विश्व के प्रमुख युद्ध कब और किसके बीच हुआ?
वैसे तो पूरी दुनिया बहुत खूबसूरत और शांत रहता है, लेकिन कुछ देश प्रमुखों की कब्जा नीतियां पूरी दुनिया को युद्ध के आग में झोंक देता है, और इस खूबसूरत दुनिया मे दाग लगा देता है। आज हम बात करेंगे ऐसे ही नीतियों के दुष्प्रभावों के बारे में, तो चलिए देखते है विश्व के प्रमुख युद्ध कब और किसके बीच हुआ? कैसे इनकी शुरुआत हुई।
विश्व के प्रमुख युद्ध की सूची विस्तृत जानकारी के साथ
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1. मैराथन का युद्ध (490 ईसा पूर्व)– ईरानियों एवं यूनानियों के बीच
विश्व के प्रमुख युद्ध 490 ई.पू. में ईरानियों एवं यूनानियों के बीच मैराथन के मैदान में युद्ध हुआ था। डेरियस, फारस का राजा था। वह अत्यंत पराक्रमी राजा था। पश्चिम में इजियन सागर से लेकर, पूर्व में सिंधु नदी तक, व उत्तर में सिथियन के मैदानों से लेकर, दक्षिण में मिस्र की नील नदी तक उसके राज्य का विस्तार था, उसका साम्राज्य दिनों दिन बढ़ती ही जा रही थी।
जब उसने एशिया के पश्चिमी किनारे पर बसे ग्रीक लोगों को अधीनता का सन्देश भेजा, तो एथेंस व स्पार्टा के लोगों ने विरोध प्रकट कर दिया। तब डेरियस ने भारी जहाजी सेना सहित यूनान पर चढ़ाई कर दी। और इस तरह से मैराथन के युद्ध का आरंभ हुआ। जिस से बहुत से लोगो की जाने भी गई, और इस युद्ध में बहुत नुकसान भी हुआ था।
2. हेस्टिंग्स का युद्ध (वर्ष 1066 ई.)– नारमैंडी के ड्यूक विलियम तथा इंग्लैंड के राजा हेराल्ड द्वितीय के बीच
विश्व के ये प्रमुख हेस्टिंग्स का युद्ध 14 अक्टूबर 1066 को नारमैंडी के ड्यूक विलियम तथा इंग्लैंड के राजा हेराल्ड द्वितीय के बीच लड़ी गई थी। यह हेस्टिंग्स के उत्तर – पश्चिम में लगभग 7 मील की दूरी पर लड़ी गई थी, लड़ाई की पृष्ठभूमि में निःसंतान राजा एडवर्ड द कन्फेसर की मृत्यु हो गई। एडवर्ड की मृत्यु के तुरंत बाद हेरोल्ड को राजा का ताज पहनाया गया था, हार्डराडा ने 20 सितंबर 1066 को अंग्रेजों की एक सेना को हराया। हेरोल्ड ने विलियम को आश्चर्यचकित करने की कोशिश की, लेकिन स्काउट्स ने अपनी सेना को ढूंढ लिया और विलियम के आगमन की सूचना दी, जिन्होंने हेस्टिंग्स से युद्ध के मैदान में हेरोल्ड का सामना करने के लिए चढाई की।
हेस्टिंग्स का युद्ध नारमैंडी के ड्यूक विलियम तथा इंग्लैंड के राजा हेराल्ड द्वितीय के बीच युद्ध हुआ। हेस्टिंग्स की लड़ाई 14 अक्टूबर 1066 को इंग्लैंड की नॉर्मन विजय की शुरुआत करते हुए, विलियम के नॉर्मन – फ्रांसीसी सेना, नॉर्मंडी के ड्यूक, और एंग्लो – सैक्सन राजा हेरोल्ड गोडविंसन के बीच एक अंग्रेजी सेना के बीच लड़ी गई थी। इस युद्ध के कारण हजारो घायल, लाखो की जाने चली गई, लगभग 40,000 लोगो की जाने गई और यह विश्व युद्ध कहलाया।
3. शतवर्षीय युद्ध (वर्ष 1346 ई.)– अंग्रेजों एवं फ्रांसीसियों के बीच युद्ध
शतवर्षीय युद्ध अंग्रेजों एवं फ्रांसीसियों के बीच युद्ध हुआ। यह युद्ध राजगद्दी के लिये हुआ था।
अंग्रेजों एवं फ्रांसीसियों के बीच चलने वाले शत – वर्षीय युद्ध के परिणाम स्वरूप दोनों देशों में राष्ट्रीयता का विकास हुआ, वही इस युद्ध मे फ्रांस की विजय के कारण इंग्लैंड के लिए अनिष्टकारी सिद्ध हुए। इंग्लैंड को युद्ध के प्रारंभ में जो सफलता मिली थी, अर्थात जिस फ्रांसीसी भू- भाग पर प्रभाव स्थापित करने का अवसर मिला था, उससे हाथ धोना पड़ा। साथ ही युद्ध में इंग्लैंड की असफलता के कारण राजा की शक्ति भी कम हो गयी।
सौ साल का युद्ध मध्य युग के सबसे उल्लेखनीय संघर्षों में से एक था । 116 वर्षों के लिए, कई संघर्षों से बाधित, दो प्रतिद्वंद्वी राजवंशों के राजाओं की पांच पीढ़ियों ने पश्चिमी यूरोप के सबसे बड़े राज्य के लिए सिंहासन के लिए लड़ाई लड़ी। यूरोपीय इतिहास पर युद्ध का लंबा प्रभाव पड़ा। दोनों पक्षों ने सैन्य प्रौद्योगिकी, रणनीति और रणनीति में नवाचारों का उत्पादन किया, जैसे कि पेशेवर स्थायी सेना और तोपखाना, जिसने युद्ध को स्थायी रूप से बदल दिया, जो संघर्ष के दौरान अपने चरम पर पहुंच गई थी, बाद में कम हो गई।
इस युद्ध के कारण हजारो घायल, लाखो की जाने चली गई, लगभग 32,1780 लोगो की जाने गई और यह विश्व युद्ध कहलाया,और इस युद्ध में बहुत नुकसान भी हुआ था।
4. गुलाबों को युद्ध (वर्ष 1455-1485 ई.)– लंकाशायर और यार्कशायर के बीच
गुलाबों का युद्ध लंकाशायर और यार्कशायर के बीच युद्ध हुआ था। यह युद्ध ब्रिटेन में घटित हुआ था। यॉर्क और लैंकॅस्टर राजवंश लड़े थे इंग्लैण्ड के सिंहासन के लिए। यह विश्व प्रसिद्ध युद्ध 15वीं शताब्दी में ब्रिटेन मे हुआ था। इनकी शुरुआत तब हुई जब ब्रिटेन का, तत्कालीन शासक हेनरी छठम पागल हो गया और गद्दी पर बैठने के लिए दो राजवंशो, लैनकास्टर और यॉर्क के बीच झगड़े होने लगे। इसी कारण युद्ध छिड़ गया।
