चुनाव कैसे होता है? चुनाव की गिनती कैसे होती है? देखे पूरी चुनाव प्रक्रिया

चुनाव आयोग

इस समय, भारत निर्वाचन आयोग तीन सदस्यै निकाय है जिसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्ता व दो निर्वाचन आयुक्त हैं । यह प्रारम्भ से बहु – सदस्य निकाय नहीं था । जब 1950 में इसकी स्थापना हुई तो यह एक सदस्य निकाय था और 15 अक्तूबर , 1989 तक इसमें केवल एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त था , 16 अक्तूबर , 1989 से 01 जनवरी , 1990 तक यह तीन सदस्यय निकाय बना जिसमें आर.वी.एस. पेरी शास्त्री ( मुख्य निर्वाचन आयुक्त ) और एस.एस. धनोआ और वी.एस. सेगल निर्वाचन आयुक्तू थे । 02 जनवरी , 1990 से 30 सितम्बर , 1993 तक , यह एक सदस्य आयोग था और पुनः 01 अक्तूबर , 1993 से यह तीन सदस्य आयोग बना ।

निर्वाचन आयोग का कार्य क्या क्या है?

इस आर्टिकल की प्रमुख बातें

  • निर्वाचन आयोग के पास यह उत्तरदायित्व है कि वह चुनाव का पर्यवेक्षण , निर्देशन तथा आयोजन करवाये।
  • चुनाव आयोग राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति , संसद , राज्यविधानसभा, लोकसभा के चुनाव करता है।
  • निर्वाचक नामावली तैयार करवाता है।
  • राजनैतिक पार्टियों का पंजीकरण करता है।
  • राजनैतिक पार्टियों का राष्ट्रीय , राज्य स्तर के पार्टियों के रूप मे वर्गीकरण , मान्यता देना , राजनीतिक पार्टियों और निर्दलीयों को चुनाव चिन्ह देना।
  • सांसद / विधायक की अयोग्यता ( दल बदल को छोडकर ) पर राष्ट्रपति / राज्यपाल को सलाह देना।
  • गलत निर्वाचन उपायों का उपयोग करने वाले व्यक्तियाँ को चुनाव के लिये अयोग्य घोषित करना।

चुनाव कैसे होता है ?

जब चुनाव होता है तो इसकी पूरी तैयारी चुनाव आयोग की होती है। चुनाव में कई राजनीतिक पार्टियां भाग लेती है, चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीख ऐलान करने के बाद जंहा चुनाव होना है वंहा आचार सहिंता लगा दिया जाता है। सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी अपने लिए वोट मांगते है। और चुनाव के ठीक एक दिन पहले चुनाव प्रचार बन्द हो जाता है। वोटिंग के लिये चुनाव आयोग द्वारा बोटिंग बूथ बनाया जाता है जन्हा लोग अपना वोट डालते है। हर एक बूथ में एक बूथ अधिकारी नियुक्त किया जाता है। जिससे कि बूथ पर किसी भी प्रकार का समस्या न हो।

वोटिंग डालने के लिए वोटर आईडी कार्ड को लेकर जाना जरूरी होता है। जब बूथ के अंदर वोट डालने जाते है तो आपके उंगली में स्याही से निशान लगाया जाता है ताकि दुबारा कोई वोट न डाल सके। फिर evm के पास जाकर लोग अपना वोट डालते है। मतदान के खत्म होते ही सीलबंद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ( ईवीएम ) को मतगणना केंद्र पर लाकर उन्हें स्ट्रॉन्ग रुम में रखा जाता है जिसकी सुरक्षा 24 घंटे चाक – चौबंद होती है । स्ट्रॉन्ग रूम तीन स्तर के सुरक्षा चक्र से घिरी होती है ताकि किसी तरह की कोई ऐसी गतिविधि न हो जिससे की ईवीएम को कोई नुकसान पहुंचे ।

चुनाव कैसे होता है?

