि, रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? रक्षाबंधन कब से मनाया जाता है? कैसे इसकी शुरुआत हुई? अगर आप भी इन सवालों के जवाब जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन के रिस्तो का त्यौहार है, रक्षा का मतलब सुरक्षा, और बंधन का मतलब बाध्य होता है। अर्थात अपनी रक्षा के लिए बाध्य करना या लेना।

रक्षा बंधन कब मनाया जाता है?

इस आर्टिकल की प्रमुख बातें

भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसर रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण माहिना के पूर्णिमा को मनाया जाता है। ये त्यौहार भाई-बहन के रिस्तो को स्नेह की डोर से बंधन है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर रक्षा बंधन बांधते है, जिसे राखी कहते हैं। राखी का वास्तविक अर्थ भी यही होता है, की “किसी को अपनी रक्षा के लिए बाध्य करना या लेना।

रक्षा बंधन का महत्व

हमारा देश त्यौहारो का देश है जहाँ अनेकानेक त्यौहार मनाए जाते हैं जो अपने आप में एक विशेष महत्व रखता है, भारत देश में मुख्य त्यौहार जैसा दीपावली, होली, राम नवमी, तीज, गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, दशहरा इत्यादि है। लेकिन रक्षा बंधन विशेष कर भाई बहन का ही त्यौहार होता है। यह त्यौहार भाई बहन के प्रेम का प्रतीक का त्यौहार है, इसके साथ ही यह भारत के गुरु शिष्य के परंपरा का प्रतीक त्यौहार भी है। तो वंही दान के महत्व प्रतिष्ठित करने वाला त्यौहार भी है।

रक्षाबंधन का त्यौहार

रक्षाबंधन का त्यौहार को बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है इस दिन सुबह-सुबह भगवान जी की पूजा कर बहने अपने भाई को रक्षाबंधन बांधने के लिए सबसे पहले थाल सजती है, जिसमे मुख्य रूप से राखी, कुमकुम, फूल, जल इत्यादि रखकर भाई के मस्तक पर तिलक लगाती है, फिर भाई की आरती उतारती है और रक्षाबंधन बंधती है।

रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता हैं

फिर मिठाई खिलाती है, और भाई की लंबी आयु की कामना कर भगवान से दुआ मांगती है। भाई भी अपने बहन को कुछ उपहार स्वरूप देते हैं और साथ ही हमेशा बहन की रक्षा करने का वचन भी देते हैं। इस प्रकार प्रकर से यह रक्षाबंधन का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।

रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाय जाता है श्रावण माह में ऋषिगढ़ आश्रम में रहकर ध्यान या यज्ञ करते थे, श्रावण पूर्णिमा को मासिक यज्ञ की पूर्णाहुति होती थी। यज्ञ की समाप्ति पर यजमानो या शिशु को रक्षा सूत्र बंधने की प्रथा थी, इसका नाम रक्षा बंधन प्रचलित हुआ। आगे चलकर यही राखी के नाम से भी प्रचलित हुआ और इसी परंपरा का निर्वाह आज भी ब्राम्हण करते हैं। पूजा संपन्न के बाद रक्षा सूत्र बंधते हैं, कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते समय मंत्र का प्रयोग भी करते हैं।

रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई?

इतिहास के पन्नो को देखे तो इस त्यौहार की शुरुआत लगबाग 6-7 हजार साल पहले बताई गई है, इसके साक्षी भी इतिहास के पन्नो में अंकित है। इतिहास के पन्नो में झांका जाए तो रानी कदनावती और मुगल सम्राट हुमायूं के बीच रक्षाबंधन का साक्ष्य है। जब राजपूतों और मुस्लिमों के बीच युद्ध चल रहा था तो चित्तौड़ के राजा के विधवा रानी कदनावती, गुजरात के सुल्तान बहादुर से अपनी प्रजा की सुरक्षा के लिए हुमायु को राखी भेजा था, जिसे हुमायु ने भी स्वीकार कर लिया और प्रजा की सुरक्षा कर किसी प्रकार का नुकसान नही होने दिया।

रक्षाबंधन का त्यौहार धरती में ही नही बल्कि देवताओं में भी प्रचलित है। एक मान्यता के अनुसार शिशुपाल का वध करते समय श्रावण पूर्णिमा के दिन भगवान श्री कृष्ण की तर्जनी उंगली कट गई थी, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर भगवान की उंगली पर पट्टी बांधी थी। तब भगवान श्री कृष्ण ने भी उन्हें हर समय रक्षा करने का वचन दिया और समय समय पर उनकी रक्षा भी की।