इन युद्धों को गुलाब युद्ध इसलिए कहते हैं क्योकि दोनो वंशों के प्रतीक – चिन्ह गुलाब थे। लैनकास्टर का लाल गुलाब और यॉर्क का सफेद गुलाब। 30 वर्ष लम्बे इन युद्धों में अंतिम विजय लैनकास्टर के हेनरी ट्यूडर की हुई जिसने एक नये राजवंश की स्थापना की। इन युद्धों से इंग्लैंड में जागीरी युग और जागीरी बैरन प्रथा दोनो का अन्त हुआ। आम आदमी को शांति, अमन और निश्चित व्यवस्था चाहिए थी। उसकी इसी प्रबल इच्छा ने ट्र्यूडर वंशियों के निरंकुश शासन प्रबंध को लाकर खड़ा कर दिया। साधारण जनता तो यह चाहती थी, कि राजा अच्छी तरह और कड़े हाथो से शासन करें।
5. आंग्ल-स्पेन युद्ध (वर्ष 1588 ई.)– अंग्रेजों एवं स्पेन के बीच
विश्व के प्रमुख युद्धों में से एक आंग्ल-स्पेनिश युद्ध (1588 -1604) स्पेन के हैब्सबर्ग साम्राज्य और इंग्लैंड के साम्राज्य के बीच रुक-रुक कर चलने वाला संघर्ष था। इस युद्ध में स्पेनिश जहाजों के खिलाफ अंग्रेजों का बहुत अधिक निजीकरण और कई व्यापक रूप से अलग-अलग युद्ध शामिल थे। यह 1588 में इंग्लैंड के सैन्य अभियान के साथ शुरू हुआ, जो तब स्पेनिश हैब्सबर्ग शासन के खिलाफ डच विद्रोह के समर्थन में लीसेस्टर के अर्ल की कमान के तहत स्पेनिश नीदरलैंड था युद्ध एंग्लो-स्पेनिश युद्ध 1588 में छिड़ गया।
जब स्पेन के बंदरगाहों में अंग्रेजी व्यापारी जहाजों को जब्त कर लिया गया। जवाब में इंग्लिश प्रिवी काउंसिल ने तुरंत न्यूफ़ाउंडलैंड और ग्रैंड बैंक्स में स्पेनिश मछली पकड़ने के उद्योग के खिलाफ एक अभियान को अधिकृत किया। अभियान एक बड़ी सफलता थी, और बाद में अमेरिका में इंग्लैंड की पहली निरंतर गतिविधि का नेतृत्व किया।
1560 के दशक में, स्पेन के फिलिप द्वितीय को बढ़ती धार्मिक अशांति का सामना करना पड़ा, फिलिप के खिलाफ प्रोटेस्टेंट डच विद्रोहियों का समर्थन करने के लिए प्रमुख अंग्रेजी प्रोटेस्टेंटों के आह्वान ने तनाव को और बढ़ा दिया, जैसा कि फ्रांस में कैथोलिक-प्रोटेस्टेंट अशांति ने किया था, जिसमें दोनों पक्षों ने विरोधी फ्रांसीसी गुटों का समर्थन किया था।
6. गिब्राल्टर बे का युद्ध (वर्ष 1607 ई.)– डचों तथा स्पेन एवं पुर्तगाल के बीच
विश्व के ये प्रमुख युद्ध गिब्राल्टर बे का युद्ध तथा स्पेन एवं पुर्तगाल के बीच युद्ध हुआ। यह युद्ध एक संघर्ष था, जिसमें डच ईस्ट इंडिया कंपनी और डच वेस्ट इंडिया कंपनी के साथ – साथ उनके सहयोगी भी इस युद्ध में शामिल थे। 1607 में शुरू हुए इस संघर्ष में मुख्य रूप से अमेरिका, अफ्रीका और ईस्ट इंडीज में पुर्तगाली उपनिवेशों पर हमला करने वाली डच कंपनियां भी शामिल थीं। इस युद्ध के परिणाम स्वरूप हजारों लोग मारे गए, बहुत लोग घायल हुए और इस युद्ध में बहुत नुकसान भी हुआ था।
7. सप्तवर्षीय युद्ध (वर्ष 1756-1763 ई.)– ब्रिटेन एवं प्रशिया तथा ऑस्ट्रिया एवं फ्रांस के बीच
सप्तवर्षीय युद्ध एक विश्वयुद्ध था जो 1756 तथा 1763 के बीच लड़ा गया। इसमें 1756 से 1763 तक की सात वर्ष अवधि में युद्ध की तीव्रता अधिक थी। इसमें उस समय की प्रमुख राजनीतिक तथा सामरिक रूप से शक्तिशाली देश शामिल थे। भारतीय इतिहास में इसे “तृतीय कर्नाटक युद्ध” कहते हैं। विश्व के दूसरे क्षेत्रों में इसे द फ्रेंच ऐण्ड इण्डियन वार मॉमेरियन वार आदि के नाम से जाना जाता है। सप्तवर्षीय युद्ध विश्व के इतिहास में अपनी छाप छोड़ गई। सप्तवर्षीय युद्ध में सब देशो को बहुत नुकसान हुआ था।
8. बंकर हिल का युद्ध (वर्ष 1775 ई.)– अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई
बंकर हिल का युद्ध ,जिसे “संयुक्त राज्य में अमेरिकी स्वतन्त्रता युद्ध या क्रन्तिकारी युद्ध: भी कहा जाता है। ग्रेट ब्रिटेन और उसके तेरह उत्तर अमेरिकी उपनिवेशों के बीच एक सैन्य संघर्ष था, जिससे वे उपनिवेश स्वतन्त्र संयुक्त राज्य अमेरिका बने। शुरूआती लड़ाई उत्तर अमेरिकी महाद्वीप पर हुई।
बंकर हिल का युद्ध अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई थी, क्रांतिकारी युद्ध शुरू होने के दो महीने बाद, 16 जून 1775 की रात को, लगभग 1,200 मैसाचुसेट्स सैनिकों ने बोस्टन से चार्ल्स नदी के पार चार्ल्सटाउन प्रायद्वीप पर बंकर हिल की किलेबंदी की, बोस्टन के सामने एक स्थिति को मजबूत करके, उन्होंने अंग्रेजों को शहर खाली करने के लिए मजबूर करने का इरादा किया।
9. सरतोगा का युद्ध (वर्ष 1777 ई.)– अमेरिकियों एवं अंग्रेजों के बीच
साराटोगा की लड़ाई अमेरिकियों एवं अंग्रेजों के बीच युद्ध हुआ। अमेरिकी क्रांतिकारी युद्ध में अमेरिकियों को अंग्रेजों पर निर्णायक जीत मिली। ब्रिटिश जनरल जॉन बर्गोयने ने कनाडा से दक्षिण की ओर 7,200 पुरुषों की एक आक्रमण सेना का नेतृत्व किया, जो कि न्यूयॉर्क शहर से उत्तर की ओर बढ़ने वाली एक समान ब्रिटिश सेना और ओन्टारियो झील से पूर्व की ओर बढ़ने वाली एक अन्य ब्रिटिश सेना से मिलने की उम्मीद कर रही थी; लक्ष्य अल्बानी, न्यूयॉर्क को ले जाना था।
