मुहावरे
मुहावरे की परिभाषा – मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है मौखिक परम्परा में प्रचलित। जो वाक्यांश सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को अभिव्यंजित (expressive) करते हैं, उसे मुहावरे कहते हैं। मुहावरे का सौन्दर्य वाक्य में प्रयुक्त होने के पश्चात् ही दृष्टिगोचर (Visible) होता है। वाक्यों में प्रयोग मुहावरे का ही करना चाहिये उसके अर्थ का नहीं।
जैसे- आँखों का तारा मुहावरे के स्थान पर नेत्रों का तारा या बहुत प्रिय होना का प्रयोग करना अनुचित है।
प्रमुख मुहावरे एवं वाक्यों प्रयोग
- अंधे की लाठी – एकमात्र सहारा (वाक्य में प्रयोग – वाक्य श्रवण कुमार अपने माता – पिता की अंधे की लाठी था)।
- अपने पैरों पर खड़ा होना – आत्मनिर्भर होना (वाक्य में प्रयोग– बच्चों को अपने पैरों पर खड़े होने का प्रयास करना चाहिए)।
- ईद का चाँद होना– बहुत दिनों बाद दिखाई देना (वाक्य में प्रयोग – चुनाव के पश्चात् नेतागण ईद का चाँद हो जाते हैं।)
- उठना-बैठना– मेलजोल रखना (वाक्य में प्रयोग – विधायकों का अपने क्षेत्र की जनता के साथ बहुत उठना-बैठना हो रहा है)।
- आँखें दिखाना– क्रोध करना (वाक्य में प्रयोग – असत्य भाषण करने पर पिता ने पुत्र को आँखें दिखाई)।
- आकाश पाताल एक करना– परिश्रम करना (वाक्य का प्रयोग – छात्र परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए आकाश पाताल एक कर देते हैं)।
- घास छीलना – व्यर्थ का काम करना (वाक्य में प्रयोग – विजय ने पाँच वर्ष तक घास छीली तब कहीं जाकर नौकरी मिली)।
- आस्तीन का साँप– विश्वासघाती (वाक्य में प्रयोग – मैंने अपने मित्र को अपना हितैषी समझा था, परन्तु वह तो आस्तीन का साँप निकला)।
- कलई खुलना– रहस्य पता चलना (वाक्य – विभीषण ने रावण के व्यवहार से तंग आकर लंका छोड़ दी और भगवान राम के समक्ष कलई खोल दी)।
- गागर में सागर भरना– संक्षिप्त में बहुत कह देना (वाक्य में प्रयोग – महाकवि तुलसीदास ने अपने दोहों में गागर में सागर भर वाक्य दिया है)।
- दूसरों का मुँह ताकना – पराश्रित होना (वाक्य में प्रयोग – स्वाभिमानी कभी भी अपने कार्य के लिए दूसरों का मुँह नहीं ताकते हैं)।
- हाथ पर हाथ रख कर बैठना– निठल्ला बैठना (वाक्य में प्रयोग – किसान वर्ष के आठ महीने हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहते हैं)।
- तितर-बितर करना – बिखेर देना (वाक्य में प्रयोग – रानी लक्ष्मीबाई ने अपने पराक्रम से अंग्रेजी सेना को तितर – बितर कर दिया)।
- कन्धे डालना – परिश्रम करना (वाक्य में प्रयोग – मजदूरों में गजब की फुर्ती रहती है, वे कभी भी कन्धे नहीं डालते हैं)।
- खून पसीना एक करना – बहुत मेहनत करना (वाक्य में प्रयोग – किसान खून पसीना एक करके अन्न उपजाता है)।
- निहाल होना – अत्यधिक खुश होना (वाक्य में प्रयोग – बड़ों का प्यार पाकर ज्योति निहाल हो गया)।
- चार चाँद लगाना – और भी सुंदर होना (वाक्य में प्रयोग– चाँदनी रात में ताजमहल के सौन्दर्य में चार चाँद लग जाते हैं)।
- लोहा लेना – युद्ध करना (वाक्य में प्रयोग – महाराणा प्रताप ने मुगलों से लोहा लिया)।
- सिर धुनना– पछताना ( वाक्य में प्रयोग – नेवले को मार कर ब्राह्मणी सिर धुनने लगी)।
- आसमान चूमना – कठिन कार्य करना (वाक्य में प्रयोग – स्वर्ण पदक पाने के लिए भारतीय हॉकी टीम को आसमान चूमना पड़ेगा)।
- मुँह छिपाना– लजा जाना, लज्जित होना (वाक्य में प्रयोग – चोर सिपाही को देखते ही मुँह छिपा कर भाग गया)।
- आकाश कुसुम – केवल कल्पना (वाक्य में प्रयोग – कुसुम खिलाने से कोई अन्तरिक्ष में नहीं पहुँच जाता)।
