बाढ़ क्या हैं बाढ़ के प्रकार, कारण, नुकसान और लाभ क्या क्या है?

बाढ़ क्या हैं बाढ़ के प्रकार, कारण, नुकसान और लाभ क्या क्या है?

बाढ़ एक ऐसी सामान्य प्राकृतिक आपदा है जो हर साल आता है और बाढ़ आने से पहाड़ से लेकर मैदान तक आफत बन जाती है। लेकिन क्या जानते है कि ये आती कहाँ से है? बाढ़ क्या है? बाढ़ के प्रकार, कारण, नुकसान और लाभ क्या क्या है? अगर आप भी इन सवालों के जवाब जानना चाहते है तो इस पोस्ट को अंत तक पढ़े।

बाढ़ क्या है?

बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है जो किसी क्षेत्र में अत्यधिक पानी के जमा होने के कारण होती है। यह अक्सर भारी बारिश का नतीजा है। जिसमें जल का अस्थायी अतिप्रवाह होने से अत्यधिक जलजमाव सूखी भूमि हो जाता हो, उसे बाढ़ या सैलाब कहते हैं और अंग्रेजी भाषा में फ्लड (Flood) कहते हैं।

क्यों आती बाढ़ है?

बाढ़ तब आती है जब पानी समुद्रों, महासागरों, तालाबों, झीलों, नहरों, या नदियों समेत तमाम जल निकायों से ओवरफ्लो हो जाता है, जिससे सूखी जमीन जलमग्न हो जाती है। बाढ़ खास तौर से भारत में सबसे आम और गंभीर प्राकृतिक मौसमी घटना है, जिससे जीवन, संपत्ति और आजीविका का भारी नुकसान होता है।

बाढ़ कैसे बनती है?

भारी बारिश, नदियों और महासागरों जैसे जल निकायों से पानी के अतिप्रवाह, ग्लेशियर पिघलने, तूफान और तटीय किनारों के साथ तेज हवाओं के कारण बाढ़ की स्थिति बनती हैं। जब अत्यधिक मात्रा में जल निकलने के लिए अच्छी जल निकासी प्रणाली की कमी होती है तब यह पानी बाढ़ का कारण बनता है।

बाढ़ कितने प्रकार होते हैं?

बाढ़ आपदा कई प्रकार से हो सकती है जैसे- आकस्मिक, नदी, ज्वार के द्वारा तथा बांधें के टूटने के कारण होने वाली बाढ़। बाँध अथवा बंधों के टूटने के कारण बाढ़, लगातार अधिक वर्षा से बाँधें के टूटने की स्थिति द्वारा घटित होती है। भूमि के निरन्तर क्षरण से भी इस प्रकार का प्रभाव देखा गया है।

आकस्मिक बाढ़

आकस्मिक बाढ़ एक स्थानीय परिस्थिति होती है जिसमें वर्षा के जल कीे मात्रा कम अवधि में अधिकतम हो जाती है। कुछ ही देर में नदी, नाले और जल निकास के सभी मार्ग जल मग्न हो जाते हैं और एक विकट स्थिति पैदा हो जाती है, फलस्वरूप जान-माल की क्षति होती है। तीव्र वर्षा या बादल फटने से ही इस प्रकार की बाढ़ आती है। किसी हिम पिंड के अचानक टूटने से भी इसी प्रकार का प्रभाव देखने को मिलता है। जल का अधिक ऊर्जावान होना, ऊँची जल तरंग के रूप में उठनें से सड़क, पुल, भवन और अन्य निर्माण के कार्य मिनटों में बादल फटने से आयी आकस्मिक बाढ़ से ध्वस्त हो जाते हैं। इस प्रकार की आपदा अचानक बाढ़ पर्वतीय क्षेत्र मेंअधिक देखी गई है। इस प्रकार के जल में अधिक बड़े पत्थर, अवसाद, टूटे वृक्ष और अधिक मृदा की मात्र रहती है। जिससे अधिक नुकसान होता है।

बांधो के टूटने से बाढ़

बांध टूटने से विकराल जल नीचले स्तर क्षेत्र में पहुँच कर आपदायिक बाढ़ का रूप ले लेता है। यद्यपि यह प्राकृतिक आपदा का कारण तो नहीं है किन्तु बाढ़ की विकट स्थिति, निचले क्षेत्र में तबाही मचा देती है। बांध का टूटना अत्यधिक वर्षा व निरन्तर बाढ़ व भूमि अपरदन के कारण हो सकता है।

नदियों की बाढ़

नदियों का बाढ़ व्यापक क्षेत्र में वर्षा एवं हिमनदों के पिघलने से घटित होती है। व्यापक क्षेत्र और समय अवधि के कारण नदियों की बाढ़ अचानक बाढ़ की स्थिति से भिन्न होती है। जहाँ आकस्मिक बाढ़ छोटी नदियों में कम अवधि में अपनी भीषणता दर्शाती है, वहीं नदियों की बाढ़ किसी नदी-प्रणाली में व्यापक भौगोलिक क्षेत्र में अपना प्रभाव दिखाती है। नदी की बाढ़ एक नदी के बेसिन में ही सीमित होती है और इस प्रकार की बाढ़ का प्रकोप कुछ घंटों से कई दिनों तक बना रह सकता है। इस प्रकार के बाढ़ से नदी किनारे बसे जन जीवन ज्यादा प्रभावित होती है।

बाढ़ क्या हैं बाढ़ के प्रकार, कारण, नुकसान और लाभ क्या क्या है?