दक्षिणी और पश्चिमी सेनाएं कभी नहीं पहुंचीं, और बरगॉय अपने लक्ष्य से 15 मील दूर न्यूयॉर्क में अमेरिकी सेना से घिरा हुआ था। उसने दो लड़ाइयाँ लड़ीं जो 18 दिनों के अंतराल पर उसी जमीन पर 9 मील दक्षिण में साराटोगा, न्यूयॉर्क से हुई थीं। उन्होंने पहली लड़ाई में बड़ी संख्या में होने के बावजूद जीत हासिल की, हालांकि अमेरिकियों के और भी बड़े बल के साथ लौटने के बाद दूसरी लड़ाई हार गए।
10. पिरामिड का युद्ध (वर्ष 1798 ई.)– मिस्र के शासक ममेलुक एवं नेपोलियन के बीच
पिरामिड की लड़ाई, जिसे एम्बाबेह की लड़ाई के रूप में भी जाना जाता है, मिस्र के फ्रांसीसी आक्रमण के दौरान 21 जुलाई 1798 को लड़ी गई लड़ाई काहिरा से नील नदी के पार, एम्बाबेह गाँव के पास हुई, लेकिन नेपोलियन ने इसका नाम गीज़ा के महान पिरामिड के नाम पर रखा जो लगभग 9 मील दूर दिखाई देता है। अलेक्जेंड्रिया पर कब्जा करने और रेगिस्तान को पार करने के बाद, जनरल नेपोलियन बोनापार्ट के नेतृत्व में फ्रांसीसी सेना ने स्थानीय मामलुक शासकों की मुख्य सेना के खिलाफ निर्णायक जीत हासिल की।
यह पहली लड़ाई थी जहां बोनापार्ट ने व्यक्तिगत रूप से डिवीजनल स्क्वायर रणनीति को बहुत प्रभावी ढंग से तैयार किया और नियोजित किया नेपोलियन ने युद्ध के बाद काहिरा में प्रवेश किया, और उसकी देखरेख में एक नया स्थानीय प्रशासन बनाया।
11. नील नदी का युद्ध (वर्ष 1798 ई.)– ब्रिटेन एवं फ्रांस के बीच
नील की लड़ाई ब्रिटेन एवं फ्रांस के बीच युद्ध हुआ। जो विश्व के प्रमुख युद्ध मे से एक है। जिसे “अबूकिर खाड़ी की लड़ाई के रूप” में भी जाना जाता है। ब्रिटिश रॉयल नेवी और फ्रांसीसी गणराज्य की नौसेना के बीच नील नदी के भूमध्यसागरीय तट पर अबूकिर खाड़ी में लड़ी गई एक प्रमुख नौ सैनिक लड़ाई थी। अगस्त 1798 में यह युद्ध हुआ। लड़ाई में ब्रिटिश बेड़े का नेतृत्व रियर – एडमिरल सर होरेशियो नेल्सन ने किया था, उन्होंने वाइस-एडमिरल फ्रांकोइस-पॉल ब्रुइस डी’एगलियर्स के नेतृत्व में फ्रांसीसियों को निर्णायक रूप से हराया।
यह “नील नदी का युद्ध” विश्व के इतिहास के पन्नो में आ गया। युद्ध के कारण हजारो घायल, लाखो की जाने गई, लगभग 52,000 लोगो की जाने गई, और यह विश्व युद्ध कहलाया।
12 ट्रेफलगर का युद्ध (वर्ष 1805 ई.)– ब्रिटेन एवं फ्रांस के बीच
ट्रफैलगर का युद्ध ब्रिटेन एवं फ्रांस के बीच युद्ध हुआ। ब्रिटिस नौसेना का फ्रांसिसी और स्पेनी मिलीजुली नौसेना के एक आक्रमण बेड़े के साथ अक्टूबर, 1805 में लड़ा गया एक समुद्री युद्ध था। नेपोलियन फ्रांस का सम्राट बनकर ही संतुष्ट नही हुआ वह समस्त विश्व को जीतने की योजना बनाने लगा। नेपोलियन की विश्व योजना में बाधा उत्पन्न करने वाला मुख्य देश इंग्लैंड था।
इसमें युद्ध में ब्रिटेन की भारी जीत हुई, इस लड़ाई को जीतने का श्रेय ब्रिटेन के नौसेनाध्यक्ष होरेशियो नेलसन के नेतृत्व को दिया जाता है, हालाँकि इसमें लगी हुई चोट से वह अपनी जान खो बैठे। इस भयंकर युद्ध के परिणाम स्वरूप 4,395 लोग मारे गए, 2,541 घायल हुए और इस युद्ध में बहुत नुक्शान भी हुआ था।
13. नेपोलियन का युद्ध (वर्ष 1803-1815) – नेपोलियन प्रथम एवं यूरोपीय देशों के बीच
नेपोलियन के युद्ध मई 1803 – 1815 नेपोलियन प्रथम एवं यूरोपीय देशों के बीच युद्ध हुआ। इन युद्धों को सम्मिलित रूप से “नेपोलियन के युद्ध” कहा जाता है। 1803 से लेकर 1815 तक कोई साठ युद्ध उसने लड़े थे, जिसमें से सात में उसकी पराजय। इन युद्धों के फलस्वरूप यूरोपीय सेनाओं में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए। आरम्भ में यूरोपीय फ्रांस की शक्ति बड़ी तेजी से बढ़ी और नैपोलियन ने यूरोप का अधिकांश भाग अपने अधिकार में कर लिया। 1812 में रूस पर आक्रमण करने के बाद फ्रांस का बड़ी तेजी से पतन हुआ। यह विश्व युद्ध 1815 नेपोलियन प्रथम एवं यूरोपीय देशों के बीच चल ता रहा। इन युद्धों के फलस्वरूप यूरोपीय देशों बहुत हानी पहूची।
14. वाटरलू का युद्ध (वर्ष 1815 ई.)– वेलिंगटन एवं बलुचर की संयुक्त सेनाओं एवं नेपोलियन प्रथम के बीच
इस युद्ध के बाद ही नेपोलियन को बंदी बना लिया गया तथा सेंट हेलेना द्वीप निर्वासित कर दिया गया। वाटरलू का युद्ध 1815 में लड़ा गया था। यह युद्ध बेल्जियम में लड़ा गया था। नेपोलियन का ये अन्तिम युद्ध था एक तरफ फ्रांस था तो दूसरी तरफ ब्रिटेन, रूस, प्रशिया, आस्ट्रिया, हंगरी की सेना थी। यह घमासान युद्ध कई दिनों तक चला था। बड़ी संख्या में दोनों ओर की सैनिक मारें गये थे, विश्व इतिहास के इसी प्रसिद्ध वाटरलू की लड़ाई में बहुत से सैनिक मारें गये थे इसलिए इसे विश्व के प्रमुख युद्ध मे शामिल किया जाता है।
