अरब सागर से जुड़े कुछ अति महत्वपूर्ण जानकारियां

अरब सागर से जुड़े कुछ अति महत्वपूर्ण जानकारियां

अरब सागर जिसे सिंधु सागर भी कहते है, अरब सागर भारतीय उपमहाद्वीप और अरब क्षेत्र के बीच स्थित हिंद महासागर का हिस्सा है। यह एक त्रिभुजाकार सागर है जो दक्षिण से उत्तर की ओर क्रमशः संकरा होता जाता है और फ़ारस की खाड़ी से जाकर मिलता है। भारत, ईरान और पाकिस्तान के अलावा ओमान सल्तनत, यमन और सोमालिया सागर के आसपास स्थित राजनीतिक इकाइयाँ हैं।

अरब सागर से जुड़े महत्वपूर्ण जानकारियां

अरब सागर का प्राचीन नाम क्या है?

अरब सागर का प्राचीन भारतीय नाम सिन्धु सागर है। इसमें गिरने वाली सबसे प्रमुख नदी सिन्धु के नाम पर माना जाता है। उर्दू और फ़ारसी में इसे बह्र- अल्- अरब कहते हैं। यूनानी भूगोलवेत्ता और यात्री इसे इरीथ्रियन सागर के नाम से भी पुकारते थे। वर्तमान में अभी अरब सागर ही प्रचलित है।

कैसे बना अरब सागर ?

अरब सागर विगत 1,500 लाख वर्षों (मेसोज़ोइक और सिनोज़ोइक युगों) में ही निर्मित हुआ है। जब भारतीय उपमहाद्वीप उत्तर की ओर बढ़ा और एशिया से टकराया था। सोकोत्रा से दक्षिण की ओर जलमग्न कार्ल्सबर्ग कटक है, जो कि हिन्द महासागर में भूकम्पीय गतिविधि के क्षेत्र से मिलता है। जो अरब सागर को दो मुख्य बेसिनों, पूर्व की ओर अरब बेसिन और पश्चिम की ओर सोमाली बेसिन में बाँटता है।

कितना बड़ा है अरब सागर ?

अरब सागर लगभग 38,62,000 किमी 2 सतही क्षेत्र घेरते हुए स्थित है तथा इसकी अधिकतम चौड़ाई लगभग 2,400 किमी ( 1,500 मील ) है। हिन्द महासागर का पश्चिमोत्तर भाग, लगभग 38,62,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है और यूरोप व भारत के बीच मुख्य समुद्री मार्ग के एक हिस्से को निर्मित करता है।

अरब सागर कंहा है?

यह पश्चिम में अफ़्रीका अन्तरीप और अरब प्रायद्वीप से, उत्तर में ईरान और पाकिस्तान, पूर्व में भारत और दक्षिण की ओर हिन्द महासागर के शेष भाग से घिरा हुआ है। ओमान की खाड़ी उत्तर में सागर को फ़ारस की खाड़ी से हॉरमुज़ जलडमरूमध्य के माध्यम से जोड़ती है। पश्चिम में अदन की खाड़ी उसे बाब एल–मंदेब जलडमरूमध्य के माध्यम से लाल सागर से जोड़ती है।

अरब सागर कितना गहरा है?

अरब सागर के अधिकांश भाग की गहराई 2,987 मीटर से अधिक है और इसके मध्य में कोई द्वीप नहीं है। पाकिस्तान व भारत के तट के निकट को छोड़कर, गहरा पानी पूर्वोत्तर में किनारों की भूमि के पास तक है। दक्षिण–पूर्व में, जो हिन्द महासागर में दक्षिण की ओर बढ़ता है और जहाँ पर वह पानी की सतह से ऊपर उठकर मालदीव के प्रवालद्वीप को निर्मित करता है। सागर की अधिकतम गहराई 5,803 मीटर व्हीटले गर्त में है। इसकी औसत गहराई 2,734 मीटर है। रोमन काल में इसका नाम मेर एरिथ्रेइयम (एरिथ्रेइयन सागर) था। सागर और महासागर के बारे में और अधिक जानकारी के लिए इसे देखे।

अरब सागर में गिरने वाली नदियां

सिन्धु नदी सबसे महत्वपूर्ण नदी है जो अरब सागर में गिरती है, इसके आलावा भारत की नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के अमरकंटक से निकलती है और अरब सागर में गिरता हैं। ताप्ती नदी मध्य प्रदेश में सतपुड़ा श्रेणी से निकलती है और नालियाँ अरब सागर में जाती है। पेरियार नदी पश्चिमी घाट की शिवगिरी पहाड़ियों और नालों से निकलकर अरब सागर में मिल जाती है। भारत की नदियों के बारे में और अधिक जानकारी के लिए इसे देखे।