लोकसभा का चुनाव कैसे होता है ?

लोकसभा में 552 सीटे होती हैं , इसमें 530 सीटें भारत के विभिन्न राज्यों के क्षेत्रो की होती हैं , जो जनसख्यां के अनुपात में निर्धारित होती हैं , इसमें 20 सदस्य केंद्र शासित प्रदेश से राष्ट्रपति द्वारा चुनें जाते हैं , 2 सीट भारतीय आंग्ल समुदाय के लिए आरक्षित रहती हैं , राष्ट्रपति को जब लगता की इनका प्रतिनिधित्व लोकसभा में नहीं हैं , तब इनको राष्ट्रपति के द्वारा मनोनीत किया जाता हैं। वर्तमान समय में लोकसभा की कुल सीट 545 है।

लोकसभा का चुनाव भारतीय जनता के व्यस्क लोगो द्वारा प्रत्यक्ष मताधिकार के माध्यम से होता हैं। इसमें प्रत्येक दल द्वारा अपने प्रत्याशी को चुनाव के लिए उतारा जाता हैं , इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार भी भाग ले सकते हैं | लोकसभा का चुनाव कई चरणों में आयोजित किया जाता है , यह प्रक्रिया सम्पूर्ण भारत में लगभग दो महीने तक चलती है , सबसे ज्यादा सीट प्राप्त करने वाले दल को राष्ट्रपति सरकार बनाने के लिए प्रस्ताव भेजते हैं।

राज्यसभा का चुनाव कैसे होता है ?

राज्यसभा भारतीय संसद का ऊपरी और स्थाई सदन है और ये कभी भंग नहीं होती । राज्यसभा में 245 सदस्य होते हैं जिनमें से 12 को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं , वहीं 233 सदस्य चुनकर आते हैं । हर सदस्य का कार्यकाल छह साल का होता है उप राष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति ( अध्यक्ष ) होते हैं । राज्यसभा चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से होते हैं । इसका मतलब लोग सीधे वोट डालकर राज्यसभा सांसदों का चुनाव नहीं करते , बल्कि उनके द्वारा चुने गए विधायक वोट डालकर उनका चुनाव करते हैं। हर राज्य में कितनी राज्यसभा सीटें होगी , ये उसकी जनसंख्या को देखकर किया जाता है और राज्य के छोटे – बड़े होने पर इन सीटों पर भी फर्क पड़ता है।

राज्यसभा चुनाव में विधायक हर सीट के लिए अलग अलग वोट नहीं डाल सकते क्योंकि अगर ऐसा होगा तो हर सीट पर सत्तारूढ़ पार्टी ही कब्जा कर लेगी । दरअसल , वोटिंग के वक्त हर विधायक को एक सूची दी जाती है , जिसमें उसे राज्यसभा प्रत्याशियों के लिए अपनी पहली पसंद , दूसरी पसंद , तीसरी पसंद आदि लिखनी होती है । इसके बाद हेयर फॉर्मूले की मदद से तय किया जाता है कि कौन सा प्रत्याशी जीता ।

हेयर फार्मूला क्या है?

राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए जरूरी सीटें निकालने के इस फॉर्मूले को ‘ हेयर फॉर्मूले ‘ के आधार पर जाना जाता है और 1857 में अंग्रेज राजनीतिज्ञ थॉमस हेयर ने इसे तैयार किया था । भारत में इसका प्रयोग राज्यसभा चुनाव के अलावा राष्ट्रपति और विधान परिषद के सदस्यों के चुनाव के लिए भी होता है । इसके अलावा अमेरिका , कनाडा और आयरलैंड जैसे देशों में भी कई स्तर पर चुनाव के लिए हेयर फॉर्मूले का प्रयोग किया जाता है ।

विधानसभा सभा का चुनाव कैसे होता है ?

विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी केन्द्रीय चुनाव आयोग की होती है विधान सभा के सदस्य राज्यों के लोगों के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि होते हैं क्योंकि उन्हें किसी एक राज्य के 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के नागरिकों द्वारा सीधे तौर पर चुना जाता है । विधानसभा का सदस्य बनने के लिए , व्यक्ति को भारत का नागरिक होना आवश्यक है , वह 25 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो । वह मानसिक रूप से ठीक व दीवालिया न हो । उसको अपने ऊपर कोई भी आपराधिक मुकदमा न होने का प्रमाण पत्र भी देना होता है ।

चुने गए प्रत्याशी को विधान सभा सदस्य या MLA कहा जाता है । प्रत्येक विधान सभा का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है जिसके बाद पुनः चुनाव होता है । आपातकाल के दौरान , इसके सत्र को बढ़ाया जा सकता है या इसे भंग किया जा सकता है । विधान सभा का एक सत्र वैसे तो पाँच वर्षों का होता है पर लेकिन मुख्यमंत्री के अनुरोध पर राज्यपाल द्वारा इसे पाँच साल से पहले भी भंग किया जा सकता है। विधानसभा का सत्र आपातकाल के दौरान बढ़ाया जा सकता है लेकिन एक समय में केवल छ : महीनों के लिए।

राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?

भारत के राष्ट्रपति चुनाव में सभी राजनैतिक दलों के विजयी उम्मीदवारों को शामिल किया जाता है । राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज करता है । अर्थात जनता अपने राष्ट्रपति का चुनाव सीधे नहीं करती , बल्कि उसके वोट से चुने गए प्रतिनिधि करते हैं । यह होता है अप्रत्यक्ष निर्वाचन , लेकिन इसके सदस्यों का प्रतिनिधित्व अनुपातिक भी होता है । उनका सिंगल वोट ट्रांसफर होता है , लेकिन उनकी दूसरी पसंद की भी गिनती होती है । यहां वोटों के गणित को समझने के लिए कुछ बातें जानना आवश्यक है ।

उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?

उप राष्ट्रपति का चुनाव परोक्ष होता है जिसके निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज में राज्यसभा और लोकसभा के सांसद शामिल होते हैं . राष्ट्रपति चुनाव में चुने हुए सांसदों के साथ विधायक भी मतदान करते हैं लेकिन उप राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डाल सकते है ख़ास बात यह है कि दोनों सदनों के लिए मनोनीत सांसद राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर सकते लेकिन वे उप राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग कर सकते हैं . इस तरह से देखा जाए तो उप राष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के 790 निर्वाचक हिस्सा लेंगे।

मतगणना

चुनाव की गिनती कैसे होता है ?

मतदान के खत्म होते ही सीलबंद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ( ईवीएम ) को मतगणना केंद्र पर लाकर उन्हें स्ट्रॉन्ग रुम में रखा जाता है जिसकी सुरक्षा 24 घंटे चाक – चौबंद होती है । स्ट्रॉन्ग रूम तीन स्तर के सुरक्षा चक्र से घिरी होती है ताकि किसी तरह की कोई ऐसी गतिविधि न हो जिससे की ईवीएम को कोई नुकसान पहुंचे । इसके लिए मतगणना के दिन भी यही सुरक्षा चक्र मतगणना केंद्र की हिफ़ाज़त कर रही होती है । हालांकि इसकी मुख्य ज़िम्मेदारी केंद्रीय बल के जवान संभालते हैं । आमतौर पर राज्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा निर्धारित जिला मुख्यालय में किसी नियत जगह पर मतगणना की जाती है , जहां उस केंद्र से जुड़े सभी विधानसभा क्षेत्रों के मतों की गिनती होती है ।