फ्रांस, आस्ट्रिया, रूस, देशों के समूह ने मिलकर नेपोलियन को 1815 में हराया था, नेपोलियन एक बहादर योद्धा और कशल सेनानायक था। नेपोलियन प्रथम के उत्थान और पतन की कहानी बडी नाटकीय है। नेपोलियन अपने काल मे वह पूरे यूरोप के लिए आतंक और भय बन गया था। उसका सपना था, कि यूरोप के सभी देशों को जीत कर फ्रांस की छत्रछाया में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की जाये। ब्रिटेन और ऑस्ट्रिया को छोड़कर लगभग पूरा यूरोप फ्रांस के आधिपत्य में आ भी गया था। इस युद्ध के बाद ही नेपोलियन को बंदी बना लिया गया तथा सेंट हेलेना द्वीप निर्वासित कर दिया गया।
15. क्रीमिया का युद्ध (वर्ष 1853-1856)– ब्रिटेन, फ्रांस, सार्डिना एवं तुर्की तथा रूस के बीच
क्रीमिया का युद्ध ब्रिटेन, फ्रांस, सार्डिना एवं तुर्की तथा रूस के बीच युद्ध हुआ, जो जुलाई 1853 सितंबर, 1855 तक काला सागर के आसपास चला युद्ध था, जिसमें फ्रांस, ब्रिटेन, सारडीनिया, तुर्की ने एक तरफ़ तथा रूस ने दूसरी तरफ़ से लड़ा था। क्रीमिया की लड़ाई को इतिहास के सर्वाधिक युद्धों में से एक माना जाता है। इस युद्ध का कारण स्लाववादी राष्ट्रीयता की भावना थी। इसके अतिरिक्त दूसरे तरफ़ तुर्की ने रूस की कुस्तंतुनिया की ओर राज्य विस्तार कि नीती के विरुद्ध युद्ध किया, किंतु बेहद खून खराबे के बाद भी नतीजा कुछ भी नहीं निकला। इन युद्धों के फलस्वरूप देशों को बहुत हानी पहूची ।
16. अफीम युद्ध (वर्ष 1839-1842)– ब्रिटेन और चीन के बीच
विश्व के प्रमुख युद्ध मे से एक अफीम युद्ध ब्रिटेन और चीन के बीच अफीम के आयात को लेकर युद्ध हुआ। उन्नासवीं सदी के मध्य में चीन और मुख्यतः ब्रिटेन के बीच लड़े गये दो युद्धों को “अफ़ीम युद्ध “कहते हैं। उन्नीसवीं शताब्दी में लम्बे समय से चीन ( चिंग राजवंश ) और ब्रिटेन के बीच चल रहे व्यापार विवादों की चरमावस्था में पहुचने के कारण हुए। दोनो ही युद्धों में चीन की पराजय हुई और चीनी शासन को अफीम का अवैध व्यापार सहना पड़ा। चीन को नान्जिन्ग की सन्धि तथा तियान्जिन की सन्धि करनी पड़ी।
17. स्पेन-अमेरिका युद्ध (वर्ष 1898 ई.)– स्पेन एवं अमेरिका के बीच
स्पेनि अमेरिकी युद्ध 21 अप्रैल से 13 अगस्त, 1898 स्पेन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच सशस्त्र संघर्ष की अवधि थी। क्यूबा में हवाना हार्बर में यूएसएस मेन के आंतरिक विस्फोट के बाद शत्रुता शुरू हुई, जिससे क्यूबा के स्वतंत्रता संग्राम में संयुक्त राज्य का हस्तक्षेप हुआ। और इसके परिणाम स्वरूप स्पेन की प्रशांत संपत्ति का अमेरिकी अधिग्रहण हुआ।
इसने फिलीपीन क्रांति में संयुक्त राज्य की भागीदारी को जन्म दिया और बाद में फिलीपीन अमेरिकी युद्ध के लिए। मुख्य मुद्दा क्यूबा की स्वतंत्रता थी। क्यूबा में स्पेनिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ कुछ वर्षों से विद्रोह हो रहे थे। संयुक्त राज्य अमेरिका ने स्पेनिश – अमेरिकी युद्ध में प्रवेश करने पर इन विद्रोहों का समर्थन किया। युद्ध 16 सप्ताह तक चला । युद्ध ने विश्व मामलों में अमेरिकी प्रवेश को चिह्नित किया। तब से, दुनिया भर में विभिन्न संघर्षों में अमेरिका का महत्वपूर्ण हाथ रहा है, और कई संधियों और समझौतों में प्रवेश किया है।
18. रूस-जापान युद्ध (वर्ष 1904-05)– रूस एवं जापान के बीच
रूस और जापान के बीच रूस एवं जापान के बीच युद्ध हुआ” उपनिवेशवाद की प्रतिद्वंद्विता का युद्ध” भी कहा जा सकता है। रूस का सैन्य बल जार के कमजोर नेतृत्व में बडा असंगठित और असुरक्षित होता जा रहा था। देश में भुखमरी और गरीबी तो थी ही, सैनिकों को कई – कई महीनों तक वेतन भी नहीं मिलता था। जबकि जापान लगातार औद्योगीकरण के साथ – साथ विकास कर रहा था। रूस-जापान युद्ध (वर्ष 1904-05)– रूस एवं जापान के बीच युद्ध फलस्वरूप देश में भुखमरी, गरीबी लगातार बड़ी तेजी से।
19. बाल्कन युद्ध (वर्ष1912-13)
– बाल्कन देशों एवं तुर्की के बीच
बाल्कन युद्ध से आशय सन् 1912 और 1913 में बाल्कन प्रायदीप में हुए दो युद्धों से है। बाल्कन के प्रथम युद्ध में चार बाल्कन राज्यों ने तुर्क साम्राज्य को हरा दिया था। दूसरे बाल्कन युद्ध बुल्गारिया और प्रथम बाल्कन युद्ध के पाँच देशों सर्बिया, यूनान, रुमानिया, मांटीनीग्रो और रोमानिया के बीच हुआ था। इसमें बल्गारिया की बड़ी मानहानि हुई और उसे कई क्षेत्रों से हाथ धोना पड़। ये दोनों युद्ध तुर्की साम्राज्य के लिए घातक सिद्ध हुए और उसे अपने अधिकांश यूरोपीय क्षेत्र से हाथ धोना पड़ा। ये युद्ध प्रथम विश्वयुद्ध के महत्वपूर्ण कारणों में से एक कारण माने जाते हैं।
20. स्पेन का गृहयुद्ध (वर्ष 1936-39)– स्पेन के लोगों के बीच