एक और मान्यता ले अनुसार एक बार भगवान विष्णु राजा बली को वरदान दिया था तो राजा बली ने भगवान से मंगा की वे उनके साथ पाताल लोक चले। तब भगवान विष्णु वचन के भाद्य होने के लिए राजा बली के पीछे चल दिए थे। उधर सभी देवता गढ़ चिंता हो रहे हैं कि भगवान को वापस कैसे लाया जाए, तब माता लक्ष्मी ने गरीब स्त्री का रूप लेकर पाताल लोक चली गई और राजा बली के पास जाकर रोते हुए कहा कि उनका कोई नही है।

तब राजा ने माता लक्ष्मी को राखी बांधने के लिए कहा। तब माता लक्ष्मी ने राजा को राखी बांधा और उपहार स्वरूप में भगवान विष्णु को वापस ले जाने को कहा, तो राजा ने माता से आग्रह किया की वे अपने असली स्वरूप में आए या उन्हे आशीर्वाद दे माता लक्ष्मी भी प्रकट हुई और आशीर्वाद दे दिया। ऐसे ही और भी अनेक प्रचलिट कहानियां हैं रक्षा बंध की।

रक्षाबंधन से जुड़े कुछ और महत्वपूर्ण सवालों के जवाब

राखी क्यों मनाई जाती है?

इस दिन, एक बहन अपने भाई की कलाई पर अपने बिना शर्त विश्वास और उसकी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना के प्रतीक के रूप में एक धागा बांधती है। बदले में, भाई उसे हमेशा खुश रखने और सभी मुसीबतों से बचाने का वादा करता है। यह त्योहार भाइयों और बहनों के बीच के बंधन को दर्शाता है।

रक्षा बंधन का क्या अर्थ है?

रक्षाबंधन का त्यौहार, जिसे राखी भी कहा जाता है, हिंदू त्योहार है जो भाईचारे और प्रेम का जश्न मनाता है। यह चंद्र कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रक्षा शब्द का अर्थ है सुरक्षा, जबकि बंधन क्रिया है बाँधना।

राखी कब उतारनी चाहिए?

उदाहरण के लिए, महाराष्ट्रीयन संस्कृति के अनुसार, रक्षाबंधन के दिन से 15 वें दिन राखी को हटाया जा सकता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि 15वें दिन, पोला नामक एक त्योहार मनाया जाता है, जब किसानों को भगवान मारबोट देव और बैल जैसे पालतू जानवरों की पूजा करने के लिए कहा जाता है।

क्या राखी सिर्फ भाइयों के लिए है?

नहीं, राखी केवल भाइयों या पुरुष चचेरे भाइयों को ही नहीं बांधी जाती है। आज, पड़ोस के लोगों, करीबी पारिवारिक मित्रों और बहनों को राखी बांधी जाती है। यह लोगों के बीच प्यार पैदा करने और उनके लिए शुभकामनाएं देने का एक तरीका है।

राखी कैसे बांधते हैं?

अपने भाई के माथे पर कुमकुम का तिलक लगाएं। इसके बाद उनकी दाहिनी कलाई पर राखी बांधें। उसके सामने आरती के स्थान को वृत्ताकार रूप में लहराएं। अक्षत को उसके सिर पर रखो।

रक्षा बंधन पर किस भगवान की पूजा की जाती है?

रक्षा बंधन एक अनुष्ठान है जिसका पालन भगवान यम (मृत्यु के देवता) और उनकी बहन यमुना द्वारा किया जाता है। यमुना ने यम को राखी बांधी और अमरत्व प्रदान किया। यम इस अवसर की शांति से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने घोषणा की कि जो कोई भी अपनी बहन से राखी बांधेगा और उसकी रक्षा का वादा करेगा, वह अमर हो जाएगा।

भगवान गणेश को राखी किसने बांधी?

एक लोकप्रिय कथा कहती है कि जब भगवान गणेश की बहन मनसा ने उन्हें राखी बांधने के लिए उनसे मुलाकात की थी। यह देखकर उसके बेटे शुभा और लाभ बहन पैदा करने की जिद करने लगते हैं। गणेश ने तब देवी संतोषी मां को दिव्य ज्वाला से बनाया जो उनकी पत्नी रिद्धि और सिद्धि से निकली थीं।

हम भाभी को राखी क्यों बांधते हैं?