चुनावों की तारीख की घोषणा होने से कम से कम एक हफ्ते पहले मतगणना की तारीख और स्थान तय कर लिए जाते हैं । अंदर में पहले से तय योजना के मुताबिक मेजें लगाई जाती हैं । हर मेज पर ईवीएम का सील हटाने के लिए कागज की चाकू होती है । एक लाउडस्पीकर होता है जिससे रिजल्ट की घोषणा की जाती है । एक ब्लैकबोर्ड सामने होता है जिस पर मीडिया की सूचना के लिए गिनती के ट्रेंड से संबंधित जानकारी होती है । चुनाव आयोग द्वारा तैनात पर्यवेक्षकों के अलावा किसी और को मतगणना केंद्र के अंदर मोबाइल फोन इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होती है । मतगणना केंद्र के अंदर सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय सुरक्षा बलों की होती है और बाहर राज्य पुलिस की ।

मतगणना ( काउंटिंग ) पर्यवेक्षक काउंटिंग एजेंट्स की मदद से वोटों के गिनती की शुरुआत करते हैं । मतगणना पर्यवेक्षक सबसे पहले ईवीएम पर लगे सुरक्षा की जांच करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि मशीन से किसी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है फिर काउंटिंग की शुरुआत करते है।

गिनती की प्रक्रिया –

  • मतगणना के दिन सुबह 7 से 8 बजे तक मतगणना केंद्र के भीतर संबंधित कर्मचारियों और एजेंटों को प्रवेश दिया जाता है ।
  • सुबह 8 बजे मतों की गिनती शुरू हो जाती है लेकिन इसमें 10 से 15 मिनट की देरी भी हो सकती है ।
  • प्रत्येक घंटे में 4 से 4 राउंड की काउंटिंग होती है । जिस विधानसभा में सबसे कम राउंड होंगे वहां पर मतों की गिनती सबसे पहले होगी ।
  • सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती : निर्वाचन अधिकारी मुताबिक पोस्टल बैलेट की गिनती सबसे पहले शुरू होती है । उसके बाद उसे पोस्टल बैलेट टेबल पर भेज देते हैं ।
  • पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होने के आधे घंटे बाद ही ईवीएम से गिनती शुरू होती है । सबसे पहले स्ट्राँग रुम से ईवीएम को काउंटिंग टेबल जिस जगह पर मतगणना होनी है , पर लाया जाता है ।
  • एक बार में ज्यादा से ज्यादा 14 ईवीएम की गिनती की जाती है ।
  • ईवीएम के रिजल्ट बटन को दबाते ही हर कैंडिडेट को मिले वोटों की संख्या डिस्पले हो जाती है।
  • पहले चरण की गिनती पूरी होने पर चुनाव अधिकारी दो मिनट का इंतजार करता है
  • किसी प्रत्याशी की गिनती को लेकर कोई आपत्ति हो तो वह इस दौरान दर्ज करा सकता है
  • वोटों की गिनती कर रहा कर्मचारी हर उम्मीवार को पड़े वोट की संख्या लिखकर उसे रिटर्निंग ऑफिसर को भेज देता है ।
  • जैसे ही एक चरण के मतगणना की प्रक्रिया पूरी होती है । मतगणना से जुड़े कर्मचारी सारी जानकारी रिटर्निंग ऑफिसर को दे देते हैं जिसके बाद पहले चरण के नतीजों का ऐलान किया जाता है ।
  • हर चरण की गिनती के नतीजे की जानकारी मुख्य चुनाव अधिकारी को दी जाती है . फिर यहीं से जानकारी चनाव के सर्वर में फीड की जाती है ।
  • प्रत्येक राउंड के बाद ईवीएम डाटा और शीट में भरे गए डाटा का मिलान किया जाता है ।
  • मिलान के बाद इसे रिटर्निंग ऑफिसर और प्रत्याशियों के एजेंटों को भी नोट कराया जाता है ।
  • इसके अलावा मतगणना स्थल पर लगे बोर्ड पर प्रत्येक राउंड के बाद वोटों की गिनती चस्पा की जाती है ।
  • वोटों के गिनती की यह प्रक्रिया चलती रहती है जब तक मतगणना पूरी नहीं हो जाती ।
  • जब गिनती पूरी हो जाती है तो जो उम्मीदवार ज्यादा वोट पाते है उसको जीत घोषित कर दिया जाता है।

चुनाव की गिनती कौन करता है ?