स्पेन का गृहयुद्ध 1936 से 1939 तक चला। यह युद्ध स्पेन के रिपब्लिकनों और राष्ट्रवादियों के बीच हुआ। इसे प्रायः “लोकतन्त्र तथा फासीवाद” के बीच युद्ध माना जाता है, किन्तु अनेक इतिहास कार मानते हैं कि यह युद्ध वस्तुतः वामपंथी क्रांतिकारियों एवं दक्षिणपन्थी प्रति क्रान्तिकारियों के बीच हुआ था। इस युद्ध में अन्ततः राष्ट्रवादियों की विजय हुई और उसके पश्चात फ्रैकों अगले 36 वर्षों तक अर्थात अपनी मृत्यु तक स्पेन का शासक बना रहा।
21. स्वेज नहर का युद्ध (वर्ष 1956)– मिस्र तथा फ्रांस, इजरायल एवं ब्रिटेन के बीच
विश्व के प्रमुख युद्ध स्वेज संकट, मिस्र तथा फ्रांस, इजरायल एवं ब्रिटेन के बीच युद्ध हुआ। और सिनाई युद्ध भी कहा जाता है। इजराइल में, 1956 के अंत में इजराइल द्वारा मिस्र पर आक्रमण किया गया था, इसका उद्देश्य पश्चिमी शक्तियों के लिए स्वेज नहर का नियंत्रण हासिल करना और मिस्र के राष्ट्रपति जमाल अब्देल नासर को हटाना था, जिन्होंने अभी-अभी तेजी से विदेशी स्वामित्व वाली स्वेज कैनाल कंपनी का राष्ट्रीयकरण किया था, जो स्वेज नहर का प्रशासन करती थी।
इज़राइल ने मिस्र के सिनाई पर आक्रमण किया। ब्रिटेन और फ्रांस ने संघर्ष विराम के लिए एक संयुक्त अल्टीमेटम जारी किया, मिस्र की सेना के हारने से पहले, उन्होंने नहर में 40 जहाजों को डुबो कर सभी जहाजों के लिए नहर को अवरुद्ध कर दिया था। तीनों सहयोगियों ने अपने कई सैन्य उद्देश्यों को प्राप्त कर लिया था, स्वेज नहर अक्टूबर 1956 से मार्च 1957 तक बंद रही। इज़राइल ने अपने कुछ उद्देश्यों को पूरा किया, जैसे कि स्वतंत्रता प्राप्त करना।
22. वियतनाम युद्ध (वर्ष 1957-1975)– अमेरिका एवं वियतनाम के बीच
इस युद्ध में अमेरिका ने ‘एजेंट ऑरेंज’ (डायोक्सिन) नामक एक रसायन का प्रयोग किया था। 1940 में जापानियों ने वियतनाम पर आक्रमण कर दिया और फ्रांसीसी उपनिवेश लगभग समाप्त हो गया किन्तु जापानी आधिपत्य अधिक दिनो तक कायम नही रह सका और 1946 जापानी आक्रमणकारियों को पराजित होकर वहा से भागना पड़ा। जापानियों की इस पराजय का सबसे बड़ा श्रेय हो ची मिन्ह को जाता हैं।
अमेरिका ने युद्ध मे सम्मिलित होने के बाद 1965 मे दक्षिणी वियतनाम में उत्तरी वियतनाम के सैनिक दलों पर जवाबी हमला किया। 1968 तक 5,45,000 अमरीकी सैनिक वियतनाम पहुंच चुके थे और भारी संख्या में लगातार आ रहें थे। अन्तत 27 जनवरी 1973 को अनेक प्रयासों के बाद युद्ध रूका।
विश्व के इस प्रमुख यद्ध की समाप्ति के साथ ही विभाजित वियतनाम एक अखण्ड और स्वतन्त्र देश बना। इस युद्ध में 55,000 अमरीकियों सहित लाखों वियतनामी मारे गये, और अपार क्षति हुई। यही नहीं, अमेरिका ने ‘एजेंट ऑरेंज’ (डायोक्सिन) नामक एक रसायन का प्रयोग किया था। दोनो देशों की ओर से अनेक नये रासायनिक तथा सामरिक महत्त्व के हथियार भी काम में लाये गये।
23. कोरिया का युद्ध (वर्ष 1954)– उत्तरी कोरिया एवं दक्षिणी कोरिया के बीच
कोरियाई युद्ध ( 1954) का प्रारंभ 25 जून , 1950 को उत्तरी कोरिया से दक्षिणी कोरिया पर आक्रमण के साथ हुआ। यह शीत युद्ध काल में लड़ा गया, यह सबसे पहला और सबसे बड़ा संघर्ष था। एक तरफ उत्तर कोरिया था, जिसका समर्थन कम्युनिस्ट सोवियत संघ तथा साम्यवादी चीन कर रहे थे, दूसरी तरफ दक्षिणी कोरिया था जिसकी रक्षा अमेरिका कर रहा था। इस युद्ध के अन्त में बिना निर्णय ही समाप्त हुआ परन्तु जन क्षति तथा तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया था।
24. अरब-इजरायल युद्ध (वर्ष 1956 एवं 1973)
प्रथम अरब-इजरायल युद्ध 1956 में तथा दूसरा अरब-इजरायल युद्ध 1973 में हुआ। इजरायल ने तीन अरब देशों-जॉर्डन, सीरिय एवं मिस्र को पराजित किया तथा पश्चिमी किनारे एवं गोलन पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया। अरब इजरायल युद्ध विश्व के सबसे प्रमुख युद्ध मे से एक है, जो अब तक चार बार लड़ा जा चुका है।
प्रथम अरब-इजरायल युद्ध 1956
इस युद्ध के कारण विश्व के तीन प्रमुख धर्मो – ईसाई धर्म, इस्लाम धर्म तथा यहूदी धर्म का जन्मस्थल पश्चिमी एशिया आज भी युद्ध के आंतक और तनाव से घिरा भू – क्षेत्र है। दर असल अरबी तथा यहूदियों के बीच इस सामरिक तनाव की लगभग 2,000 वर्ष पुरानी है, जब यहूदियों को उनकी मातृभूमि से भगा दिया गया था।
अरब इजरायल युद्ध की शुरुआत इसरायल के जन्म के साथ ही फिलिस्तीनियों को पड़ोसी देशो जोर्डन, लेबनान और सीरिया के रेगिस्तानी इलाको में तम्बुओ में शरणार्थियों की तरह रहना पड़ा। उधर, विश्व के कई देशों से भाग कर जो यहूदी नवजात राष्ट्र इसरायल पहुंच रहे थे, फिलिस्तीनियों के पलायन के साथ – साथ इसरायल ने अपने क्षेत्र का विस्तार भी जारी रखा। यही नहीं बल्कि अपनी स्थापना के साथ – साथ इसरायल ने अपने हिस्से से 40 प्रतिशत अधिक भाग पर कब्जा कर लिया था।
