मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान | मध्यप्रदेश के वन्यजीव अभ्यारण्य और टाइगर रिजर्व

मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान | मध्यप्रदेश के वन्यजीव अभ्यारण्य और टाइगर रिजर्व

मध्य प्रदेश अपने राष्ट्रीय पार्को और जंगलों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के प्राकृतिक सुन्दरता और वास्तुकला के लिए विख्यात है। भारत में सबसे अधिक राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश राज्य में है यहां कुल 12 राष्ट्रीय उद्यान है और 31 वन्यजीव अभ्यारण्य के साथ 6 टाइगर रिजर्व और बायोस्फीयर रिजर्व क्षेत्र में भी संरक्षित है।

मध्यप्रदेश के सबसे बड़ा और सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान कौन सा है?

इस आर्टिकल की प्रमुख बातें

कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है इस राष्ट्रीय उद्यान का कुल क्षेत्रफल 940 वर्ग किलोमीटर है। फॉसिल जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश राज्य का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान है इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 0.27 वर्ग किलोमीटर है।

मध्य प्रदेश के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान की सूची विस्तृत जानकारी के साथ

मध्यप्रदेश में कुल 12 राष्ट्रीय उद्यान है। जिसमे कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश का पहला बाघ परियोजना में शामिल राष्ट्रीय उद्यान हैं। मध्यप्रदेश में 1974 से वन्यजीव संरक्षण अधिनियम लागू है।

मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान

कान्हा नेशनल पार्क

यह भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं। जीव जन्तुओं का यह पार्क 940 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। रूडयार्ड किपलिंग की प्रसिद्ध किताब और धारावाहिक जंगल बुक की भी प्रेरणा इसी स्थान से ली गई थी। 1968 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत इस उद्यान का 917.43 वर्ग कि.मी. का क्षेत्र कान्हा व्याघ्र संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया।

पेंच नेशनल पार्क

सिवनी जिले में पेंच नेशनल पार्क सतपुड़ा रेंज के दक्षिणी क्षेत्रों में स्थित है। इस उद्यान का नाम पेंच नदी के नाम पर रखा गया है जो कि पार्क के बेचो बीच से बहती है एवं पार्क को दो भागों में विभाजित करती है। इस पार्क को 1983 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। पार्क हर साल अक्टूबर से जून तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है।

पन्ना नेशनल पार्क

मध्यप्रदेश राज्य के उत्तर में पन्ना और छतरपुर जिलों में फैला हुआ है । पन्ना राष्ट्रीय उद्यान 1981 में बनाया गया था । इसे 1994 में भारत सरकार द्वारा एक परियोजना टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। राष्ट्रीय उद्यान में 1975 में बनाए गए पूर्व गंगऊ वन्यजीव अभयारण्य के क्षेत्र शामिल हैं। इस अभयारण्य में वर्तमान उत्तर और दक्षिण के क्षेत्रीय वन शामिल हैं।

सतपुड़ा नेशनल पार्क

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्य प्रदेश राज्य के अंतर्गत होशंगाबाद जिले में स्थित है। यह 524 वर्ग कि॰मी॰ के क्षेत्र में फैला हुआ है। 1981 में स्थापित किया गया इस राष्ट्रीय पार्क का इलाका अत्यंत दुर्गम है और इसके अंतर्गत बलुआ पत्थर चोटियों, संकीर्ण घाटियों, नालों और घने जंगलों के इलाके हैं। इस इलाके की औसतन ऊँचाई 300 से 1352 मीटर है । इस उद्यान में 1350 मीटर ऊँची धूपगढ़ शिखर भी है, और सपाट मैदान भी हैं।

वन विहार नेशनल पार्क

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान एक निर्जन वन क्षेत्र से बनाया गया था। 1981 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था । इस खुले प्राणि उद्यान में कुछ विशाल तार बाड़े शामिल हैं। वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में तितलियों और कीड़ों की एक विशाल विविधता भी है। झील के लिए इसकी सुंदरता, परिदृश्य की सुंदरता और शांति को बढ़ाती है।