- कान में भनक पड़ना – रहस्य की बात जानना (वाक्य में प्रयोग – सेना के विद्रोह की भनक राजा के कानों में पड़ी)।
- घर भरना – मालामाल होना (वाक्य में प्रयोग – आजकल के नेता जनसेवा के स्थान पर घर भरने में लगे रहते हैं)।
- नींद टूटना – होश में आना (वाक्य में प्रयोग – परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर विनोद की नींद टूटी)।
- उल्टी गंगा बहना – प्रतिकूल कार्य करना (वाक्य में प्रयोग- राधिका द्वारा राहुल से शादी का प्रस्ताव किया जाना उल्टी गंगा बहना जैसा कार्य है )।
- उड़ती चिड़िया पहचानना – रहस्य की बात जानना (वाक्य में प्रयोग– मनु को कोई धोखा नहीं दे सकता, क्योंकि वह उड़ती चिड़िया पहचानता है)।
- गुदड़ी का लाल – गरीब घर में गुणवान का पैदा होना (वाक्य में प्रयोग– राष्ट्रपति कलाम गुदड़ी के लाल हैं।)
- मिट्टी में मिलना – नष्ट होना (वाक्य में प्रयोग – केदारनाथ में बाढ़ आने पर सब कुछ मिट्टी में मिल गया)।
- आँखों का तारा होना – बहुत प्रिय होना (वाक्य में।प्रयोग – इकलौती संतान माता – पिता की आँखों की तारा होती है)।
- मैदान मारना – विजयी होना (वाक्य में प्रयोग- भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ एक दिवसीय मैचों की श्रृंखला में मैदान मार लिया)।
- पलकें बिछाना – प्रेम से स्वागत करना (वाक्य में प्रयोग – अपने प्रिय नेता के स्वागत में जनता ने पलकें बिछा दीं)।
- दिन में तारे दिखाई देना – संकट का अनुभव करना (वाक्य में प्रयोग – अनिल को व्यापार में नुकसान होने पर दिन में तारे दिखाई देने लगे)।
- हवाई किले बनाना – काल्पनिक सुख प्राप्त करना (वाक्य में प्रयोग – भावी पीढ़ी को हवाई किले बनाकर कार्य करना चाहिए)।
- पीठ ठोंकना – उत्साहवर्धन करना (वाक्य में प्रयोग – क्रिकेट मैच जीतने पर प्रधानाध्यापक ने छात्रों की पीठ ठोकी)।
- हाथ मलना – पछताना (वाक्य में प्रयोग–सुरेन्द्र अपने मित्रों के साथ पुरी नहीं जा सकता, अतः वह हाथ मलने लगा।
- बातें बनाना – गप्पें हाँकना (वाक्य में प्रयोग- विजय केवल बातें बनाते रहते हैं, कार्य कुछ भी नहीं करते हैं)।
- चकमा देना – धोखा देना (वाक्य में प्रयोग– ठग राहगीर को चकमा देकर सोने के जेवरात लेकर भाग गया)।
- नाक में दम करना – बहुत तंग करना (वाक्य में प्रयोग – छत्रपति शिवाजी ने औरंगजेब की नाक में दम कर दिया था)
लोकोक्तियाँ या कहावते
लोकोक्ति का अर्थ- लोकोक्ति का शाब्दिक अर्थ लोक + उक्ति अर्थात् संसार का कथन है या लोक प्रचलित उक्ति। जब कोई नीतिपूर्ण बातें या जीवन की सत्यता को व्यक्त करने वाली बात आम प्रयोग में प्रचलित हो जाती हैं उसे लोकोक्ति कहते हैं । जैसे – अंधे के हाथ बटेर
प्रमुख कहावतें एवं वाक्य में प्रयोग
- अंधों में काना राजा– अज्ञानी जनों में अल्पज्ञ का महत्व (वाक्य में प्रयोग – दसवीं कक्षा अनुत्तीर्ण शैलेंद्र गाँव के अनपढ़ लोगों के पत्र पढ़कर अंधों में काना राजा बन गया)।
- ऊँट के मुँह में जीरा– आवश्यकता से कम (वाक्य में प्रयोग- हजार रुपये की श्यामलाल को आवश्यकता था, उसके पिताजी ने उसे केवल पाँच सौ रुपये ही दिये इसे कहते हैं ऊँट के मुँह में जीरा)।
- अक्ल बड़ी या भैंस – बल की अपेक्षा बुद्धि बड़ी है (वाक्य में प्रयोग – बड़े-बड़े पहलवानों को भी कई बार दुबले – पतले व्यक्ति अपने वश में कर लेते हैं, इसी को कहते हैं अक्ल बड़ी या भैंस)।
- आँख का अंधा नाम नयन सुख– नाम के अनुकूल गुण नहीं होना (वाक्य में प्रयोग – सरिता कक्षा में सबसे अधिक शोर करती है, उस पर आँख का अंधा नाम नयन सुख बात चरितार्थ होती है)।
