क्रोध क्या हैं ? इसे कैसे काबू करें? गुस्सा क्यों आता है? इसे कैसे शांत करें?

क्रोध अपने पालनेवाले को ही खाता है। एक क्षण का क्रोध व्यक्ति का जीवन नष्ट कर देता है, क्रोधी व्यक्ति सदा ही त्याज्य माना गया है, लोग उसे दूर से रास्ता काट जाते हैं। क्रोधी व्यक्ति की क्या गति होती है, आइए इस पोस्ट में जानने की, इसे समझने की कोशिश करते हैं की क्रोध क्या हैं ? इसे कैसे काबू करें? गुस्सा क्यों आता है? इसे कैसे शांत करें? देेखे पूरी जानकारी…

क्रोध क्या है? गुस्सा किसे कहते है?

क्रोध वह होता है जो पश्चाताप पर समाप्त होता है , लेकिन जिसका आरम्भ मूर्खता से होता है। क्रोध न दिखाई देने वाली ऐसी चिता है जो भीतर ही भीतर आपको जला रही है। क्रोध, उबलता पानी के समान है। क्योंकि क्रोधी भलाई नहीं देख पाता और खौलते जल में प्रतिबिम्ब नहीं दिखता। क्रोध नरक की खान है, जंहा से निकलना बहुत मुश्किल हो जाता हैं।

 

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क्रोध का अर्थ क्या हैं? क्रोध की परिभाषा क्या हैं?

गुस्सा या क्रोध अर्थात एक ऐसी भावना जिससे हृदय की गति तेज हो जाती हैं। ब्लडप्रेशर तेज हो जाता हैं। मन उत्तेजित हो जाता हैं। और व्यक्ति कुछ भी करने को आतुर हो जाता हैं। ऐसी अवस्था को ही क्रोध कहलाता हैं।

क्रोध करने से क्या होता है ? गुस्सा करने से क्या होता है?

क्रोध में व्यक्ति सच्चाई नहीं कहता , वह तब सिर्फ दूसरे का दिल दुखाना चाहता है। अगर कोई मनुष्य स्वयं क्रोध पर काबू नहीं पा सकता तो वह दूसरों के क्रोध का सामना करने से नहीं बच सकता। क्रोध की आंधी क्रोधी मानव को एक तिनके के समान अपने अधीन रखती है । जिस क्रोधाग्नि को तुम शत्रु के लिए प्रज्ज्वलित करते हो , वह बहुधा तुम्हें ही अधिक जलाती है । क्रोध से मनुष्य का विनाश होता है इसलिए क्रोध को यमराज कहा जाता है।

क्रोध कैसा होता है ?

क्रोध जल पर खींची रेखा के जैसे होता हैं। जो शीघ्र विलुप्त हो जाने वाली चीजें हैं। कर लेने के बाद जिसका अहसास होता है वह है क्रोध। क्रोध और उबलता पानी एक समान है। क्योंकि जिस प्रकार खौलते जल और ल में प्रतिबिम्ब नहीं दिखता। उसी प्रकार क्रोधी भलाई नहीं देख पाता।

क्रोध में व्यक्ति क्या करता है? गुस्सा में व्यक्ति क्या करता हैं?

गुस्सा या क्रोध में व्यक्ति कुछ भी करने को उत्तेजित या व्याकुल हो जाता हैं। क्रोध में व्यक्ति खुद को भी नुकसान पहुंचा सकता हैं और सामने वाला को भी। जब कोई व्यक्ति क्रोध में होता हैं। तो वो उस समय अहंकार में डूब जाया रहता हैं। क्रोध में उसे सब गलत ही लगता है। और वो जो कहता है बस वही सही लगता हैं। कई बार तो व्यक्ति इतना क्रोधी हो जाते हैं। कि मारने मरने पर आ जाता हैं। क्रोध में व्यक्ति ये भूल जाता हैं कि सामने वाला कौन हैं। और अपना नुकसान कर लेता है। सबके नजरो से गिर जाता हैं।

क्रोध किसे आता है? गुस्सा किसे आता है?

मूर्ख ही क्रोध करते हैं, ज्ञानी नहीं। मूर्ख के लिए क्रोध जोर – शोर से प्रकट करने वाली वस्तु है , जबकि बुद्धिमान के लिए शान्ति से वश में करने की। वह मनुष्य वास्तव में बुद्धिमान है जो क्रोधावस्था में भी गलत बात मुँह से नहीं निकालता। जिसके अंदर अहंकार की भावना छिपा रहता हैं उसे गुस्सा जल्दी आता हैं। ऐसे व्यक्ति बात बात में गुस्सा करते हैं। और अपने आप को ही सही समझते हैं। जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप से नहीं कह सकता, उसी को क्रोध आता है। क्रोधी मनुष्य के पास और कोयले की खदान में काम करने वाले के पास क्रमश : क्रोध और कालिमा आती है।

गुस्से का इलाज क्या है? क्रोध का इलाज क्या हैं? गुस्से को कैसे काबू करें?