मारवाड़ी और राजस्थानी महिलाओं द्वारा भाभी की कलाई पर लुंबा राखी बांधने की परंपरा है। इस प्रथा के पीछे किवदंती है कि भाई की पत्नी ही उसकी भलाई के लिए जिम्मेदार होती है। तो बहन भी भाभी को राखी भेजती है, उसकी सलामती की कामना करती है।

क्या हम जीजाजी को राखी बांध सकते हैं?

इसका मतलब है कि इसे भाई-बहन के अलावा अन्य संबंधों के बीच भी मनाया जा सकता है। बहनें भाइयों को राखी बांधने के अलावा भाभी और यहां तक कि भतीजों और भतीजियों को भी राखी बांधती हैं। तो ठीक वैसे ही राखी को बहनोई के साथ भी मनाया जा सकता है चाहे वह छोटा हो या बड़ा।

क्या बाएं हाथ में राखी बांधी जा सकती है?

इन दिशानिर्देशों में कहा गया है कि राखी केवल दाहिनी कलाई पर ही बांधनी चाहिए। माना जाता है कि शरीर का दाहिना हिस्सा हमें सही रास्ता दिखाता है। इसमें मन और शरीर को नियंत्रित करने की क्षमता अधिक होती है; जबकि बाएं हाथ का प्रयोग हर कर्मकांड के लिए अशुभ माना जाता है।

क्या बहनें एक-दूसरे को बांधती हैं राखी?

राखी बांधने के अलावा आप अपनी बहन, चाचा, चाची या यहां तक कि अपने पिता को भी राखी बांध सकते हैं। चाचा, चाची और चचेरे भाइयों के साथ एक परिवार के जमावड़े ने इस त्योहार को बहुत खास बना दिया।

राखी बांधते समय क्या कहते हैं?

तेना तवामभिबधननामि रक्षे मा काला मा कैला !! इस मंत्र का अर्थ है कि “जो रक्षा धागा परम दयालु राजा बलि को बांधा गया था, वही पवित्र धागा मैं आपकी कलाई पर बांधता हूं, जो आपको सभी विपत्तियों से हमेशा के लिए बचाएगा।

राखी पर हमें क्या करना चाहिए?

रक्षा बंधन के दिन, भाई-बहन नए कपड़े पहनते हैं और अपने माता-पिता, बड़ों और दादा-दादी की उपस्थिति में त्योहार मनाते हैं। अनुष्ठान में एक दीया या मिट्टी का दीपक जलाना शामिल है जो अग्नि देवता का प्रतिनिधित्व करता है और बहनों द्वारा आरती करता है।

क्या हम पत्नी को राखी बांध सकते हैं?

तो अगर आप सोच रहे हैं कि ‘क्या पत्नी अपने पति को राखी बांध सकती है?’ तो जवाब है- हां, पत्नी अपने पति को राखी बांध सकती है। और सिर्फ पति-पत्नी ही क्यों? राखी को एक बेटी अपने पिता को और एक जोड़े द्वारा एक दूसरे को भी बांधा जा सकता है। यह सिर्फ इसलिए है क्योंकि राखी सुरक्षा का वादा व्यक्त करने वाला धागा है।

राखी उत्सव की शुरुआत कैसे हुई?

ऐसा कहा जाता है कि चित्तौड़ की विधवा रानी रानी कर्णावती द्वारा मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजने के बाद त्योहार को लोकप्रियता मिली, जब उन्हें उनकी मदद की जरूरत थी। यह भी माना जाता है कि द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को राखी बांधी थी।

रक्षा बंधन पर क्या खाया जाता है?

विशेष रूप से एक त्यौहार के दिन, आप अपने मेहमानों को मालपुआ रबड़ी और हलवा जैसी घर पर बनी पारंपरिक मिठाई परोसे बिना उन्हें अलविदा नहीं कह सकते! सूजी का हलवा सबसे स्वादिष्ट और आसान मिठाई है जिसे कोई भी बना सकता है। बस घी में सूजी और किशमिश, काजू और बादाम जैसे सूखे मेवे भूनें।

राखी का इतिहास क्या है?

रक्षा बंधन की कहानी हिंदू महाकाव्य महाभारत से जुड़ी है। महाभारत में भगवान कृष्ण ने एक बार उनकी उंगली काट दी थी जिससे खून बहने लगा था। यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी से कपड़े का एक टुकड़ा फाड़ दिया और खून बहने से रोकने के लिए अपनी उंगली पर बांध दिया। कपड़े का टुकड़ा तब एक पवित्र धागा बन गया।

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Amit Yadav

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