जीवन को बर्बाद कर देने वाले अहंकार आखिर है क्या ? क्या अहंकार स्वंय को खा जाता हैं? क्या जीवन की सफलता में अहंकार ही सबसे बड़ा बाधक हैं? कैसे एक अहंकारी मतवाला हो जाता है? आइये देखे कि अहंकार क्या है ? कैसे होते हैं अहंकारी? अंहकार के संदर्भ में कुछ खास जानकारी…
अहंकार क्या हैं ? किसे कहते है घमंड?
अहंकार या अभिमान एक ऐसी आग है जिसमे जो शामिल होता है। वो उसी में तपता हैं, जलता है और समय रहते घमंड करना नही छोड़े तो उसी आग में जलकर राख हो जाता हैं। मुझे अहंकार नहीं है ऐसा भासित होना सरीखा भयानक अभिमान के अलावा और कुछ नहीं हैं। अभिमान अपने ही दोषों को ढकने के लिए प्रयुक्त मुख्यावरण हैं। अहंकार नर्क का मूल है। अहंकार एक ऐसी महान् दोष है जो जीवन को लील जाता है।
अहंकार का अर्थ क्या हैं ? अभिमान की परिभाषा क्या हैं?
अहंकार हमारे मन मे उठे एक ऐसी भाव हैं जिसमे ऐसा लगता हैं कि मैं ही सब कुछ हूं, मैं ही सब जनता हूं, मेरे अलावा ऐसा कोई नहीं कर सकता, यही भाव अहंकार कहलाता हैं, दुसरो को नीचा दिखाना, अपने आप को ही सर्वोत्तम मानना ही अहंकार है, अभिमान हैं। अहंकार में आदमी मतवाला हो जाता हैं, अंधा हो जाता हैं। उसे सच्चाई नजर नही आता हैं। सच को झूठ साबित करने में लगा रहता हैं।
अहंकारी कैसे होते हैं? अभिमानी कैसा होता हैं?
अहंकारी व्यक्ति बढ़-चढ़कर बातें बनाते रहते हैं। वे सदा अपने मुँह से अपना ही गुणगान करते रहते हैं, जो उनके ओछेपन का ही प्रतीक है। वे अपनी सफलता की शेखी बधारने वाले अहंकारी होते हैं और मूर्ख भी। अभिमानी व्यक्ति स्वयं को ही खा जाता है। धन के मद में मतवाला मनुष्य गिरे बिना होश में नहीं आता। जिसे होश होता है , वह कभी घमंड नहीं करता। अहंकार करना मूर्ख का काम है। यदि तुम्हारा अहंकार चला गया तो किसी धर्म पुस्तक की एक पंक्ति भी पढ़े बगैर व किसी भी मंदिर में पैर रखे बगैर तुम जहाँ बैठे हो, वहीं मोक्ष प्राप्त हो जाएगा।
अहंकार करने से क्या होता हैं ? घमंड करने से क्या होगा?
जो बहुत घमंड करते थे, वही अपने घमंड के कारण गिरे, इसलिए किसी को बहुत घमंड नहीं करना चाहिए । घमंड ही हार का द्वार है। जो व्यक्ति क्रोध और अहंकार से भरा है, जिसमें कपट, कायरता और क्रूरता है, जो निरीह प्राणियों को कूड़ा कचरा समझता है और दूसरों के धन पर आस लगाता है तथा आस पास के वर्ग से सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाता, समाज से उसका अस्तित्व ही मिट जाता है।
अभिमान ने देवदूतों को भी नष्ट कर दिया। जो मनुष्य अहंकार करता है, उसका एक दिन पतन अवश्य होता हैं। सत्ता जिसके हाथ में आती है, वही मदांध होकर बेईमान, दुश्चरित्र और बदनीयत हो जाता है। घमंड से आदमी फूल सकता है, फल नहीं सकता। अभिमान से मनुष्य परमात्मा और जनता से दूर हो जाता है।
घमंड को कैसे दूर करे? अहंकार को कैसे दूर करे? अभिमान को कैसे दूर करे?