रुद्र सागर झील नेशनल पार्क

रुद्र सागर झील नेशनल पार्क पहले एक सामान्य झील था जिसे सरकार द्वारा जीवो के संरक्षण के लिए भारत का एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में संरक्षित किया गया।

बांधवगढ नेशनल पार्क

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित है। जिसे 1968 में राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया था। इसका क्षेत्रफल 437 वर्ग किमी है। यहां बाघ आसानी से देखा जा सकता है। यह मध्यप्रदेश का एक ऐसा राष्ट्रीय उद्यान है जो 32 पहाड़ियों से घिरा है। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ में निवासों का विविध मिश्रण जीवों की इसी बहुलता का समर्थन करता है।

संजय नेशनल पार्क

जैव-विविधतापूर्ण वन क्षेत्र को संरक्षित करने की दृष्टि से संजय दुबरी राष्ट्रीय उद्यान व टाइगर रिजर्व की स्थापना 1975 में की गई। सदाबहार साल वनों का यह क्षेत्र 152 पक्षी, 32 स्तनधारी, 11 सरीसृप, 3 उभयचर व 34 मत्स्य प्रजातियों समेत अनेक जीवों विशेषकर बाघों का आश्रयस्थल है। टाइगर रिज़र्व में संजय राष्ट्रीय उद्यान और दुबरी वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं, दोनों 831 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्रफल को कवर करते हैं।

माधव नेशनल पार्क

माधव राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित है, और राज्य के लोकप्रिय नेशनल पार्क में गिना जाता है। इस उद्यान का नाम ग्वालियर के महाराजा माधवराव सिंधिया के नाम पर रखा गया था। माधव राष्ट्रीय उद्यान 354 वर्ग कि.मी के क्षेत्र में फैला हैं। यह वन क्षेत्र कभी मराठा और मुगला शासकों का एक बड़ा शिकारगाह हुआ करता था, जहां वे जंगली जानवरों का शिकार किया करते थे।

कुनो नेशनल पार्क

राष्ट्रीय उद्यान बनाये जाने से पहले कुनो एक वन्यजीव अभ्यारण्य था, इसे पालपुर – कुनो वन्यजीव अभ्यारण्य भी कहा जाता है । यह मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित है। यह लगभग 900 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। 1981 में इस वन्यजीव अभ्यारण्य के लिए 344.68 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र निश्चित किया गया था। बाद में इस क्षेत्र में वृद्धि की गयी।

माण्डला प्लांट फौसिल नेशनल पार्क

जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्य प्रदेश राज्य में डिंडोरी ज़िले में स्थित एक पौधों के जीवाश्म का राष्ट्रीय उद्यान है। इसकी स्थापना 1968 को हुई। 0.270 वर्ग किमी में फैले इस उद्यान में भूतल जीवाश्म ” रखे गये है, जिसमें 40 मिलियन से 150 मिलियन वर्ष पुराने पौधों के जीवाश्म रखे गये है। यह नीलगिरि जीवाश्म के लिये जाना जाता है, जोकि अभी तक का सबसे पुराना जीवाश्म माना जाता है। घुघवा नाम से प्रचलित इस उद्यान में अब तक 18 पादप कुलों के 31 परिवारों के पौधों के जीवाश्म खोजे जा चुके है।

मध्यप्रदेश के वन्यजीव अभ्यारण्य की सूची विस्तृत जानकारी के साथ

मध्यप्रदेश के अभ्यारण्य

पेंच वन्यजीव अभ्यारण्य

यह वन्यजीव अभ्यारण्य सिवनी और छावनी के क्षेत्र में 118.47 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में बाघ, तेंदुआ, सांभर चीतल, नीलगाय, गौर, जंगली मुर्गी और विभिन्न पक्षियां शामिल है।

सिन्धौरी वन्यजीव अभ्यारण्य

यह वन्यजीव अभ्यारण्य रायसेन के क्षेत्र में 288 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में बाघ, तेंदुआ, सांभर चीतल, कृष्णमृग और विभिन्न पक्षियां शामिल है।

