संकल्प क्या हैं ? इसे कैसे पूरा करे? क्या संकल्प से सब संभव हो जाता हैं?

संकल्प

किसी भी कार्य को पूरा करने लिए संकल्प बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। अगर हम किसी कार्य को संकल्प के साथ पूरा करते हैं। तो वो हजारों कठिनाइयों के आने के बाद भी पूरा होता हैं। इसलिए संकल्प जरूरी भी हो जाता है, तो आइए देखें कि संकल्प क्या हैं ? क्यों कहा गया है इसे शक्तिशाली? क्या सचमुच संकल्प शक्ति द्वारा असम्भव कार्य भी सम्भव हो सकता है? देखे पूरी जानकारी…

प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन के प्रत्येक कार्य में यह अनुभव करता है कि जो कार्य उसने किया है उसके अन्दर किसी न किसी मानसिक शक्ति की आवश्यकता थी कि जिससे वह उस कार्य में सफल हुआ है । प्रत्येक कार्य चाहे वह सुगम हो या कठिन, संकल्प की आवश्यकता रखता है । प्रत्येक मनुष्य के पास स्वाभाविक एक संकल्प – शक्ति होती है कि जिसकी सहायता वे इस संसार में विजय प्राप्त करते है ।

संकल्प क्या हैं? तथा संकल्प की परिभाषा क्या हैं?

संकल्प अर्थात दृढ़ इच्छा शक्ति, या किसी कार्य को करने के लिए दृढ़ निश्चय कर लेना या किसी कार्य को करने के लिए प्रतिज्ञा कर लेना या इरादा बना लेना या मन मे ऐसा विचार बना लेना कि किसी कार्य को हर हालात में पूरा करना हैं। बस यही सब संकल्प है। या इसे ही संकल्प कहते हैं। सामान्य भाषा मे कहा जाए तो संकल्प अर्थात किसी कार्य को करने का वो जुनून हैं। जिसे जब कोई ठान लेता है तो उसे हर हालत में पूरा करता है या पूरा करने के लिए बाध्य हो जाता हैं।

संकल्प का अर्थ क्या हैं ?

संकल्प का अर्थ है किसी अच्छी बात को करने का दृढ निश्चय करना। सनातन धर्म में किसी भी पूजा-पाठ, अनुष्ठान या जाप करने से पहले संकल्प करना अति आवश्यक होता है, और बिना संकल्प के शास्त्रों में पूजा अधूरी मानी गयी है। मान्यता है कि संकल्प के बिना की गई पूजा का सारा फल इन्द्र देव को मिल जाता है।

क्या संकल्प से सफलता मिलेगी ?

चुनौतियों को अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए ऊर्जा मानने वाले व्यक्ति चुनौतियों से कभी घबराते नहीं हैं। जितनी बड़ी चुनौती सामने होती है। उनका उतना ही बड़ा संकल्प होता जाता है। जिसके हाथों में सफलता का हथौड़ा होता है, जिसके मन में दृढ़ता की दीवार निर्मित होती है और जिसके आत्मविश्वास में अखण्ड शक्ति होती है, उसके सामने कोई भी बाधा उसे विचलित नहीं कर सकती है । साधारण-सा-साधारण व्यक्ति अपने संकल्पों से रेगिस्तान में जल की धारा बहा सकता है, बशर्ते वह कठोर परिश्रम और आत्मविश्वास से कभी कमजोर न हो। संकल्प शक्ति से आपके सफलता की एक नई ऊंचाई तक पंहुच सकते हैं।

क्या संकल्प शक्ति से असंभव भी संभव हो जाता हैं ?

संसार में सभी भले कार्य शिव संकल्प से होते हैं, जिसमें संकल्प की शक्ति नहीं, वह कोई सुकार्य नहीं कर सकता । इसलिए वैदिक ऋषियों ने भी यही याचना की थी कि हमारे हृदय में कल्याणकारी संकल्प हों जिससे हम निरन्तर आत्म त्याग के साथ लोक – कल्याण कर सकें।

 

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मनुष्य में शक्ति की नहीं, संकल्प की कमी होती है। अपने भीतर के दोषों का निरीक्षण करो, परीक्षण करो, और अध्ययन करो। तब अपने दोषों को स्वीकार करो। कान पकड़ो और कहो कि इन सब दोषों को बाहर निकालकर ही दम लूँगा। संकल्प करो, दृढ़ संकल्प करो तभी तुम जो चाहो कर सकते हो और जो चाहो बन सकते हो। जीवन और भाग्य तुम्हारे हाथ है।

जब हम कोई कार्य करने की इच्छा करते हैं, तो शक्ति अपने आप ही आ जाती है। जो आदमी संकल्प कर सकता है, उसके लिए कुछ भी असम्भव नहीं । मनुष्य जितना ज्ञानवान और संकल्पवान बनेगा, उसकी इच्छाएँ भी इसी अनुपात में पूर्ण होंग। संकल्प लेकर पुरुषार्थ करने वाले की जीत निश्चित है। इच्छा का मूल संकल्प है। यज्ञ संकल्प से होते हैं। व्रत और धर्मपालन आदि भी संकल्प से ही होते हैं।

दृढ़ संकल्प कैसे लें ? संकल्प कैसे लें?

मैं संकल्प लेता हूँ कि जीवन पथ पर प्रत्येक कदम सोच समझकर रखूगा और आगे बढ़ा कदम पीछे नहीं हटाऊँगा ऐसा सोंच के उठो और संकल्प लेकर कार्य में जुट जाओ। यह जीवन भला है कितने दिन का ? जब तुम इस संसार में आए हो तो कुछ चिन्ह छोड़ जाओ अन्यथा तुममें और पेड़ पौधों इत्यादि में अंतर ही क्या रह जाएगा, वे भी पैदा होते हैं, परिणाम को प्राप्त होते हैं और मर जाते हैं।

मेरे मन के संकल्प शुभ और कल्याणमय हों, ऐसा संकल्प कर लो, सोच समझकर कर लो, परन्तु करने के बाद उसे मत छोड़ो। सत्य संकल्प ही ईश्वर के प्रति सबसे बड़ी निष्ठा है। इतिहास, पुराण सभी साक्षी हैं कि मनुष्य के संकल्प के सम्मुख देव, दानव सभी पराजित होते हैं। दृढ़ संकल्प एक गढ़ के समान है जोकि भंयकर प्रलोभनों से हमको बचाता है, दुर्बल और डाँवाडोल होने से वह हमारी रक्षा करता है।

संकल्प से क्या होता हैं? संकल्प के फायदे क्या है?

अच्छे काम को करने में धन की आवश्यकता कम पड़ती है, पर अच्छे हृदय और संकल्प की अधिक। जब संकल्प दृढ़ हो जाता है , अध्यवसाय अशिक्षित हो जाता है और भगवान के श्री चरणों में अखण्ड विश्वास हो जाता है , तब उद्देश्य की सफलता भी निश्चित हो जाती है। संकल्प की शुद्धि और दृढ़ता ने भगवान् तक को कच्चे धागे में बाँधकर मजबूर कर देता हैं।

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