लक्ष्य क्या है ? लक्ष्य को कैसे पूरा करे ? लक्ष्य का निर्धारण कैसे करे ?

लक्ष्य

जीवन में जिनका कोई लक्ष्य नहीं होता, उनका जीवन व्यर्थ है। लक्ष्यविहीन व्यक्ति जीवन भर भटकता रहता है और घोर कष्ट भोगता है । क्या आपका कोई लक्ष्य है ? आइये जानें लक्ष्य क्या है ? लक्ष्य को कैसे पूरा करे ? लक्ष्य का निर्धारण कैसे करे? अपनी योोजना को सफल कैसे बनाये ?

लक्ष्य से क्या आशय है ?

लक्ष्य वे प्राप्ति योग्य अन्तिम बिन्दु है , जिनकी ओर उद्यमी अपने प्रयत्नों तथा साधनों को निर्देशित करता है।

लक्ष्य क्या है ? लक्ष्य को कैसे पूरा करे ? लक्ष्य का निर्धारण कैसे करे ?

लक्ष्य क्यों जरूरी है ?

लक्ष्य व्यक्ति को एक सही दिशा देता है। दिमाग में लक्ष्य साफ़ हो तो उसे पाने के रास्ते भी साफ़ नज़र आने लगते हैं और इंसान उसी दिशा में अपने कदम बढ़ा देता है अपनी उर्जा का सही उपयोग सही तरीके से करे। जब तक आप कोई लक्ष्य निर्धारित नही करते है तब तक आपका कोई भी काम या आपका कोई सा भी उद्देश्य पूरी तरह सफल नही हो सकता। इसलिए एक लक्ष्य जरूरी हैं।

लक्ष्य निर्धारण क्या है

लक्ष्य निर्धारण एंटरप्रेनर्शिप से प्रत्यक्ष रुप से संबंधित होता है । सफलता पाने के लिए व्यक्तिगत और व्यावसायिक स्तर पर सही लक्ष्य निर्धारित करना महत्वपूर्ण होता है । एक एंटरप्रेनर जो करना चाहता है सिर्फ उसकी सूची बनाने के बजाये वह उचित रणनीति और क्रियान्वयन का पालन करके ऐसा करता है ।

लक्ष्य निर्धारण इतना महत्वपूर्ण क्यों है ?

जीवन में लक्ष्य निश्चित होने से मन में आत्मविश्वास का भाव जाग्रत हो जाता है। यदि आप अपने जीवन में निश्चित तथा अचूक सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो प्रारम्भ में ही एक लक्ष्य का चुनाव कर लीजिये। सफलता का रहस्य में एक लक्ष्य के चुनाव को सबसे अधिक महत्व है ।

आपको अपने जीवन में विकास के लिए क्या लक्ष्य है ?

व्यक्तिगत विकास आपके कौशलों और ज्ञान को विकसित करने, आकार देने और सुधार करने की जीवन – पर्यंत प्रक्रिया है ताकि विद्यालय की कार्य क्षेत्र में अधिकतम प्रभावकारिता और सकारात्मक आत्म – अवधारणा का विकास सुनिश्चित किया जा सके । व्यक्तिगत विकास का मतलब आवश्यक रूप से ऊर्ध्वगामी गति ( यानी , पदोन्नति ) ही नहीं होता ।

क्या लक्ष्य और उद्देश्यों के बीच अंतर है ?

लक्ष्य को एक सामान्य कथन के रूप में जाना जाता है जबकि उद्देश्य को निश्चित कथन के रूप में एक अंतिम लक्ष्य के रूप में वर्णित किया जाता है , जिसे एक व्यक्ति या संस्था प्राप्त करना चाहती है जबकि उद्देश्य एक ऐसी चीज़ है जिसे व्यक्ति या संस्था लगातार प्रयास करके हासिल करना चाहती है ।

योजना का लक्ष्य क्या होना चाहिए ?

कोई भी योजना बिना विशिष्ट और सामान्य लक्ष्यों के बनाना पूर्णतः अर्थहीन है । हर योजना में विशिष्टता के साथ कुछ लक्ष्य होना आवश्यक है । एक छात्र तक जब परीक्षा की तैयारी तक की योजना बनाता है तो उसके भी कुछ विशिष्ट लक्ष्य होते हैं । कोई भी योजना का लक्ष्य एक सोंची समझी राड़नीति होता है। बिना लक्ष्य निर्धारण के कोई भी योजना सफल नही होता हैं।

लक्ष्य को कैसे पूरा करे ?

