जगन्नाथ पुरी रथयात्रा | रथयात्रा से जुड़े महत्वपूर्ण जानकारी

जगन्नाथ पुरी रथयात्रा | रथयात्रा से जुड़े महत्वपूर्ण जानकारी

भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरम्भ होती है। यह रथयात्रा पुरी का प्रधान पर्व भी है। इसमें भाग लेने के लिए, इसके दर्शन लाभ के लिए हज़ारों, लाखों की संख्या में बाल, वृद्ध, युवा, नारी देश के सुदूर प्रांतों से आते हैं। श्री जगन्नाथ पुरी रथयात्रा में पारम्परिक सद्भाव, सांस्कृतिक एकता और धार्मिक सहिष्णुता का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है।

रथयात्रा क्यों निकाला जाता है?

पद्म पुराण के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन ने एक बार नगर देखने की इच्छा जताई, तब जगन्नाथ और बलभद्र अपनी लाडली बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने निकल पड़े। इस दौरान वे मौसी के घर गुंडिचा भी गए और यहां सात दिन ठहरे। तभी से जगन्नाथ पूरी रथयात्रा निकालने की परंपरा चली आ रही है।

श्री जगन्नाथ पुरी रथयात्रा माता सुभद्रा के द्वारिका भ्रमण की इच्छा पूर्ण करने के उद्देश्य से माता सुभद्रा की नगर भ्रमण की स्मृति में यह रथयात्रा पुरी में हर वर्ष होती है। कल्पना और किंवदंतियों में जगन्नाथ पुरी का इतिहास अनूठा है। आज भी रथयात्रा में जगन्नाथ जी को दशावतारों के रूप में पूजा जाता है।

जगन्नाथ पुरी रथयात्रा के रथ का रूप श्रद्धा के रस से परिपूर्ण होता है। उसमें चलते समय धूप और अगरबत्ती की सुगंध होती है। इसे भक्तजनों का पवित्र स्पर्श प्राप्त होता है। रथ का निर्माण बुद्धि, चित्त और अहंकार से होती है। ऐसे रथ रूपी शरीर में आत्मा रूपी भगवान जगन्नाथ विराजमान होते हैं।

इस प्रकार रथयात्रा शरीर और आत्मा के मेल की ओर संकेत करता है और आत्मदृष्टि बनाए रखने की प्रेरणा देती है। जगन्नाथ पुरी रथयात्रा के समय रथ का संचालन आत्मा युक्त शरीर करती है जो जीवन यात्रा का प्रतीक है। श्री जगन्नाथ जी का रथ खींचकर लोग अपने आपको धन्य समझते हैं।

जगन्नाथ पूरी रथयात्रा का रथ कितना बड़ा होता है?

जगन्नाथ पुरी रथयात्रा, रथयात्रा से जुड़े महत्वपूर्ण जानकारी

श्री जगन्नाथ पुरी रथयात्रा में तीन रथ होते है जिसमे तालध्वज रथ 65 फीट लंबा, 65 फीट चौड़ा और 45 फीट ऊँचा है। इसमें 7 फीट व्यास के 17 पहिये लगे हैं। भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ 45.6 फीट ऊंचा, बलरामजी का तालध्वज रथ 45 फीट ऊंचा और देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ 44.6 फीट ऊंचा होता है।

रथयात्रा का रथ किस चीज का बना होता है?

जगन्नाथ पुरी रथयात्रा के सभी रथ नीम की पवित्र और परिपक्व काष्ठ (लकड़ियों) से बनाए जाते हैं, जिसे ‘दारु’ कहते हैं। इसके लिए नीम के स्वस्थ और शुभ पेड़ की पहचान की जाती है, जिसके लिए जगन्नाथ मंदिर एक खास समिति का गठन करती है। इन रथों के निर्माण में किसी भी प्रकार के कील या कांटे या अन्य किसी धातु का प्रयोग नहीं होता है। रथों के लिए काष्ठ का चयन बसंत पंचमी के दिन से शुरू होता है और उनका निर्माण अक्षय तृतीया से प्रारम्भ होता है।

रथ यात्रा में कौन कौन सवार होता है?

श्री जगन्नाथ पुरी रथयात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम, उसके पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा व सुदर्शन चक्र और अन्त में गरुण ध्वज पर या नन्दीघोष नाम के रथ पर श्री जगन्नाथ जी सबसे पीछे चलते हैं। बलभद्र जी का रथ तालध्वज और सुभद्रा जी का रथ को देवलन जगन्नाथ जी के रथ से कुछ छोटे होते हैं।

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा कहाँ से कहाँ तक होता है?

श्री जगन्नाथ पुरी रथयात्रा भगवान जगन्नाथ मंदिर से निकलकर नगर भ्रमण करते हुए संध्या तक ये तीनों ही रथ गुंडिचा मन्दिर में जा पहुँचते हैं। अगले दिन भगवान रथ से उतर कर मन्दिर में प्रवेश करते हैं और सात दिन वहीं रहते हैं। गुंडीचा मन्दिर में इन दिनों में श्री जगन्नाथ जी के दर्शन को आड़प-दर्शन कहा जाता है। लक्ष्मी जी को भगवान जगन्नाथ के द्वारा मना लिए जाने को विजय का प्रतीक मानकर इस दिन को विजयादशमी और वापसी को बोहतड़ी गोंचा कहा जाता है।

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा क्यों महत्वपूर्ण है?

शास्त्रों और पुराणों में भी श्री जगन्नाथ पुरी रथयात्रा की महत्ता को स्वीकार किया गया है। स्कन्द पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि रथयात्रा में जो व्यक्ति श्री जगन्नाथ जी के नाम का कीर्तन करता हुआ गुंडीचा नगर तक जाता है वह पुनर्जन्म से मुक्त हो जाता है। जो व्यक्ति श्री जगन्नाथ जी का दर्शन करते हुए, प्रणाम करते हुए मार्ग के धूल-कीचड़ आदि में लोट-लोट कर जाते हैं वे सीधे भगवान श्री विष्णु के उत्तम धाम को जाते हैं।

जो व्यक्ति गुंडिचा मंडप में जगन्नाथ पुरी रथयात्रा के रथ पर विराजमान श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा देवी के दर्शन दक्षिण दिशा को आते हुए करते हैं वे मोक्ष को प्राप्त होते हैं। रथयात्रा एक ऐसा पर्व है जिसमें भगवान जगन्नाथ चलकर जनता के बीच आते हैं और उनके सुख दुख में सहभागी होते हैं।

रथयात्रा कब निकलती है?

हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ पूरी रथयात्रा निकाली जाती है। रथयात्रा के दौरान भगवान तीन अलग-अलग विशाल रथ पर सवार होकर अपने धाम से गुंडिचा मंदिर जाते हैं।

रथयात्रा महोत्सव का आयोजन कहाँ होता है?

भारत के राज्य ओडिशा के तटीय क्षेत्र पूरी जिसे पुरुषोत्तम पुरी, शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है, भगवान श्री जगन्नाथ जी की मुख्य लीला-भूमि है। यही भगवान जगन्नाथ का भव्य मंदिर है। जहां श्री जगन्नाथ पूरी रथयात्रा महाउत्सव आयोजन किया जाता है। श्री जगन्नाथ जी के प्रसाद को महाप्रसाद माना जाता है जबकि अन्य तीर्थों के प्रसाद को समान्यतः प्रसाद ही कहा जाता है।

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