स्वभाव क्या है | स्वभाव कैसा होना चाहिए | स्वभाव की परिभाषा
स्वभाव क्या है : स्वभाव का अर्थ है व्यक्ति का मूल गुण या प्रकृति। मन के मनन के अनुसार कर्म करने की आदत होने पर स्वभाव में सरलता आती है। मनन के विपरीत आचरण करने को स्वभाव की वक्रता कहते हैं। सरल स्वभाव में जैसे हम अंदर से हैं, वैसे ही बाहर से होते हैं, परंतु जब हम बनावटी व्यवहार या छल – कपट करते हैं तो हमारे मन में कुछ होता है और वाणी व व्यवहार में उससे अलग दिखाई देता है।
हमारा स्वभाव कैसा होना चाहिए
मनुष्य को प्रकृति द्वारा मन तथा शरीर प्राप्त हुआ है, जिससे वह व्यवहार अथवा आचरण करता है। सोचना, भावुक होना इत्यादि मन की विशेषताएं है अच्छा स्वभाव वह खूबी है जो सदा के लिए सभी का प्रिय बना देता है । कितना भी किसी से दूर हों पर अच्छे स्वभाव के कारण आप किसी न किसी पल यादों में आ ही जाते हो। इसलिए स्वभाव भी इंसान की अपनी कमाई हुयी सबसे बड़ी दौलत है।
अपने स्वभाव को बनाये प्रकृति के अनुरुप
प्रत्येक व्यक्ति अपने साथ एक सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक प्रभाव लाता है। जब वह आपके सम्मुख आता है, तो आपकी अन्तरात्मा तुरन्त यह बताती है कि वह अच्छा है, बुरा है, पवित्र है, या लफंगा है। गन्दी प्रवृत्ति वाला व्यक्ति अपने हाव भाव, नेत्रों, मुख, क्रियाओं, तथा दृष्टि भेद से अपनी आन्तरिक गन्दगी स्पष्ट कर देता है। स्त्रियों में मनुष्य के चरित्र को पढ़ लेने की अद्भुत क्षमता होती है। वे गन्दे व्यक्ति को एक दम ताड़ लेती है। सात्विक मनुष्य का दिव्य प्रभाव भी सूक्ष्म तरंगों में निकल कर दूसरों पर पड़ता है। उसकी क्रियाओं तथा वेशभूषा एकदम उसकी सत् प्रवृत्तियाँ प्रकट कर देती हैं। दूसरे के विषय में आपका अन्तःकरण जो गवाही देता है।
व्यक्ति का स्वभाव
किसी व्यक्ति के स्वभाव के आंतरिक अंश हर क्षण लगातार प्रकट होते हैं। कोई व्यक्ति चाहे कुछ भी करता हो, उससे उस व्यक्ति का स्वभाव प्रकट हो सकता है। लोगों के कुछ भी करने के अपने उद्देश्य होते हैं, चाहे वह आतिथ्य प्रदान करना हो, शुभ समाचार का प्रचार करना हो, या किसी भी अन्य तरह का कार्य हो, वे बिना चेतना के अपने स्वभाव के कुछ हिस्सों को प्रकट कर सकते हैं, क्योंकि उनका स्वभाव उनका जीवन है, और जब तक वे जीवित रहते हैं, तब तक लोग अपने स्वभाव के अनुसार चलते हैं।
किसी व्यक्ति का स्वभाव केवल कुछ अवसरों पर या संयोग से प्रकट नहीं होता है, बल्कि, यह पूरी तरह से व्यक्ति के सार का प्रतिनिधित्व कर सकता है, और जो भी व्यक्ति की हड्डियों और रक्त के भीतर बहता है, वह उसके स्वभाव और जीवन का प्रतिनिधित्व करता है। कुछ लोगों को सुंदर महिलाएं पसंद होती हैं। कुछ लोगों को पैसे से प्रेम होता है। कुछ विशेष रूप से हैसियत को पसंद करते हैं। कुछ विशेष रूप से प्रतिष्ठा और व्यक्तिगत छवि को मूल्यवान समझते
स्वभाव पे विद्वानों का स्वभाव कैसा हैं ? देखे पूरी जानकारी।
स्वभाव क्या है? क्या यह बदला जा सकता है? किस स्वभाव के व्यक्ति को अच्छा कहा गया है और किसे बुरे की संज्ञा दी गई है? अच्छे स्वभाव से क्या – क्या प्राप्त होता है और बुरे स्वभाव से क्या हानियाँ हैं? आइये जानें की स्वभाव पे विद्वानों का स्वभाव कैसा हैं…
- उपदेश से स्वभाव नहीं बदला जा सकता। गरम किया हुआ पानी फिर शीतल हो जाता है। -पंचतंत्र
- मैं नरक में जाने से नहीं डरता यदि पुस्तकें मेरे साथ हों, मैं नरक को स्वर्ग बना दूंगा। -लोकमान्य तिलक
- स्वभाव इन्सान को जन्म से मिलता है और शिक्षा तथा संगति से उसे सुधारा जा सकता है। -प्रेमचन्द