सरकारी विभागों में कार्यरत केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारी वोटों की गिनती करते हैं । मतगणना से पूर्व इन कर्मचारियों को एक हफ्ते पहले प्रशिक्षण के लिए मतगणना केंद्र भेजा जाता है । इसके बाद सभी कर्मचारी संबंधित विधानसभा क्षेत्र में 24 घंटे के लिए भेज दिए जाते हैं । सबसे आखिरी में इन कर्मचारियों को सुबह पांच से 6 बजे तक मतगणना टेबल पर बैठना होता है । हर टेबल पर मतगणना पर्यवेक्षक , सहायक होते हैं ।

कैसे तय होता है गिनती का समय और स्थान ?

वोटों की गिनती का समय और स्थान निर्वाचन अधिकारी द्वारा चुनाव आयोग के नियम 51 के अनुसार तय किया जाता है । गिनती वाले दिन से कम से कम एक हफ्ते पहले इसके बारे में सभी उम्मीदवारों और उनके एजेंट्स को लिखित में दिया जाता है ।

वोटिंग हॉल में कौन-कौन मौजूद रहता है ?

वोटिंग हॉल में निर्वाचन अधिकारी , गिनती करने वाला स्टाफ , उम्मीदवार , उसके एजेंट और चुनाव आयोग द्वारा प्रमाणित सरकारी कर्मचारी ही मौजूद रह सकते हैं । आयोग के नियम 53 में इसका उल्लेख है ।

EVM ( इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन)

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन क्या है ? ईवीएम क्या है और कैसे काम करता है?

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन मतों को दर्ज करने का एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। ईवीएम का पहली बार 1982 में केरल के 70 – पारुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में इस्तेमाल किया गया था । इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन दो इकाइयों से बनी होती हैं – एक कंट्रोल यूनिट और एक बैलेटिंग यूनिट – जो पाँच – मीटर केबल से जुड़ी होती हैं। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उपयोग की जा रही ईवीएम या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन अधिकतम 2,000 मत दर्ज कर सकती है ।

evm क्या है?

कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखी जाती है और बैलेट यूनिट को मतदान कम्पार्टमेंट के अंदर रखा जाता है । मतपत्र जारी करने के बजाय , कंट्रोल यूनिट के प्रभारी मतदान अधिकारी कंट्रोल यूनिट पर मतपत्र बटन दबाकर एक मतपत्र जारी करते हैं। इससे मतदाता अपनी पसंद के अभ्यर्थी और प्रतीक के सामने बैलेट यूनिट पर नीले बटन को दबाकर अपना वोट डाल सकेगा ।

जिन क्षेत्रों में बिजली नहीं है, वहां ईवीएम का उपयोग कैसे किया जाता है ?

EVM के लिए बिजली की आवश्यकता नहीं होती है । इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड / इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा जोड़ी गई एक साधारण बैटरी पर चलती है ।

ईवीएम को किसने बनाया है ? ईवीएम का डिजाइन किसने किया है ?

EVM को भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के दो उपक्रमों , भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बैंगलोर और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड हैदराबाद के सहयोग से चुनाव आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति ( टीईसी ) द्वारा तैयार और डिज़ाइन किया गया है । ईवीएम का रख राखव यानी टेक्निकल समस्या इत्यादि सभी को इन्हीं दो उपक्रमों द्वारा किया जाता है ।

क्या बार – बार बटन दबाने से एक से अधिक बार मतदान हो जाता है ?