  • धन , साधन , समय , कर्म तथा स्नान इन पाँचों का स्पष्ट विचार करके किसी कार्य में प्रवृत्त होना चाहिए ।
  • लक्ष्य पूरा करने के लिए अपनी समस्त शक्तियों का परित्याग करना ही पुरुषार्थ है ।
  • लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करें तो कोई वजह नहीं कि निर्धारित समय में अपने लक्ष्य की प्राप्ति न हो । मनुष्य में केवल शक्तिशाली आकांक्षा और कार्य के प्रति समर्पण होना चाहिए ।
  • जिसका उद्देश्य ऊँचा है उसे आरामतलबी और लोकप्रियता से बचना चाहिए ।
  • अपने लक्ष्य को कभी मत भूलो अन्यथा जो कुछ मिलेगा , उसी में संतोष करना पड़ेगा ।
 
  • खुशामद और खराब कार एक समान हैं । दोनों से मन्जिल पर नहीं पहुंचा जा सकता ।
  • अपने लक्ष्य से मत भटको । यही सफलता का रहस्य है ।
  • जैसा तुम्हारा लक्ष्य होगा , वैसा ही तुम्हारा जीवन होगा ।
  • लक्ष्य निश्चित होते ही आपके कर्म एक यात्रा का रूप ले लेते हैं और फिर आज नहीं तो कल आप अपने लक्ष्य पर पहुँच ही जाते हैं ।
  • अपने सामने एक ही लक्ष्य रखना चाहिए । उस लक्ष्य के सिद्ध होने तक दूसरी किसी बात की ओर ध्यान नहीं देना चाहिए । रात – दिन सपने तक में उसी की धुन रहे , तभी सफलता मिलती है ।
 
  • विज्ञान एकत्व को खोजने के सिवा और कुछ नहीं है । ज्यों ही कोई विज्ञान पूर्ण एकता तक पहुँच जाएगा , त्यों ही उसकी प्रगति रुक जाएगी , क्योंकि तब वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा ।
  • यदि कोई लक्ष्य सामने नहीं है तो भी चलना शुरू करो । दोराहे पर खड़े रहने से क्या लाभ ? चलने वाले कहीं न कहीं अवश्य पहुँचते हैं ।
  • जो व्यक्ति अपने सामने ऊँचा उद्देश्य रखता है , वह अवश्य ही एक दिन उसे पूर्ण करने में सफल होता है , लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि वह अपने लक्ष्य पर तीव्र गति से निरंतर बढ़ता जाए । इसके विपरीत , जो व्यक्ति अपने सामने कोई लक्ष्य नहीं रखता , वह जीवन भर केंचुए के समान ही रेंगता रह जाता है ।
  • अर्जुन बनो … केवल लक्ष्य को देखो ।
  • महान् ध्येय के प्रयत्न में ही आनन्द और खुशी है और एक हद तक प्राप्ति की मात्रा भी ।
  • लक्ष्य की सिद्धि अन्याय और अनीति से नहीं , सत्य और धर्म से ही हो सकती है ।
  • श्रेष्ठ पुरुष बोलता कम है , पर व्यवहार में अधिक सक्रियता दिखलाता है ।
  • एक ही लक्ष्य की ओर अपने मन , वचन और काया को लगा देने से संसार में बड़ी सफलताएँ होती हुई दीख पड़ती।
 
  • विवेक द्वारा मृदु किया गया उत्साह ही लगन है ।
  • जिसको लगन है वह साधन भी पा जाता है , यदि नहीं पाता तो वह उन्हें पैदा करता है ।
  • लगन को काँटों की परवाह नहीं होती ।
  • उन्नत होना और आगे बढ़ना प्रत्येक जीव का लक्ष्य है ।
  • अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाओ , और इसके बाद अपना सारा शारीरिक और मानसिक बल , जो ईश्वर ने तुम्हें दिया है , उसमें लगा दो ।
  • मनुष्य देवत्व का अंग और संसार में उसका प्रतिनिधि है और मानव जीवन का अन्तिम लक्ष्य अपने में देवत्व को पहचानना और उसे प्राप्त करना है ।
  • लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अपनी समस्त शक्तियों द्वारा परिश्रम करना ही पुरुषार्थ है ।
  • जो आदमी लक्ष्य पाने का संकल्प उठा लेता है और निष्ठा से कार्य करता है , उसकी सफलता निश्चित है ।
  • उठो , जागो और तब तक चलते रहो , जब तक लक्ष्य प्राप्त न कर लो ।
  • कोई भी कार्य महत्त्वपूर्ण नहीं होता , महत्त्वपूर्ण होता है कार्य का उद्देश्य ?
 
  • मुसीबतें टूट पड़ें , हाल बेहाल हो जाए तब भी जो लोग निश्चय से डिगते नहीं और धीरज रखकर चलते हैं , वे ही अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं ।
  • महान् ध्येय महान् मस्तिष्क का जनक है ।
  • लक्ष्यहीन जीवन जंगल में भटकने के समान है ।
  • संसाधन मात्र पर्याप्त नहीं , लक्ष्य भेद भी चाहिए ।
  • जो व्यक्ति काम में अरुचि रखे , पूरे दिल से कार्य न करे , जिनके पास उद्देश्य न हों और जिनका मन चंचल रहता है , वे दृढ़ता से उद्देश्य पूर्ति में नहीं लगे रह सकते ।
  • लक्ष्य को पकड़ने ( पाने ) के लिए सहस्र बार आगे बढ़ो और यदि असफल हो जाओ , फिर भी एक बार नया प्रयास अवश्य करो ।
  • जिस देश में हमारा जन्म हुआ है , हमें खुश होकर उसकी सेवा करनी चाहिए , क्योंकि प्रकृति ने हमारे लिए यही लक्ष्य निर्धारित किया है । – महात्मा गांधी

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