अरब सागर के किनारे बसे देश

हिन्द महासागर के भाग अरब सागर पर विश्व के कुछ प्रमुख देश बसे है जिनमे भारत के अलावा जो महत्वपूर्ण देश स्थित हैं उनमें ईरान, ओमान, पाकिस्तान, यमन और संयुक्त अरब अमीरात सबसे प्रमुख हैं।

अरब सागर में लगे भारतीय राज्य

अरब सागर पर स्थित राज्य में गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, गोवा, तमिलनाडु जैसे महत्वपूर्ण और बड़े राज्यों सहित कुछ केंद्र शासित प्रदेश हैं जिनमे दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली और लक्षद्वीप शामिल है। अगर भारत के तटीय राज्यों के बारे में और अधिक जानकारी चाहिए तो इसे देखे।

अरब सागर के किनारे बसे शहर

माले, कावरत्ती, केप कॉमोरिन (कन्याकुमारी), कोलहेल, कोवलम, थिरुवनंतपुरम, कोल्लम, अलापुज़हा, कोच्चि, कोझिकोड, कन्नूर, कासारगोड, मैंगलोर, भटकल, करवार, वास्को, पानीजीम, मालवण, रत्नागिरि, अलीबाग, मुंबई, दमन, वलसाद, सूरत, भरूच, खंभात, भावनगर, दीव, सोमनाथ, मंगोल, पोरबंदर, द्वारका, ओखा, जामनगर, कांडला, गांधीधाम, मुंद्रा, कोटेश्वर, केती बंदर, कराची, ओरमारा, पासनी, ग्वादर, चबहार, मस्कट, डुक़म, सलालाह, अल गयदाह, ऐडन, बारगर्ल, और हैफुन सहित समुद्र के तट पर कई बड़े शहर हैं। भारत के कुछ और प्रमुख शहरों के बारे में जानकारी के लिए इसे देखे

अरब सागर में स्थित बंदरगाह

इसमें स्थित प्रमुख बंदरगाह में कराची बंदरगाह, ग्वादर बंदरगाह, कांडला बंदरगाह, मुंबई बंदरगाह, जवाहरलाल नेहरू अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह (न्हावा शेवा), मडगाँव बंदरगाह, कोल्लम बंदरगाह, कोच्चि बंदरगाह कालीकट बंदरगाह और एर्णाकुलम बंदरगाह जैसे विश्व के प्रमुख बंदरगाह अरब सागर में स्थित है।

अरब सागर की रानी किसे कहा जाता है?

कोच्चि बंदरगाह को अरब सागर की रानी के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह 14 वीं शताब्दी से भारत के पश्चिमी तट पर प्रजातियों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार केंद्र था। जिसे 1503 में पुर्तगाली साम्राज्य द्वारा कब्जा कर लिया गया, कोच्चि औपनिवेशिक भारत में यूरोपीय उपनिवेशों में से पहला था।

अरब सागर में भारत का कौनसा द्वीप है?

लक्षद्वीप भारत का एक ऐसा द्वीप समूह है जो अरब सागर में स्थित है। लक्षद्वीप भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश है। यह अरब सागर में 36 द्वीपों का एक द्वीपसमूह है, जो मुख्य भूमि के दक्षिण – पश्चिमी तट से 200 से 440 किमी ( 120 से 270 मील ) दूर स्थित है। लेकिन वर्तमान में इसमें 35 द्वीप ही रह गया है क्योंकि एक द्वीप समुद्र में डूब गया है। द्वीप और महाद्वीप के बारे में और अधिक जानकारी के लिए इसे देखे।

अरब सागर के प्रमुख द्वीप

सागर के द्वीपों में सोकोत्रा (यमन का एक भाग) अफ़्रीकी हॉर्न के निकट, ओमान के तट के निकट कुरिया मुरिया द्वीप और लक्षद्वीप। लक्षद्वीप भारत के दक्षिण–पश्चिम (मालाबार) तट से 160 और 400 किमी के बीच स्थित मूंगे के प्रवाल द्वीपों का समूह है। सागर के पश्चिमी भाग की ओर लगभग 113 किमी लम्बा व लगभग 3,626 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाला सोकोत्रा का पठारी द्वीप अफ़्रीकी हॉर्न का एकद्वीपीय विस्तार है और ग्वार्डाफुई अन्तरीप से 257 किमी पूर्व में है।

अरब सागर का सबसे बड़ा द्वीप कौन सा है?