अरब इजरायल द्वितीय युद्ध (1956)
1956 में एक बार फिर अरबों और यहूदियों के बीच युद्ध की लपटें जली। इसरायल ने इन दोनो देशो के सहयोग से अरबो के एक बड़े क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। बाद में अमरीका तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के हस्तक्षेप से इसरायल ने तमाम विजित क्षेत्रों को लौटा दिया।
अरब इजरायल तृतीय युद्ध (1967)
सीरिया की सीमा से इसरायल पर कुछ हमले हो रहे थे। इसरायल ने 1967 में जवाबी कार्रवाई की धमकी दी। सीरिया ने मिस्र से सहायता मांगी, अतः मिस्र ने भी अपनी सेना की लामबंदी कर दी। 1967 को सीरिया, जोर्डन व मिस्र के सैनिक अड्डों पर अचानक हमला कर दिया। स्वेज नहर का पूर्वी तट भी उसके अधिकार मे आ गया। अरबों की करारी हार हुई।
अरब इजरायल चतुर्थ युद्ध (1973)
इसरायल ने अपने आधिपत्य के अरब प्रदेशों की वापस करने मे आनाकानी की। इससे क्षुब्ध होकर अरब देशों मिस्र व सीरिया ने 6 अक्तूबर, 1973 को यहूदी त्योहार योम किपर के दिन इसरायल पर आक्रमण कर दिया। इसलिए इसे योम किपर युद्ध भी कहते है।
इसरायल के प्रति कैम्प डेविड समझौते (1979) के दौरान मिस्र का मैत्रीपूर्ण रवैया देखकर सीरिया, यमन व अल्जीरिया, आदि अरब देश नाराज है। सबसे चिन्ताजनक बात यह है, कि इराक, सऊदी अरब व लीबिया परमाणु बम बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
25. भारत-चीन युद्ध (वर्ष 1962)– भारत एवं चीन के बीच
भारत – चीन युद्ध जो भारत चीन सीमा विवाद के रूप में भी जाना जाता है, चीन और भारत के बीच 1962 में हुआ एक युद्ध था। भारत चीन सीमा पर हिंसक घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू हो गयी। भारत ने फॉरवर्ड नीति के तहत मैकमोहन रेखा से लगी सीमा पर अपनी सैनिक चौकियाँ रखी जो 1959 में चीनी प्रीमियर झोउ एनलाई के द्वारा घोषित लाइन ऑफ एक्चुअल के कंट्रोल के पूर्वी भाग के उत्तर में थी। चीनी सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू किये।
1962 के भारत – चीन युद्ध के दौरान, अरुणाचल प्रदेश के आधे से भी ज़्यादा हिस्से पर चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने अस्थायी रूप से कब्जा कर लिया था। फिर चीन ने एक तरफ़ा युद्ध विराम घोषित कर दिया और उसकी सेना मैकमहोन रेखा के पीछे लौट गई। इस प्रकार की परिस्थिति ने दोनों पक्षों के लिए समस्याएँ प्रस्तुत की। भारत – चीन युद्ध के दौरान भारत पराजित हुआ।
26. भारत-पाकिस्तान युद्ध (वर्ष 1965 एवं 1971)– भारत एवं पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ।
विश्व के प्रमुख युद्धों में से एक 1947 का भारत – पाक युद्ध, जिसे प्रथम कश्मीर युद्ध भी कहा जाता है, अक्टूबर 1947 में शुरू हुआ। पाकिस्तान की सेना के समर्थन के साथ हज़ारों की संख्या में जनजातीय लड़ाकुओं ने कश्मीर में प्रवेश कर राज्य के कुछ हिस्सों पर हमला कर उन पर कब्जा कर लिया, जिसके फलस्वरूप भारत से सैन्य सहायता प्राप्त करने के लिए कश्मीर के महाराजा को इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ अक्सेशन पर हस्ताक्षर करने पड़े। इस युद्ध में भारत को कश्मीर के कुल भौगोलिक क्षेत्र के लगभग दो तिहाई हिस्से कश्मीर घाटी, जम्मू और लद्दाख पर नियंत्रण प्राप्त हुआ।
1965 का भारत – पाक युद्ध
यह युद्ध भारत – पाकिस्तान के बीच दूसरा युद्ध ऑपरेशन जिब्रॉल्टर के साथ शुरू हुआ , जिसके अनुसार पाकिस्तान की योजना जम्मू कश्मीर में सेना भेजकर वहां भारतीय शासन के विरुद्ध विद्रोह शुरू करने की थी। इसके जवाब में भारत ने भी पश्चिमी पाकिस्तान पर बड़े पैमाने पर सैन्य हमले शुरू कर दिए। सत्रह दिनों तक चले इस युद्ध में हज़ारों की संख्या में जनहानि हुई थी। आख़िरकार सोवियत संघ और संयुक्त राज्य द्वारा राजनयिक हस्तक्षेप करने के बाद युद्धविराम घोषित किया गया।
1966 में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों ने ताशकन्द समझौते पर हस्ताक्षर किये। कई स्त्रोतों के अनुसार युद्धविराम की घोषणा के समय भारत पाकिस्तान की अपेक्षा मजबूत स्थिति में था।
1971 का भारत – पाक युद्ध
भारत पाकिस्तान के बीच यह तीसरा युद्ध हुआ। इस युद्ध में 94000 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बनाया गया और इस युद्ध में पाक कि हार देखते हुए सयुक्त राज्य अमेरिका और कई मित्र देशो को साथ लेकर जिसमें ब्रिटेन, चीन, पाक, फ्रांस मुख्य था।
27. छ: दिवसीय युद्ध (वर्ष 1967)– इजरायल तथा मिस्र, सीरिया और जॉर्डन के बीच
