ब्रिटिश शक्ति का उदय | Rise of British Power in India

भारत में ब्रिटिश शक्ति का उदय | Rise of British Power in India

अंग्रेज अर्थात ब्रिटिश कंपनियों ने भारत मे करीब 200 साल तक राज किया। लेकिन क्या आप जानते है कि भारत मे ब्रिटिश शक्ति का उदय किस प्रकार हुआ? कैसे भारत पर एक विदेशी कंपनी का कब्जा हो गया? ऐसी कौन कौन से वजह थी कि भारत जैसे विशाल क्षेत्र पर एक अंग्रेजी कंपनी ने कब्जा कर लिया ? अगर आप भी इन सवालों के जवाबो को जानना चाहते है तो आइये देखते है? इस आर्टिकल को विस्तार से।

भारत मे ब्रिटिश शक्ति का उदय

यह साम्राज्य यूरोप खोज युग का परिणाम था जो 15 वीं शताब्दी के ज्ञानोद यात्राओं के साथ शुरू हुआ, जिसके कारण यूरोपीय औपनिवेशिक साम्राज्यों का निर्माण हुआ। 1921 तक, ब्रिटिश साम्राज्य की आबादी 45 करोड़ थी। यह उस समय विश्व की कुल आबादी का चौथाई हिस्सा था जो केवल ब्रिटेन की सरपरस्ती के अंतर्गत था।

भारत में अंग्रेजों का आगमन

इस आर्टिकल की प्रमुख बातें

इंग्लैंड के प्रमुख पूँजीपतियों द्वारा 31 दिसंबर 1600 को ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की गई। इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने उसे 15 वर्षों के लिए एक चार्टर द्वारा व्यापारिक एकाधिकार प्रदान किया। 1608 में कैप्टन हॉकिंस के नेतृत्व में प्रथम अंग्रेजी जहाजी बेड़ा भारत पहुँचा। इस प्रकार अंग्रेज भारत आये।

भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी

दक्षिण भारत के पूर्वी तट पर स्थित मद्रास अंग्रेजों का प्रमुख व्यापारिक केंद्र था। उसके समीप ही पांडिचेरी फ्रांसीसियों का केंद्र था। यह क्षेत्र उस समय कर्नाटक राज्य के नवाब के अधीन था अतः दोनों देशों का उद्देश्य वहाँ के नवाब से अपने-अपने व्यापारिक लाभ के लिए ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाना था। इसी समय कर्नाटक राज्य में उत्तराधिकार के लिए संघर्ष शुरू हो गया। इससे फ्रांसीसी एवं अंग्रेजों को कर्नाटक की राजनीति में शामिल होने का अवसर मिला और अंग्रेजों ने दूसरे का पक्ष लिया।

व्यापारिक सुविधा एवं युद्ध

इस समय बंगाल भी एक सम्पन्न और स्वतंत्र राज्य था जिसमें उस समय बिहार और उड़ीसा भी शामिल थे। यहाँ से बड़े पैमाने पर विदेशी व्यापार होता था। ढाका, पटना और मुर्शिदाबाद यहाँ के प्रमुख व्यापारिक केंद्र थे। इस काल में यहाँ कृषि – व्यापार और उद्योगों का विकास हुआ और राजस्व आय में वृद्धि हुई। 1756 में बंगाल के नवाब अली वर्दी खाँ की मृत्यु के बाद सराजुद्दौला नवाब बना।

अँग्रेज और फ्रांसीसी दोनों उन्हें मिली व्यापारिक सुविधाओं का दुरुपयोग कर किलेबंदी करने लगे। सिराजु प्रयास किया तो अँग्रेज नहीं माने, उल्टे उन्होंने नवाब के सेनापति मीर जाफर को अपने मे मिला लिया और कूटनीति से 23 जून 1757 को प्लासी का युद्ध जीत गई। अंग्रेजों ने यहाँ बहुत धन वसूल किया और इस प्रकार ब्रिटिश शक्ति का उदय होने लगा।