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भारत में बाढ़ आने का क्या कारण है?

बाढ़ के सामान्य कारण भारी वर्षा, तेजी से बर्फ पिघलना या उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में तूफान हैं। नदी के पानी का अतिप्रवाह (मानसून की भारी बारिश और नदी चैनलों के भारी अवसादन के कारण) पूर्वी भारत में बाढ़ का प्रमुख कारण है, जबकि फ्लैश फ्लड (छोटी अवधि के भीतर भारी बारिश) पश्चिमी भारत में बाढ़ का प्रमुख कारण है।

बाढ़ से संपत्ति और मानव जीवन को गंभीर नुकसान हो सकता है, इसलिए उनका प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है। हर साल, सरकार द्वारा बाढ़ आपदा प्रबंधन पर कई परियोजनाएँ शुरू की जाती हैं। ये परियोजनाएँ इस आपदा से होने वाले नुकसान का प्रबंधन करती हैं। ये संगठन भारत में बाढ़ और उनसे होने वाले नुकसान के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार हैं।

भारत में बाढ़ कहाँ कहाँ आता है? भारत के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र कौन कौन से हैं?

हिंदुस्तान विश्व का दूसरा बाढ़ प्रभावित देश है। राष्ट्रीय बाढ़ आयोग ने 40 मिलियन हेक्टेयर भूमि क्षेत्र को बाढ़ के खतरे के रूप में नामित किया है, और देश के 23 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश बाढ़-प्रवण हैं। बाढ़ के सबसे अधिक खतरे वाले भारतीय राज्यों में असम, पश्चिम बंगाल और बिहार हैं। इनके अलावा, उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित उत्तर भारत की अधिकांश नदियाँ कभी-कभी बाढ़ की चपेट में आ जाती हैं।

ऐसा देखा गया है कि गुजरात, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में हाल ही में अचानक आई बाढ़ के कारण बाढ़ आ गई है। यह कुछ हद तक मानसून के बदलते पैटर्न और कुछ हद तक अधिकांश जलधाराओं और नदी प्रणालियों में मानवीय गतिविधि से संबंधित रुकावट के कारण है। लौटते मानसून के कारण, तमिलनाडु में कभी-कभी नवंबर और जनवरी के बीच बाढ़ आता है।

बाढ़ के प्रभाव क्या हैं?

बाढ़ के कारण पूरे क्षेत्र की मृदा सतह की और जन-धन की क्षति तो होती है, जन पलायन भी एक बड़ी समस्या है। संपर्क व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो जाती है। बाढ़ से आर्थिक प्रभाव, कृषि क्षेत्र में नुकसान, फसल का नुकसान, पेय जल की समस्या और स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अक्सर बाढ़ के प्रभाव दीर्घकालिक होते हैं और इससे जुड़े समुदायों के लिए यह बहुत महंगा, विघटनकारी और कष्टकारी हो सकता है।

जैसे ही बाढ़ का पानी फैलता है, वे जीवन को खतरे में डाल सकते हैं, संपत्तियों और व्यवसायों को बाढ़ बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं, सामान नष्ट कर सकते हैं, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा सकते हैं और आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच को रोक सकते हैं।

खेत अक्सर बाढ़ के पानी से भर जाते हैं, जिससे यह अनुपयोगी हो जाता है और फसलों की बुआई या कटाई में बाधा आती है, जिसके परिणामस्वरूप लोगों और खेत जानवरों दोनों के लिए भोजन की कमी हो सकती है। अत्यधिक बाढ़ की स्थिति के परिणामस्वरूप पूरे देश की फसल का नुकसान हो सकता है। कुछ वृक्ष प्रजातियाँ बार-बार जड़ प्रणाली में बाढ़ को सहन नहीं कर सकती हैं। पर्यटन में अस्थायी गिरावट, पुनर्निर्माण की लागत, या आपूर्ति की कमी के कारण भोजन की कीमतें बढ़ने के कारण गंभीर बाढ़ के कारण अक्सर आर्थिक कठिनाई होती है।

बाढ़ आने से क्या लाभ होता है?