क्रोध का बेहतरीन इलाज खामोशी है। जो पुरूष, स्त्री, पुत्र और धन आदि में आसक्त है, उसकी बुद्धि मोह जाल में फंसकर धर्मपथ से डिग जाती हैं। इन्हें जीत लेने के बाद सारी कठिनाइयां स्वत: ही दूर हो जाएगा। जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने ऊपर झेल लेता है वही दूसरों के क्रोध से बच सकता है और अपने जीवन को सुखी बना सकता है। क्रोध करने से पहले यदि उसके परिणाम पर गौर कर लिया जाए तो क्रोध नहीं आएगा। जो व्यक्ति हर समय क्रोध करती रहे, उसे त्याग देना ही सुखकर है। चोर से जैसे सावधान रहते हो, वैसे ही क्रोध से भी रहो।

गुस्सा को कैसे शांत करे? क्रोध को कैसे शान्त करे?

जब भी आपको गुस्सा आये तो ध्यान कंही और लगाने की कोशिश करना चाहिए। इससे क्रोध में काबू पाया जा सकता हैं। गुस्सा शांत करने का सबसे आसान तरीका हैं कि जब भी आपको गुस्सा आये तो चुप हो जाइये। फिर गुस्सा धीरे धीरे शांत हो जाएगा। क्षण भर में जल जाना। देर तक सुलगने से अच्छा है। अत : क्रोध का कारण सामने आते ही प्रकट कर देना चाहिए । किसी के प्रति मन में क्रोध को दबाए रखने से अच्छा है कि उसे सरल शब्दों में तुरंत व्यक्त कर दिया जाए। इससे क्रोध की अग्नि शान्त हो जाती है। अग्नि को जिस प्रकार जल से वश में किया जाता है, वैसे ही क्रोध को बुद्धि के द्वारा वश में किया जााता हैं।

क्रोध किसे नही आता? गुस्सा किसे नही आता?

जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप से नहीं कह सकता , उसी को क्रोध आता है। और जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप से कह देता है उसे क्रोध नही आता। जिसका मन शांत स्वभाव का होता है उसे क्रोध नही आता हैं। जो अपने ईश्वर का ध्यान करता है प्रार्थना करता हैं। उसे क्रोध नही आता हैं। परमेश्वर को धारण किये व्यक्ति ईश्वर के समान होता हैं इसलिए उन्हें क्रोध या गुस्सा नही आता हैं। जिसके मन में कभी क्रोध नहीं होता और जिसके हृदय में रात – दिन राम बसते हैं , वह भक्त भगवान् के समान ही है। और ऐसे व्यक्ति से क्रोध खुद ही दूरी बनाए रखता हैं। क्रोध अहंकारीयो के ज्यादा करीब होता हैं।

क्रोध नही करने से क्या होगा। गुस्सा नही करने का फायदा?

आदमी की तमाम कामनाएँ तुरंत पूरी हो जातीं , यदि वह अपने क्रोध को काबू कर ले । क्रोध लक्ष्मी और कीर्ति का नाश करता है। जहाँ क्रोध रहता है , वहाँ मृत्यु रहती है , जहाँ क्षमा रहती है , वहाँ भगवान् रहते हैं । इसलिए अगर आप क्रोध से दूर रहेंगे तो उतने ही ईश्वर के करीब रहेंगे। आप क्रोध से दूर रहेंगे तो अच्छाई अपने आप आप के पास आएंगे। सबसे इम्पोर्टेड बात ये है कि आप हमेशा सुखी रहेंगे, आपके पास पीड़ा नही रहेगा। क्योंकि क्रोध अकेला नही आता हैं गुस्सा अकेले नही आते हैं वो अपने साथ अहंकार, छल, कपट, ईर्ष्या, साथ लाता है। और इन सबके पीछे पीछे दुख आता हैं।

उम्मीद है कि हमारा ये पोस्ट “क्रोध क्या हैं ? इसे कैसे काबू करें? गुस्सा क्यों आता है? इसे कैसे शांत करें?” आपको अच्छा लगा होगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते हैं।

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