इजरायल ने सिनाय प्रायद्वीप, गाजापट्टी तथा सीरिया की गोलन चोटियों पर कब्जा कर लिया। छः दिवसीय युद्ध 5 जून 1967 से 10 जून 1967 इजराइल तथा उसके पड़ोसी देशों- मिस्र, जॉर्डन तथा सीरिया के बीच लड़ा गया था। इजरायल ने सिनाय प्रायद्वीप, गाजापट्टी तथा सीरिया की गोलन चोटियों पर कब्जा कर लिया। इसरायल ने इन दोनो देशो के सहयोग से सीरिया की गोलन चोटियों पर एक बड़े क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। किंतु बेहद खून खराबे हुआ। इन युद्धों के फलस्वरूप देशों को बहुत हानी पहूची। ये युद्ध केवल छ: दिवस युद्ध का युद्ध था। इसलिए इसे” छः दिवसीय युद्ध ” कहा गया था।
28. योम किप्पर युद्ध (वर्ष 1973)– इजरायल तथा मिस्त्र और सीरिया के बीच
योम किप्पुर युद्ध ,इजरायल तथा मिस्त्र और सीरिया के बीच युद्ध हुआ। जिसे रमजान युद्ध , अक्टूबर युद्ध, 1973 अरब – इजरायल युद्ध या चौथा अरब – इजरायल युद्ध के रूप में भी जाना जाता हैं। 6 से 25 अक्टूबर 1973 तक इजरायल और एक गठबंधन के बीच लड़ा गया एक सशस्त्र संघर्ष था। मिस्र और सीरिया के नेतृत्व वाले अरब राज्यों की। दोनों पक्षों के बीच अधिकांश लड़ाई सिनाई प्रायद्वीप और गोलान हाइट्स में हुई दोनों पर 1967 में इज़राइल का कब्जा था, अफ्रीकी मिस्र और उत्तरी इज़राइल में कुछ लड़ाई के साथ। युद्ध में मिस्र का प्रारंभिक उद्देश्य स्वेज नहर के पूर्वी तट पर एक पैर जमाना था और बाद में इन लाभों का लाभ उठाकर शेष इजरायल के कब्जे वाले सिनाई प्रायद्वीप की वापसी पर बातचीत करना था।
युद्ध 6 अक्टूबर 1973 को शुरू हुआ, जब अरब गठबंधन ने संयुक्त रूप से योम किप्पुर के यहूदी पवित्र दिन पर इजरायल के खिलाफ एक आश्चर्यजनक हमला किया, जो उस वर्ष रमजान के इस्लामी पवित्र महीने के 10 वें के दौरान हुआ था, शत्रुता के प्रकोप के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ दोनों ने युद्ध के दौरान अपने – अपने सहयोगियों के लिए बड़े पैमाने पर पुन : आपूर्ति के प्रयास शुरू किए, जिसके कारण दो परमाणु सशस्त्र महाशक्तियों के बीच निकट – टकराव हुआ।
लड़ाई तब शुरू हुई जब मिस्र और सीरियाई सेना ने इजरायल के साथ अपनी संघर्ष विराम रेखा को पार किया और सिनाई प्रायद्वीप और गोलन हाइट्स पर आक्रमण किया। मिस्र की सेना ने ऑपरेशन बद्र में स्वेज नहर को पार किया और सिनाई प्रायद्वीप में आगे बढ़ी ; सीरियाई लोगों ने मिस्र के आक्रमण के साथ मेल खाने के लिए गोलान हाइट्स पर एक समन्वित हमला शुरू किया और शुरू में इजरायल के कब्जे वाले क्षेत्र में लाभ कमाया।
इज़राइल ने मिस्र के आक्रमण को रोक दिया , जिसके परिणामस्वरूप उस मोर्चे पर एक सैन्य गतिरोध पैदा हो गया, और सीरियाई लोगों को युद्ध – पूर्व युद्धविराम की रेखाओं पर वापस धकेल दिया। इज़राइली तोपखाने ने सीरिया की राजधानी दमिश्क के बाहरी इलाके में गोलाबारी शुरू कर दी।
29. ईरान-इराक युद्ध (वर्ष 1980-1988)– ईरान और इराक़ के बीच
ईरान-इराक युद्ध ईरान और इराक़ के बीच युद्ध सन् 1980-88 के बीच लड़ा गया। इराक और ईरान के बीच छिड़ा यह युद्ध 20 वीं शताब्दी का सबसे लंबा पारंपरिक युद्ध बताया जाता है। इस युद्ध का मुख्य कारण सीमा विवाद था। यह युद्ध दोनों देशों के बीच एक भयानक युद्ध था। 70 के दशक में इराक़ के साथ सीमा विवाद को लेकर जो सन्धि हुई थी, उससे इराक़ सन्तुष्ट नहीं था। उस समय इरान राजनैतिक रूप से कमज़ोर था।
ईरान – इराक़ इस युद्ध में यूरोपीय देशों ने खुद को युद्ध से अलग बताया पर हथियारों के रूप में उन्होंने इराक की मदद की। इराक़ के कुवैत पर आक्रमण के पश्चात अमेरिका व इसके सहयोगी देशों ने इराक़ के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया ,जिसे “खाड़ी युद्ध ” के नाम से जानते हैं। बड़े पैमाने पर इस युद्ध में जो की यह युद्ध दोनों देशों के बीच एक भयानक युद्ध था इन युद्धों के फलस्वरूप देशों को बहुत हानी पहूची।
30. खाड़ी युद्ध (वर्ष 1991) – अमेरिका सहित 39 देशों के सैन्य गठबंधन और इराक के बीच
खाड़ी युद्ध अमेरिका सहित 39 देशों के सैन्य गठबंधन के इराक को पराजित कर दिया। पहला खाड़ी युद्ध इराक और संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, मिस्र, फ्रांस और सऊदी अरब सहित 39 देशों के गठबंधन के बीच लड़ा गया, खाड़ी युद्ध जिसे प्रथम खाड़ी युद्ध के रूप में भी जाना जाता है।
2 अगस्त 1990 – 28 फ़रवरी 1991 संयुक्त राज्य के नेतृत्व में चौंतीस राष्ट्रों से संयुक्त राष्ट्र के अधिकृत गठबंधन बल ईराक के खिलाफ छेड़ा गया युद्ध था, इस युद्ध का उद्देश्य 2 अगस्त 1990 को हुए आक्रमण और अनुबंध के बाद इराकी बलों को कुवैत से बाहर निकालना था। इस युद्ध को इराकी नेता सद्दाम हुसैन के द्वारा सभी युद्धों की मां भी कहा गया है, और इसे सैन्य ईराक युद्ध के नाम से भी जाना जाता है।