भारत पर अँग्रेजों की विजय, भारत मे ब्रिटिश शक्ति का उदय

औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य का पतन बड़ी तेजी से हुआ। छोटे – छोटे राज्यों के आपसी संघर्षों के कारण भारत का राजनैतिक ढाँचा डगमगाने लगा था। भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से आए पुर्तगाली, फ्रांसीसी, अँग्रेज और डच इन परिस्थितियों का लाभ उठाकर अपना व्यापारिक एकाधिकार स्थापित करने लगे। एकाधिकार पाने के लिए इनमें संघर्ष होने लगे जिसमें अन्ततः अँग्रेजों की जीत हुई और 1757 ई. में प्लासी के युद्ध के बाद बंगाल पर अँग्रेजों का प्रभुत्व स्थापित हो गया। इस प्रकार भारत मे ब्रिटिश शक्ति का उदय हो गया।

अगले सौ सालों में 1857 ई. तक लगभग पूरा भारत ही कम्पनी शासन के अधीन आ गया था। 1857 ई. के सैनिक विद्रोह के कारण ब्रिटेन की सरकार ने कम्पनी के हाथों से भारत का शासन लेकर स्वयं को भारत का शासक घोषित कर दिया। 1877 ई. में ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया ने भारत साम्राज्ञी की पदवी धारण की जो पहले मुगल सम्राटों की पदवी होती थी।

कंपनी की शक्ति का प्रसार मुख्यतः दो रूपों लिया। इनमें से पहला भारतीय राज्यों के एकमुश्त राज्य हरण और अंतर्निहित क्षेत्रों, जो सामूहिक रूप से ब्रिटिश भारत समावेश के बाद प्रत्यक्ष शासन पर कब्जा कर लिया। जिसमे उत्तरी प्रांतों ( रोहिलखंड , गोरखपुर और दोआब शामिल ) (1801), दिल्ली (1803) और सिंध (1843) क्षेत्र शामिल हैं।

भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के संस्थापक लॉर्ड रॉबर्ट क्लाइव अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत में नियुक्त होने वाला प्रथम गवर्नर था। कंपनी ने उसे सन् 1757 में बंगाल का गवर्नर नियुक्त करके भारत भेजा था। रॉबर्ट क्लाइव को भारत में अंग्रेजी शासन का संस्थापक माना जाता है।

भारत में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन

अँग्रेजों ने अपने उत्पादनों की खपत के लिए भारतीय बाजारों पर अपना एकाधिकार स्थापित कर लिया था। यहाँ के प्राकृतिक संसाधनों का अधिकाधिक दोहन करने के उद्देश्य से उन्होंने भारत में यातायात एवं संचार व्यवस्था को विकसित किया। चाय, कॉफी और नील की खेती करने वाले बागान मालिकों को अतिरिक्त सुविधाएँ देने की घोषणा की।

अँग्रेज व्यापारियों को आयात – निर्यात करों से मुक्त कर दिया गया था, जबकि भारतीय व्यापारियों पर कई प्रकार के टैक्स लगाए गए थे। भारत में अंग्रेजों ने जनमत पर नियंत्रण रखने के लिए उद्देश्य से प्रेस कानून बना दिया। उन्होंने महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर भारतीयों को कभी नियुक्त नहीं किया। सार्वजनिक जीवन में भी अँग्रेज भारतीयों के साथ अभद्र व्यवहार करते थे जिससे उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती थी।

इस प्रकार भारत मे ब्रिटिश शक्ति उदय हुआ और भारत पर करीब 200 सालों तक राज किया। ब्रिटिश शासन ब्रिटिश राज का इतिहास, 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश शासन की अवधि को संदर्भित करता है। ब्रिटिश सरकार को पहली चुनौती दी गई ब्रिटिश यानी अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी राज के खिलाफ।भारतीय सैनिकों ने 10 मई 1857 को संगठिक क्रांति की शुरुआत की थी। यह संग्राम मेरठ में शुरू हुआ और बहुत जल्द ही देश के कई महत्वपूर्ण स्थान पर भी तेज गति से पहुंच गया।

भारत मे ब्रिटिश शक्ति का उदय होने से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब

ब्रिटिश शक्ति का उदय

भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना कब हुई थी?