नहीं ऐसा संभव नही है क्योंकि जैसे ही बैलेटिंग यूनिट पर एक विशेष बटन दबाया जाता है , उस विशेष अभ्यर्थी के लिए मत दर्ज हो जाता है और मशीन लॉक हो जाती है । यहां तक कि अगर कोई उस बटन को दोबारा या किसी अन्य बटन को दबाता है, तो भी आगे कोई मत दर्ज नहीं किया जाएगा । इस तरह , ईवीएम ” एक व्यक्ति , एक मत ” के सिद्धांत को सुनिश्चित करती है । अगला मत केवल तभी संभव हो पाता है जब कंट्रोल यूनिट के पीठासीन अधिकारी या प्रभारी मतदान अधिकारी मतपत्र बटन को दबाकर मतपत्र जारी करते हैं । यह मतपत्र प्रणाली की तुलना में एक विशिष्ट लाभ है ।

आदर्श आचार संहिता

आचार संहिता क्या है ?

आदर्श आचार संहिता राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए निर्धारित किए गए मानकों का एक ऐसा समूह है जिसे राजनैतिक दलों की सहमति से तैयार किया गया है।

आचार संहिता की मुख्य विशेषताएं क्या हैं ?

आदर्श आचार संहिता की मुख्य विशेषताएं निर्धारित करती हैं कि राजनीतिक दलों , निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यथियों और सत्ताधारी दलों को निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान कैसा व्यवहार करना चाहिए अर्थात् निर्वाचन प्रक्रिया , बैठकें आयोजित करने , शोभायात्राओं , मतदान दिवस गतिविधियों तथा सत्ताधारी दल के कामकाज इत्यादि के दौरान उनका सामान्य आचरण कैसा होगा ।

अचार संहिता क्यों लागू किया जाता है?

भारत निर्वाचन आयोग , भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन संसद और राज्य विधान मंडलों के लिए स्वतंत्र , निष्पक्ष और शांतिपूर्ण निर्वाचनों के आयोजन हेतु अपने सांविधिक कर्तव्यों के निर्वहन में केन्द्र तथा राज्यों में सत्तारूढ़ दल ( दलों ) और निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों द्वारा इसका अनुपालन सुनिश्चित करता है । यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि निर्वाचन के प्रयोजनार्थ अधिकारी तंत्र का दुरूपयोग न हो । इसके अतिरिक्त यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि निर्वाचन अपराध ,कदाचार और भ्रष्ट आचरण यथा प्रतिरूपण , रिश्वतखोरी और मतदाताओं को प्रलोभन , मतदाताओं को धमकाना और भयभीत करना जैसी गतिविधियों को हर प्रकार से रोका जा सके । उल्लंघन के मामले मे उचित उपाय किए जाते हैं ।

आदर्श आचार संहिता कब लागू की जाती है और यह किस तारीख तक लागू रहती है ?

आदर्श आचार संहिता को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन अनुसूची की घोषणा की तारीख से लागू किया जाता है और यह निर्वाचन प्रक्रिया के पूर्ण होने तक प्रवृत्त रहती है । फिर अचार संहिता हटा दिया जाता है।

अचार संहिता किस प्रकार लागू की जाती है?

  • लोक सभा के साधारण निर्वाचनों के दौरान यह संहिता सम्पूर्ण देश में लागू होती है ।
  • विधान सभा के साधारण निर्वाचनों के दौरान यह संहिता संपूर्ण राज्य में लागू होती है ।
  • उप निर्वाचनों के दौरान , यदि वह निर्वाचन क्षेत्र राज्य राजधानी / महानगर शहरों / नगर – निगमों में शामिल है तो यह संहिता केवल संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में ही लागू होगी ।
  • अन्य सभी मामलों में आदर्श आचार संहिता उप निर्वाचन वाले निर्वाचन क्षेत्रों के अन्तर्गत आने वाले संपूर्ण जिलों में लागू होगी।

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