वैसे तो अरब सागर में बहुत से द्वीप है लेकिन इन सभी द्वीपो में सोकोट्रा, जिसे सोकोत्रा भी कहा जाता है सबसे बड़ा द्वीप है, जो चार द्वीपों के एक छोटे से द्वीपसमूह का हिस्सा है। यह अफ्रीका के हॉर्न के पूर्व में लगभग 240 किमी और अरब प्रायद्वीप के 380 किमी दक्षिण में स्थित है।

अरब सागर की कितनी शाखायें है?

अरब सागर में दो महत्वपूर्ण शाखाएं हैं दक्षिण-पश्चिम में ऐडन की खाड़ी, लाल सागर से बाब-अल-मन्डेब की तरंगों के माध्यम से जोड़ने और उत्तर पश्चिम में ओमान की खाड़ी फारस की खाड़ी के साथ जुड़ा हुआ है। भारतीय तट पर खंभात की खाड़ी, कच्छ और मन्नार भी हैं।

अरब सागर की संरचना

सोकोत्रा से दक्षिण की ओर जलमग्न कार्ल्सबर्ग कटक है, जो कि हिन्द महासागर में भूकम्पीय गतिविधि के क्षेत्र से मिलता है। जो अरब सागर को दो मुख्य बेसिनों, पूर्व की ओर अरब बेसिन और पश्चिम की ओर सोमाली बेसिन में बाँटता है। कार्ल्सबर्ग कटक एक मध्यवर्ती घाटी द्वारा लम्बाई में विभाजित है, जो समुद्र की सतह के नीचे 3,596 मीटर की गहराई तक पहुँचती है।

अदन की खाड़ी के तटीय कगार रिफ़्ट भ्रंशों से बने हैं, जो कि दक्षिण–पश्चिम की ओर अभिसरित होकर पूर्वी अथवा ग्रेट रिफ़्ट वैली के सीमांत कगारों के रूप में अफ़्रीका तक जाते हैं और पूर्वी अफ़्रीकी रिफ़्ट प्रणाली का एक हिस्सा है। अरब बेसिन ओमान की खाड़ी के बेसिन से, एक संकरे, भूकम्प सक्रिय जलमग्न मर्रे कटक द्वारा विभाजित है, जो कि पूर्वोत्तर से दक्षिण–पश्चिम में विस्तृत होकर कार्ल्सबर्ग से मिलता है। मर्रे कटक के पश्चिम में मालियान का दाबित क्षेत्र है। जहाँ पर समुद्र तल निकटवर्ती महाद्वीपीय पटल के नीचे धंस जाता है।

सिंधु नदी के द्वारा एक गहरी जलमग्न खाई काटी गई है, जिसने 861 किमी चौड़े व 1,496 किमी लम्बे गहरे सागर का सघन अपशिष्ट शंकु भी निक्षेपित किया है। यह शंकु और इसके पास ही अरब बेसिन में गहरे पानी का एक समतल मैदान अरब सागर के अधिकांश पूर्वोत्तर समतल पर फैले हैं। सोमाली तट के पूर्व में सोमाली बेसिन गहरे पानी का दूसरा समतल मैदान बनाता है।

महाद्वीपीय कगार अरब प्रायद्वीप तट पर संकरा है और सोमाली तट के किनारे और भी संकरा है। अरब तट के आसपास कोई वास्तविक प्रवाल–भित्तियाँ नहीं पाई जाती हैं। अल–हद (अरब प्रायद्वीप की पूर्वी अग्रभूमि) अन्तरीप के पास के निक्षेपों में, जहाँ गर्मियों में गहरा पानी ऊपर आ जात है, उच्च जैविक पदार्थ वाले हाइड्रोजन सल्फ़ाइड युक्त हरी मिट्टी है। यह क्षेत्र, जिसमें मछलियों के कई अवशेष हैं, मछलियों की क़ब्रगाह कहलाता है।

महाद्वीपीय कगार के अधिकांश भाग पर 2,743 मीटर की गहराई तक भू–व्युत्पन्न निक्षेप फैले हैं। इसके नीचे, निक्षेप ग्लोबीजेराइना (फ़ोरामिनिफ़ेरिडा वर्ग के प्रोटोजोआ का एक वंश) के चूने से बने आवरणों से निर्मित हैं, जबकि 3,962 मीटर के नीचे के बेसिन लाल मिट्टी से ढंके हैं। स्व–स्थानक (उसी जगह पर निर्मित) फ़ैरोमैंगनीज़ पिण्ड सोमाली और अरब बेसिनों में पाए गए हैं तथा कार्ल्सबर्ग कटक के आसपास पॉलीमैटेलिक सल्फ़ाइड पाए गए हैं। निक्षेप की मोटाई उत्तर में 2,499 मीटर से अरब बेसिन के दक्षिण में लगभग 489 मीटर तक घटती है।

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