इराकी सैन्य बलों के द्वारा कुवैत का आक्रमण जो 2 अगस्त 1990 को शुरू हुआ, कई राष्ट्र खाड़ी युद्ध के गठबंधन में शामिल हो गए। गठबंधन में सैन्य बलों का बहुमत संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब , संयुक्त राष्ट्र और इजिप्ट से प्राप्त हुआ, ये इसी क्रम में अग्रणी योगदान कर्ता देश थे। इराकी सैन्य दलों को कुवैत से निकालने का प्रारंभिक संघर्ष 17 जनवरी 1991 को एक हवाई बमबारी के साथ शुरू हुआ। इसके बाद 23 फ़रवरी को एक जमीनी आक्रमण किया गया।
31.अमेरिका-अफगानिस्तान युद्ध (वर्ष 2001)– अफगानिस्तान के बीच
अमेरिका-अफगानिस्तान युद्ध हुआ, जिसमे अफ़ग़ानिस्तानी चरमपंथी गुट तालिबान शासन समाप्त हुआ। इस युद्ध का मकसद अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सरकार को गिराकर वहाँ के इस्लामी चरमपंथियों को ख़त्म करना है। इस युद्ध कि शुरुआत 2001 में अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमले के बाद हुयी थी। हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज विलियम बुश ने तालिबान से अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन कि मांग की, जिसे तालिबान ने मना कर दिया, और अफ़ग़ानिस्तान में ऐसे कट्टरपंथी गुटों के विरुद्ध युद्ध का ऐलान कर दिया।
कांग्रेस हॉल में बुश द्वारा दिए गए भाषण में बुश ने कहा कि यह युद्ध तब तक ख़त्म नहीं होगा जब तक पूरी तरह से अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में से चरमपंथ ख़त्म नहीं हो,अमेरिका-अफगानिस्तान युद्ध ने अफ़ग़ानिस्तानी चरमपंथी गुट तालिबान क शासन समाप्त हुआ।
32. द्वितीय खाड़ी युद्ध (वर्ष 2003)– अमेरिका एवं इराक के बीच
विश्व के प्रमुख युद्धों में से एक द्वितीय खाड़ी युद्ध अमेरिका एवं इराक के बीच हुआ था। 2003 में इराक पर आक्रमण इराक युद्ध का पहला चरण था। आक्रमण का चरण 19 मार्च 2003 में वायु और 20 मार्च 2003 में जमीन पर शुरू हुआ, और एक महीने से अधिक समय जिसमें 26 दिनों के प्रमुख युद्ध अभियान शामिल थे, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका से सैनिकों की एक संयुक्त सेना थी।
किंगडम, ऑस्ट्रेलिया और पोलैंड ने इराक पर आक्रमण किया। युद्ध का यह प्रारंभिक चरण औपचारिक रूप से 1 मई 2003 को समाप्त हुआ था। अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन ने प्रारंभिक आक्रमण चरण के दौरान 160,000 सैनिकों को इराक में भेजा, जो 19 मार्च से 1 मई 2003 तक चला। लगभग 73 % या 130,000 सैनिक अमेरिकी थे, जिसमें लगभग 45,000 ब्रिटिश सैनिक, 2,000 ऑस्ट्रेलियाई सैनिक थे, और 194 पोलिश सैनिक थे। इस युद्ध का परिणाम 13, 24600 सैनिक का अंत हुआ। और सद्दाम हुसैन के शासन का अंत हुआ।
33. अजरबैजान-आर्मेनिया 1988 और 2020 – अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच
दोनों देशों के बीच, युद्ध का दूसरा दौर 1988 में शुरू हुआ था। जब सोवियत संघ के विघटन की आशंका मंडरा रही थी, ये युद्ध 1994 में तब जाकर ख़त्म हो सका था, जब रूस, फ्रांस और अमेरिका ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता से युद्ध विराम कराया था।
तब बिश्केक घोषणा के ज़रिए, आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच शांति बहाल हुई । यह युद्ध दोनों देशों के बीच एक भयानक युद्ध था। बड़े पैमाने पर इस युद्ध में जो की यह युद्ध दोनों देशों के बीच एक भयानक युद्ध था इन युद्धों के फलस्वरूप देशों को बहुत हानी पहूची। इसके बाद आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच अक्तूबर-नवंबर 2020 में छह सप्ताह चले।
34. रूस-यूक्रेन युद्ध 2022 – रूस और यूक्रेन के बीच
रूस – यूक्रेनी युद्ध फरवरी 2014 में शुरू हुआ यह युद्ध दोनों एक निरंतर और लंबा संघर्ष था, जिसमें मुख्य रूप से एक तरफ रूस और उसकी समर्थक सेनाएं और दूसरी ओर यूक्रेन शामिल था। युद्ध क्रीमिया की स्थिति और डोनबास के कुछ हिस्सों पर केंद्रित है, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूक्रेन के हिस्से के रूप में मान्यता प्राप्त है। रूस और यूक्रेन के बीच तनाव विशेष रूप से 2021 से 2022 तक भड़क उठा, जब यह स्पष्ट हो गया कि रूस यूक्रेन पर सैन्य आक्रमण शुरू करना चाह रहा है। तब फरवरी 2022 में संकट गहरा गया, और रूस को वश में करने के लिए राजनयिक वार्ता विफल हो गई।
इसकी परिणति रूस में 22 फरवरी 2022 को अलगाववादी नियंत्रित क्षेत्रों में सेना के स्थानांतरण के रूप में हुई। रूस – यूक्रेन युद्ध का कारण यूरोप की गैस सप्लाई ने, रूस ने यूक्रेन की मदद कर रहे देशों पर भी दबाव बढ़ा दिया है, दूसरी ओर फिनलैंड और स्वीडन को नाटो में शामिल होने की कोशिशों को लेकर रूस ने चेताया है, कि सहयोगी देश बेलारूस से सटे लिथुआनिया पर कभी भी रूसी हमले का अंदेशा जताया जा रहा है।
इस प्रकर से विश्व के प्रमुख युद्ध हुआ जिनमे जन धन की भारी नुकसान हुआ।