संजय (डुबरी) अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में सीधी के क्षेत्र में 364.69 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1975 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में तेंदुआ, सांभर चीतल, नीलगाय, गौर, जंगली सुअर और विभिन्न पक्षियों के साथ साथ साल हावड़ा महुआ खेड़ा जैसे प्रमुख पेड़-पौधे भी हैं।

रातापानी वन्यजीव अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में रायसेन और सीहोर के क्षेत्र में 825.90 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1976 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में बाघ, सांभर चीतल, गौर, जंगली सुअर और विभिन्न पक्षियों के साथ साथ सैगोन वन भी शामिल हैं।

फेन वन्यजीव अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में मंडला के क्षेत्र में 110.74 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1983 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में तेंदुआ, सांभर चीतल, नीलगाय, गौर, जंगली सुअर और विभिन्न पक्षियां शामिल है।

बोरी अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में होशंगाबाद के सतपुड़ा क्षेत्र में 485.34 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1975 में किया गया था लेकिन 1865 में ही इसे वन्यजीव का दर्जा मिला हुआ था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में शेर, हिरण, तेंदुआ, सांभर चीतल, नीलगाय, गौर, जंगली सुअर और विभिन्न पक्षियां शामिल है।

सोन घड़ियाल अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में 83.68 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक घड़ियाल वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1981 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में घड़ियाल और कछुआ के कुछ दुर्लभ जीवो के साथ साथ विभिन्न पक्षियों और प्रमुख पेड़-पौधे भी शामिल हैं।

सैलाना फ्लोरिकन अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में रतलाम के क्षेत्र में 13 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक पक्षी अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1983 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में मुख्य रूप से विलुप्त खरमोर पक्षी संरक्षित किये है।

ओरछा वन्यजीव अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में निवाड़ी के क्षेत्र में 44.91 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1994 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में तेंदुआ, सांभर चीतल, गौर, जंगली सुअर और विभिन्न पक्षियों के साथ साथ साल साबुन, खैर और पलाश जैसे प्रमुख पेड़-पौधे भी हैं। इस अभ्यारण्य को पक्षी अभ्यारण्य भी कहा जाता है।

पंचमढ़ी वन्यजीव अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में होशंगाबाद के पंचमढ़ी क्षेत्र में 491.63 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1977 में किया गया था। इसे भारत सरकार और यूनेस्को द्वारा प्रथम जैव आरक्षित क्षेत्र भी घोषित किया गया है। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में तेंदुआ, सांभर चीतल, गौर, जंगली सुअर और विभिन्न पक्षियों के साथ साथ कृष्णमृग विशेष कर पाया जाता है।

पानपढ़ा वन्यजीव अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में उमरिया के क्षेत्र में 245.84 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1983 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में तेंदुआ, सांभर चीतल, गौर, जंगली सुअर और विभिन्न पक्षियों के साथ साथ साल, बांस, तेंदू, खैर जैसे प्रमुख पेड़-पौधे भी शामिल हैं।

नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में सागर और इसके साथ दामोह रायसेन और नरसिंहपुर के कुछ क्षेत्र में 1194.67 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1975 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में तेंदुआ, सांभर, हिरण, रीछ, मगरमच्छ, भेड़िया, चीतल, गौर, जंगली सुअर और विभिन्न पक्षियों के साथ साथ प्रमुख पेड़-पौधे भी हैं।

नरसिंहगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ के क्षेत्र में 57 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1935 में किया गया था। इसके प्राक्रतिक सौंदर्य के कारण इसे मालवा का कश्मीर भी कहा जाता है। इसे चिड़ीखो के नाम से भी जाना जाता है।

खिवनी वन्यजीव अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में सीहोर और देवास के क्षेत्र में 135 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1955 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में तेंदुआ, सांभर चीतल, गौर, जंगली सुअर और विभिन्न पक्षियों के साथ साथ साल, बांस, जैसे प्रमुख पेड़-पौधे भी शामिल हैं।