- अच्छा स्वभाव शहद की मक्खी की तरह है, जो प्रत्येक झाड़ी से शहद ही निकालती है। -बीचर
- जल तो आग की गरमी पाकर ही गरम होता है, उसका अपना स्वभाव तो ठण्डा ही होता है। -कालिदास
- वैवाहिक जीवन में तो पति – पत्नी का स्वभाव ही जीवन की बुनियाद है। -अज्ञात
- इस दुनिया में किसी भी व्यक्ति का स्वभाव प्राकृतिक रूप ऐसा नहीं है जिसे कम्पलीट कहा जा सके। उसे आवश्यकता होती है देखभाल की, आत्मसयम की। -एस.मार्डेन
- जिसका जो स्वाभाविक गुण है, उसे उससे वंचित करने की क्षमता किसी में भी नहीं होती है। हंस का स्वाभाविक गुण है कि वह दूध और पानी को अलग कर सकता है। स्वयं कार्य में असमर्थ है। हंस के कुपित होने पर विधाता इस विधाता उसका निवास स्थान छीन सकता है किन्तु उसके नीरक्षीर विवेक को बुद्धि को नहीं छीन सकता। -भर्तृहरि
- कोई व्यक्ति अचानक स्वभाव के विपरीत आचरण करे, तब शंका कीजिए। -प्रेमचन्द
- स्वभाव के अनुसार उन्नति कीजिए, संस्कार स्वयं आपके पास चले आएँगे। – स्वामी विवेकानन्द।
- हमारे स्वभाव का प्रभाव हमारे परिवार के दूसरे किसी सदस्य की उन्नति या अवनति पर भी पड़ता है । – डी.पाल
- स्वभाव की उग्रता झगड़े की आग को भड़काती है, परन्तु बिलंब से क्रोध करने वाला व्यक्ति अपने मधुर वचन से बुझा देता है – नीति वचन
- लोगों को निन्दा में ही आनन्द आता है। सारे रसों को चखकर भी कौआ गन्दगी से ही तृप्त होता है। -वेद व्यास
- स्वभाव ही मनुष्य के जीवन का स्वर्ग या नर्क निर्धारित करता है। -डी . बारिया
- एक चोट को आदमी शीघ्र भूल जाता है लेकिन अपमान देरी से। -चेस्टर फील्ड
- स्वभाव कच्ची मिट्टी की भाँति होता है जिसकी कोई शक्ल 1 नहीं होती इसे आकृति देने की आवश्यकता होती है – संत वाणी
- जिसका जो स्वभाव है, उसे छुड़ाना कठिन है। यदि कुत्ता राजा बना दिया जाए, तो क्या वह जूता नहीं चबाएगा -हितोपदेश
- दया मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। -प्रेमचन्द
- व्यक्ति के स्वभाव पर उसका भविष्य निर्भर करता है। -प्रेमचन्द
- अगल – बगल देख – समझकर व्यवहार करने वाला कभी धोखा नहीं खाता। -चीनी कहावत घर की खुशहाली में स्वभाव का बड़ा महत्व होता है। – स्वेट मार्डेन
- अच्छा स्वभाव सुंदरता की पूर्ति कर देता है, परन्तु सुंदरता अच्छे स्वभाव की कमी की पूर्ति नहीं कर सकती। -जवाहरलाल नेहरू
- यदि हम आत्मिक सुख चाहते हैं, तो हमें हँसते – हँसते जीवन गुजारना होगा और इसके लिए आवश्यकता है स्वभाव को अनुकूल बनाने की। – सूक्ति ग्रंथ
- आप मुझसे यह न कहो कि आप मुझसे सहमत हैं। जब लोग मुझसे सहमति प्रकट करते हैं तो मैं सदैव यह सोचता हूँ मैं गलती पर था। – आस्कर वाइल्ड
- जन्म – जन्मांतरों में किए गए कर्मों की निरंतरता का परिणाम होता है स्वभाव। नकारात्मक स्वभावों या आदतों को तोड़ने के लिए सद्विचार श्रेष्ठ साधन है। -वेदान्त तीर्थ
- अधम मनुष्य धन को चाहते हैं, मध्यम वर्ग के लोग धन और मान दोनों चाहते हैं किन्तु उत्तम वर्ग के लोग केवल मान चाहते हैं, क्योंकि मान ही सब धन से बड़ा है। -चाणक्य
- स्वभाव हमारी नैसर्गिक प्रवृत्तियों की दस गुना अभिव्यक्ति -विलिंग्टन
- स्वभाव सबका भिन्न – भिन्न होता है। न किसी के बनाने से बनता है न बिगाड़ने से बिगड़ता है। -प्रेमचंद
मनुष्य को हमेशा अपने स्वभाव को सरल रखना चाहिए क्योंकि सरल स्वभाव हर जगह अनुकूल होता हैं दोस्तो उम्मीद है कि आपको ये पोस्ट पसंद आया हो। इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे। धन्यवाद!