इंग्लैंड के प्रमुख पूँजीपतियों द्वारा 31 दिसंबर 1600 को ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की गई। इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने उसे 15 वर्षों के लिए एक चार्टर द्वारा व्यापारिक एकाधिकार प्रदान किया। 1608 में कैप्टन हॉकिंस ने नेतृत्व में प्रथम अंग्रेजी जहाजी बेड़ा भारत पहुँचा।

भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के संस्थापक कौन थे?

लॉर्ड रॉबर्ट क्लाइव अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत में नियुक्त होने वाला प्रथम गवर्नर था। कंपनी ने उसे सन् 1757 में बंगाल का गवर्नर नियुक्त करके भारत भेजा था। रॉबर्ट क्लाइव को भारत में अंग्रेजी शासन का संस्थापक माना जाता है।

ब्रिटिश शासन कब से कब तक रहा?

ब्रिटिश राज का इतिहास, 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश शासन की अवधि को संदर्भित करता है।

भारत पर ब्रिटिश संसद का आधिपत्य कब स्थापित हुआ?

2 अगस्त 1858 को ब्रिटिश संसद ने एक एक्ट पारित किया। इसे भारत सरकार अधिनियम 1858 नाम दिया गया। इसके तहत भारत का शासन ब्रिटिश क्राउन के हाथों में चला गया और भारत के ऊपर इंग्लैंड की संसद का सीधा कंट्रोल हो गया। भारत में प्रशासन के लिए सचिव नियुक्त किया गया, जो महारानी के प्रति जवाबदेह होता था।

भारत में ब्रिटिश राज्य की स्थापना के क्या कारण थे?

अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 31 दिसंबर 1600 के दिन एक शाही आदेशपत्र (रॉयल चार्टर) के द्वारा लंदन के उन सौदागरों की एक संयुक्त स्टॉक कंपनी के रूप में हुई थी जो पूरब के व्यापार में डचों की प्रतियोगिता का मुकाबला करने के लिए एक हुए थे।

अंग्रेज सबसे पहले कब आए?

अंग्रेजों का सबसे पहले आगमन भारत के सूरत बंदरगाह पर 24 अगस्त 1608 को हुआ। अंग्रेजों का उद्देश्य भारत में अधिक से अधिक व्यापार करके यहां से पैसा हड़पना था। 1615 ईसवी में जहांगीर के शासनकाल में “सर टॉमस रो” को अंग्रेजों ने अपना राजदूत बनाकर जहांगीर के दरबार में भेजा।

भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की स्थापना और प्रसार के लिए अंग्रेजों ने क्या उपाय किये?

उन्होंने अंग्रेजी साम्राज्य विस्तार के लिए 3 तरीकों को अपनाया। वे थे युद्ध एवं विजय, सहायक सन्धि प्रणाली तथा विलेय की नीति को अपना कर क्षेत्रों का अधिग्रहण आरम्भिक तरीके पूर्णतया सैन्य अभियान अथवा राज्यों का प्रत्यक्ष अधिग्रहण था, ये वे क्षेत्र थे जिन्हें पूर्ण रूप से अंग्रेजों का भारत कहा जाता था।

भारत आने वाला प्रथम अंग्रेज कौन था?

माना जाता है कि भारत पहुंचने वाला पहला ब्रिटिश व्यक्ति थॉमस स्टीफंस नाम का एक अंग्रेजी जेसुइट पुजारी और मिशनरी था, जो अक्टूबर, 1579 में गोवा पहुंचा था। किस सन में अंग्रेजों का पूर्णतया शासन भारत पर शुरू हुआ था?

भारत में अंग्रेजों का अंतिम शासक कौन था?

लॉर्ड कैनिंग (1858 ई. से 1862 ई.) यह 1856 ई.

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