दोस्तों आज हम बात करेंगे कि धैर्य के बारे में कि असल मे धैर्य है क्या ? धैर्य का जीवन में क्या महत्त्व है ? कैसे होते हैं धैर्यशील ? धैर्य धारण करके क्या पाया जा सकता है ? आपकी प्रतिभा में धैर्य की क्या भूमिका होती है ? तो चलिए देखते हैं धैर्य का जीवन में महत्त्व क्या हैै।
धैर्य क्या हैं ?
धैर्य सहनशीलता की वह अवस्था है जो किसी भी व्यक्ति के व्यवहार को क्रोध या खीझ जैसी नकारात्मक शक्तियों से बचाती है । विषम परिस्थितियां उत्पन्न हो जाने पर भी मन में चिंता , शोक और उदासी उत्पन्न न होने देने का गुण ही धैर्य हैं।
धैर्यवान व्यक्ति विपत्ति आने पर भी अपना मानसिक संतुलन बनाए रखता है और शांतचित्त होकर इस पर नियंत्रण करते हुए दुख से बचने का सरल मार्ग खोज लेता है । गीता में मनुष्य के इस गुण (धैर्य) को दैवीय संपदा बताया गया हैं।
धैर्य का जीवन में क्या महत्त्व है ?
भारतीय जीवन दर्शन में धैर्य को व्यक्ति की सबसे बड़ी पूंजी माना गया है । हमारे धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि जो व्यक्ति धैर्यशील होता है , वह दुनिया को जीत सकता है । सभी धर्मों के मूल वाक्यों में धैर्य का महत्व माना गया है । सब्र का फल मीठा होता है।
धैर्य दर्द से भरा है , किन्तु उसका फल मधुर होता है । जो व्यक्ति स्वभाव से धैर्यवान है , वह महान् विपत्ति के समय भी अधीर नहीं होता । धैर्य हो तो दरिद्रता भी शोभा देती है । जैसे धुले हुए हों तो फटे वस्त्र भी अच्छे लगते हैं । घटिया भोजन भी गरम होने से स्वादिष्ट होता है और सुंदर स्वभाव के कारण कुरूपता भी शोभा पाती है ।
आपकी प्रतिभा में धैर्य की क्या भूमिका होती है ?
धैर्य प्रतिभा का एक आवश्यक तत्व है । शांत रहो और धैर्य रखो । तुम प्रत्येक पर शासन कर सकते हो । जिसके पास धैर्य है और वह जो इच्छा करता है उसे वो प्राप्त कर सकता है ।
अच्छे श्रोता बनो। धैर्य से सुनो । लेकिन करो वही जो तुम्हारा विवेक कहता है । मित्रता करने में धैर्य से काम लेना चाहिए , अगर मित्रता कर लो तो उसे अचल और दृढ़ होकर निभाओ । धैर्य वह वजह है जिसके कारण हाथी मन भर खाता है । लेकिन कुत्ता एक – एक टुकड़े के लिए घर – घर मारा फिरता है क्योंकि वह धैर्य से हीन होता है । धैर्य सब प्रसन्नताओं एवं शक्तियों का मूल है ।
कैसे होते हैं धैर्यशील
धैर्य और सहनशीलता का गुण पाने के पश्चात् बाकी गुणों की जरूरत नहीं रह जाती , क्योंकि प्रत्येक वीर में ही यह गुण होते हैं । धैर्य जब बढ़ता जाता है तो कड़वा लगता है लेकिन भोग के समय मीठा फल उसके कारण ही प्राप्त होता है । अनेक काम धैर्य से सम्पन्न होते हैं और जल्दबाज मनुष्य सिर के बल गिरता है । मुसीबतें टूट पड़ें , हाल बेहाल हो जाएं तब भी लोग निश्चय से डिगते नहीं और धीरज रखकर चलते हैं , वे ही सच्चे धैर्यशाली हैं ।
धैर्यवान पुरुष कार्य आरम्भ करने के बाद असफल होकर नहीं लौटते । धैर्य प्रतिभा का एक आवश्यक अंग है । जो धीरज रख सकता है , भूखा रह सकता है, उत्तेजना में भी अपनी चिंतन शक्ति को स्थिर रख सकता है , वह जीवन में कभी असफल नहीं होता । धैर्यवान के कदम मंजिल पर अवश्य पहुंचते हैं । सफलता उसकी सदैव दासी बनकर रहती है ।
धैर्य धारण करके क्या पाया जा सकता है ?
धैर्य के द्वारा जीवन के लक्ष्य का द्वार खुल जाता है । उस द्वार की चाबी धैर्य के अतिरिक्त दूसरी नहीं । धैर्य सबसे बड़ी प्रार्थना है । धैर्य , मनोविग्रह , इंद्रिय संयम , पवित्रता , दया , कोमल वाणी और मित्र से द्रोह न करना यह सात बातें लक्ष्मी को बढ़ाने वाली हैं । जिसके पास धैर्य है , वह जो इच्छा करता है , प्राप्त कर सकता है ।
धैर्य और सन्तोष जीवन उस नौका की पतवार है जो नौका को मंजिल तक पहुचाते हैं । धैर्य और मेहनत से वह सब प्राप्त किया जा सकता है जो शक्ति और शीघ्रता से कभी नहीं पाया जाता । विचारों के कारण उपस्थित होने पर भी जिसके मन में विकार उत्पन्न नहीं होते , वह धैर्यवान है ।
सज्जन यदि निर्धन भी है तो उसे धनवान जानो क्योंकि उसके पास धैर्य का धन है। धैर्य और सन्तुष्टि का जीवन , यह नौका की वह पतवारें हैं , जो नौका को उसकी मंजिल तक ले जाते हैं । वह कौन सा कठिन कार्य है जिसे धैर्यवान एवं मनोबल युक्त मनुष्य सम्पन्न नहीं कर सकता ।
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दोस्तों तो आप समझ ही गए होंगे कि धैर्य का जीवन में क्या महत्त्व है ? कैसे होते हैं धैर्यशील ? धैर्य धारण करके क्या पाया जा सकता है ? आपकी प्रतिभा में धैर्य की क्या भूमिका होती है ? अगर आपको हमारा आर्टिकल अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ सोशल मिडिया पर शेयर जरूर करे ।धन्यवाद।