करेरा वन्यजीव अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में शिवपुरी के क्षेत्र में 202.21 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1981 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में सोन चिड़िया पाया जाता है। अभी इसे कुनो राष्ट्रीय उद्यान में सम्मिलित किया गया है। लेकिन इसके साथ अभ्यारण्य का दर्जा भी मिला हुआ है।

गंगऊ वन्यजीव अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में पन्ना के क्षेत्र में 68.14 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1979 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में तेंदुआ, सांभर चीतल, नीलगाय, गौर, जंगली सुअर और विभिन्न पक्षियां शामिल है।

वीरांगना दुर्गावती अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश मे दमोह के क्षेत्र में 23.97 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1997 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में नीलगाय, भालू और विभिन्न पक्षियों के साथ साथ प्रमुख पेड़-पौधे भी शामिल हैं।

सरदारपुर अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में धार के क्षेत्र में 248.12 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1983 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में मुख्य रूप से खरमोर, दूधराज सुल्ताना और बुलबुल पक्षी को संरक्षित किया गया है।विभिन्न पक्षियों के साथ साथ सैगोन और पलाश जैसे प्रमुख पेड़-पौधे भी शामिल हैं।

राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में मुरैना के क्षेत्र में 435 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1978 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में मुख्य रूप से घड़ियाल को संरक्षित किया गया है। इसके अलावा गंगा डॉल्फिन, मगरमच्छ, उदबिलाव, कछुआ और विभिन्न पक्षियों के साथ साथ प्रमुख पेड़-पौधे भी शामिल हैं।

बगदीरा वन्यजीव अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में सीधी के क्षेत्र में 478 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1978 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में मुख्य रूप से तेंदुए, चीतल, सांभर, काले हिरण और विभिन्न पक्षियों के साथ साथ प्रमुख पेड़-पौधे भी शामिल हैं।

गांधी सागर अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में नीमच और मंदसौर के क्षेत्र में 368.62 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में मुख्य रूप से घड़ियाल को संरक्षित किया गया है। हिरण, सांभर, चीतल और विभिन्न पक्षियों के साथ साथ प्रमुख पेड़-पौधे भी शामिल हैं।

पालपुर अभ्यारण्य

केन अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में पन्ना एंव छतरपुर के क्षेत्र में 45.20 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1981 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में मुख्य रूप से घड़ियाल और मगरमच्छ जैसे जलीय जीवों को संरक्षित किया गया है। इसके अलावा और विभिन्न पक्षियों के साथ साथ प्रमुख पेड़-पौधे भी शामिल हैं।

रालामंडल अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में इंदौर के क्षेत्र में 23.45 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1989 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में मुख्य रूप से लोमड़ी को संरक्षित किया गया है, और विभिन्न पक्षियों के साथ साथ प्रमुख पेड़-पौधे भी शामिल हैं। ये भारत का पहला लोमड़ी संरक्षण अभ्यारण्य है।

घाटी गाँव अभ्यारण्य

मध्यप्रदेश में ग्वालियर के क्षेत्र में 510.64 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ एक वन्यजीव अभ्यारण्य है। इसकि स्थापना 1981 में किया गया था। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में मुख्य रूप से सोन चिड़िया को संरक्षित किया गया है। इसके अलावा यंहा नीलगाय, सांभर, चीतल और ण जीवों के साथ साथ प्रमुख पेड़-पौधे भी शामिल हैं।

मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व की पूरी सुची

मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व

भारतीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के तहत कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान को 1974 में मध्यप्रदेश का पहला टाइगर रिजर्व घोषित करने से लेकर अब तक मध्यप्रदेश के 6 राष्ट्रीय उद्यानों को बाघ परियोजना के तहत टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है। ये सभी 6 टाइगर रिजर्व इस प्रकार है।

  1. कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान
  2. पन्ना राष्ट्रीय उद्यान
  3. सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान
  4. पेंच राष्ट्रीय उद्यान
  5. संजय राष्ट्रीय उद्यान
  6. बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान

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