दरअसल बाढ़ का पानी अपने साथ पहाड़ों से उपजाऊ गाद (मिट्टी) मैदानों की तरफ लाता है। ये गाद (मिट्टी) काफी उपजाऊ होती है। बाढ़ के पानी के साथ बहकर आने से मैदानी इलाकों में इस उपजाऊ मिट्टी की एक लेयर (परत) बन जाती है। जिससे खेतों में मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और फसल काफी अच्छी होती है। दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप,असम में माजुली, ब्रह्मपुत्र की वार्षिक बाढ़ के बाद धान के सफल खेतों का सबसे अच्छा उदाहरण है। बाढ़ आने से क्षेत्र में नए शिकार और शिकारियों को लाकर समुद्री आबादी को संतुलित किया जाता है। भूजल पुनर्भरण और स्वाभाविक रूप से उच्च उत्पादकता बाढ़ के लाभ हैं।

बाढ़ को कैसे रोका जा सकता है?

नदियों पर बांध बनाकर और पेड़ लगाकर बाढ़ को रोका जा सकता है। बांध बाढ़ के पानी को पकड़ लेते हैं और या तो इसे नियंत्रित तरीके से बहने वाली नदी में छोड़ देते हैं या अन्य प्रयोजनों के लिए पानी का उपयोग करते हैं। पेड़ मिट्टी के कटाव को रोकते हैं और वन क्षेत्र भी बाढ़ के लिए अवरोधक का काम करते हैं।

जलग्रहण क्षेत्र मे वृक्षारोपण कर मृदा अपरदन की दर कम करके विभिन्न भागों मे बोरिंग कर डग कुओं का निर्माण किया जाये। इससे एक ओर भूमिगत जल के स्तर मे वृद्धि होगी तथा दूसरी ओर धरातलीय जल प्रवाह की मात्रा मे भी कमी होगी, जिससे इसके प्रकोप को कम किया जा सकेगा। मुख्य नदी की सहायक नदियों पर छोटे-छोटे जलसंग्रह बाँध अनेक स्थानों पर निर्मित किये जाये, जिससे मुख्य नदी मे जल के आयतन मे अधिक वृद्धि नही होगी तथा बाढ़ के प्रकोपों से होने वाली हानियों को कम करने मे सफलता प्राप्त होगी। इसके अलावा मुख्य नदी के अतिरिक्त जल को अन्य चैनल निर्मित कर वितरित कर देना चाहिए, ताकि बाढ़ का प्रकोप कम हो सके।

बाढ़ से बचने के उपाय

बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा लगभग निश्चित क्षेत्रों में घटित होती है तथा ये अधिकांश मानसूनी वर्षा की अधिकता के कारण नदियों में आने वाले उफान के कारण आती है इसलिए इस आपदा का अच्छी तरह से प्रबंध करते हुए इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। इसके लिए सरकार को चाहिए कि वह अत्यधिक प्रभावित क्षेत्रों में प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना करें इसमें गैर सरकारी संगठनों तथा निजी सामाजिक संस्थाओं का सहयोग लिया जा सकता है।

इससे संबंधित सूचनाओं की पहुंच इससे प्रभावित लोगों तक शीघ्रता से पहुंचे तथा राहत व बचाव के उपायों की जानकारी का प्रसारण किया जा सकता है तथा राहत व बचाव कार्यों को समय पर उपलब्ध करवाया जाना चाहिए। ढांचागत उपायों में उच्च तकनीकी के द्वारा बांधों तथा सड़कों का निर्माण किया जाना तथा आवश्यकतानुसार ऊंचाई पर सड़कों का निर्माण भवनों के निर्माण आपदाओं को मद्देनजर रखते हुए किया जाना चाहिए, बाढ़ प्रभावित इलाकों में सघन वृक्षारोपण प्रभावी सिद्ध होगा।

बाढ़ आने पर क्या करे?

  • इस दौरान सभी गैस और बिजली के डिवाइस को बंद कर दें।
  • बाढ़ के पानी के सीधे संपर्क से बचें। यह तेल, रसायन, धारेदार वस्तुओं, मल और अन्य हानिकारक पदार्थों से दूषित हो सकता है।
  • बाढ़ के दौरान अपनी आपातकालीन किट को संभाल कर रखे।
  • अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को बाढ़ के दौरान अपनी हर गतिविधि के बारे में सूचित करें।
  • यदि आपको खड़े पानी में चलना है, तो यह ध्यान रखें कि आप गहरे पानी, मैनहोल या खाई में कदम नहीं रखे, इसके लिए आप छड़ी या डंडे का उपयोग करें।
  • बाढ़ के दौरान खुद को अपडेट रखें। समय पर अपडेट और महत्वपूर्ण जानकारी या घोषणाओं के लिए रेडियो या टेलीविजन सुनें।
  • इस आपदा के दौरान बिजली की लाइनों से दूर रहें। बिजली की लाइनें टूटने और गिरने की स्थिति में ऑफिसर्स को रिपोर्ट करें और सूचित करें।
  • अगर छत गीली है तो बिजली बंद कर दें। उस जगह के नीचे एक बाल्टी रखें और दबाव कम करने के लिए छत में एक छोटा सा छेद करें।
  • बाढ़ के दौरान अत्यधिक पानी से छुटकारा पाने के लिए साफ तौलिये, बाल्टी और पोछे का प्रयोग करें।
  • एल्युमिनियम फॉयल की चादरें गीले कालीनों और फर्नीचर के बीच रखें।

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