घमंड एक ऐसा भाव हैं जिसमे मनुष्य कब फँस जाता हैं उसे इसका पता तक नहीं रहता, इसलिए सदैव अपने जीवन का अवलोकन करना चाहिये, अपने आप को कटघरे में खड़ा कर खुद अपनी अवलोकन करनी चाहिए अपने बोले हुए शब्दों का निष्पक्ष न्याय करना चाहिये, और अगर आप खुद को दोषी पाते हैं तो गलती को स्वीकार करे और समय रहते उस गलती के लिए क्षमा मांगे। अगर समय रहते आप ये समझ जाएंगे कि आपके अंदर अहंकार आ गया है तो उसे दूर करने में आसानी होगा।
अहंकार से कैसे बचें?
किसी भी दशा में अपनी शक्ति पर घमंड न कर। समस्त बड़ी गलतियों की तह में अहंकार ही मूल कारण होता है। धन का घमंड नहीं करना चाहिए। जुगनू सोचते हैं कि हम ही इस संसार को प्रकाश दे रहे है। मगर नक्षत्रों का उदय होते ही जुगनुओं का घमंड शान्न हो जाता है । तब नक्षत्रों को घमंड होता है कि वे ही जगत को प्रकाश दे रहे हैं, पर जब चन्द्रमा उदय होता है, तब नक्षत्र भी मलीन हो जाते हैं। सूर्योदय होने पर चन्द्रमा भी मलीन हो जाता है। धनवान यदि इस पर विचार करें तो उन्हें धमं न रहे।
अहंकार को शून्य करने में प्रार्थना मदद दे सकती है । प्रार्थना कोई यांत्रिक वस्तु नहीं , वह हृदय की क्रिया है । भगवान् की प्रार्थना में सारे भेदों को भूल जाने का अभ्यास हो जाता हैं। किसी भी अवस्था में अहंकार न करें। परमात्मा प्रेम स्वरूप है और प्रेम से ही प्राप्त हो सकता है। दिल में नफरत, द्वेष, क्रोध और अहंकार जैसी बुराइयाँ होने पर परमात्मा को प्राप्त नहीं किया जा सकता।
अपने दुर्गुणों का चिन्तन और परमात्मा के उपकारों का स्मरण यही सच्ची प्रार्थना है। जो हम करते हैं दूसरे भी कर सकते हैं, ऐसा मानें। यदि न मानें तो हम अहंकारी ठहराए जाएंगे। तुम्हारे लिए धर्मपुस्तक, देवालय और प्रार्थना की कोई आवश्यकता नहीं , यदि तुमने अहंकार त्याग दिया है। अहंकारपूर्ण जीवन को छोड़ देना ही त्याग है और वही सौन्दर्य है।
अहंकार न करने का फायदा, जो अहंकारी, अभिमानी न हो वो कैसे होता हैं?
घमंड के बिना ही जीवन व्यतीत किया जाए तो अच्छा है । जो व्यक्ति बिल्कुल धमंड नहीं करता वह इस संसार का सबसे सुखी व्यक्ति होगा। अहंकार आपको उठने नहीं देता और स्वाभिमान आपको गिरने नहीं देता। किसी भी चीज का घमंड न होना ही सर्वोत्तम होता है। अहंकारी या अभिमानी न होने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप लोगो से, समाज से जुड़े रहते है। लोग भी आपसे जुड़े रहते हैं। अहंकारी लोगो को कोई पसंद नही करता हैं। अभिमानियों से सभी दूरी बनाए रखना चाहते हैं।
किसी का घमंड कैसे कम करे?
आप उससे आगे कुछ हासिल कर ले जिससे वो खुद अपने आप को आपके सामने छोटा समझने लगे। आप अपने विचारों से भी उसका घमंड तोड़ सकते है। आपको अपने आप को उस स्तर पर ले जाना पड़ेगा जहां पर ये छोटी छोटी बाते आपको प्रभावित न करे। उसके घमंड के आगे झुक जाएं और जब वह शांत हो जाए, तब प्यार के साथ बौद्धिक प्रहार करे। अगर आप किसी का घमंड चूर करना चाहते हैं तो ऐसे काम करे जिसके कारण वो घमंड कर रहा है। और उस काम मे उससे आगे निकल कर दिखा दे।
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