- अब पछताये क्या होत है जब चिड़िया चुग गई खेत – काम बिगड़ने के बाद पछताना व्यर्थ है, (वाक्य- फसल नष्ट हो जाने के बाद किसान का रोना और पछताना व्यर्थ है, क्योंकि अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत)।
- खोदा पहाड़ निकली चुहिया – मेहनत की अपेक्षा कम लाभ (वाक्य में प्रयोग – सारा दिन काम करने के पश्चात् सेठ जी ने नौकर को दो रुपये दिये इसे कहते हैं खोदा पहाड़ निकली चुहिया)।
- चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता – निर्लज्ज व्यक्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता (वाक्य में प्रयोग – दुर्जन को चाहे कितना ही समझाओ वह अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता है, क्योंकि चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता है)
- गरीबी में आटा गीला – गरीबी में खर्च का बढ़ना (वाक्य में प्रयोग – गरीब सुदेश अपने बेटे की परीक्षा फीस मुश्किल से जुटा पाया, किन्तु वह पूरक का पात्र घोषित किया गया इसे कहते हैं गरीबी में आटा गीला होना)।
- जो गरजते हैं वे बरसते नहीं – बहुत बोलने वाले कार्य नहीं कर सकते हैं (वाक्य में प्रयोग– अरुण ने वरुण को नौकरी लगाने को कहा, किन्तु वह स्वयं बेरोजगार है, तभी कहते हैं जो गरजते हैं वे बरसते नहीं हैं)।
- एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी – अपराध करके भी अकड़ना (वाक्य में प्रयोग – चोरी करते हुए रंगे हाथों पकड़े जाने पर चोर पुलिस से कहने लगा, आप कौन से ईमानदार हैं। इसी को कहते हैं एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी)।
- खग ही जाने खग की भाषा – समान विचार वाले दूसरे को जानते हैं (वाक्य में प्रयोग – एक गूंगा दूसरे गूंगे को समझा रहा था इसे देखकर अनुराग ने मनीष से कहा खग ही जाने खग की भाषा)।
- थोथा चना बाजे घना– थोड़े गुण वाला दिखावा अधिक (वाक्य में प्रयोग – विनोद के पास थोड़ा सा धन आने से वह राजा महाराजाओं के समान व्यवहार करने लगा, क्योंकि थोथा चना बाजे घना)
- दूध का दूध पानी का पानी – सही न्याय करना (वाक्य में प्रयोग- सम्राट अशोक के न्यायमंत्री शिशुपाल के समक्ष जब कोई फरियादी पहुँचता था तो वह दूध का दूध पानी का पानी कर देता था।
- दीवार के भी कान होते हैं – अकेले में कही गई बात को कोई भी सुन सकता है (वाक्य में प्रयोग– पिता ने पुत्र से कहा अरे भाई धीरे-धीरे बोलो कोई अपनी बात सुन लेगा तुम्हें क्या यह पता नहीं है कि दीवारों के भी कान होते हैं)।
- नाच न जाने आँगन टेढ़ा – खुद का दोष दूसरे पर मढ़ना (वाक्य में प्रयोग– हिमांशु से सवाल बन ही नहीं रहा था, किन्तु वह शिक्षक से कह रहा था कि सवाल ही गलत है तब शिक्षक ने उसे समझाते हुए कहा नाच न जाने आँगन टेढ़ा)
- न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी– किसी वस्तु को जड़ से समाप्त कर देना (वाक्य में प्रयोग- तुम उसकी छड़ी ही तोड़ दो तो वह तुम्हें मारना छोड़ देगा न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी)
- दूर के ढोल सुहावने लगते हैं – दूर की वस्तु अच्छी लगती है (वाक्य में प्रयोग- गौरव की प्रशंसा सुनकर जब मैं उसके पास मिलने गया मगर उसके दुर्व्यवहार से मुझे लगा दूर के ढोल सुहावने लगते हैं)
- जमीन पर पैर न पड़ना – अत्यधिक खुश होना (वाक्य में प्रयोग- मोहनी की लॉटरी क्या निकली उसके पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे।
- काला अक्षर भैंस बराबर – निरक्षर (वाक्य में प्रयोग- अनपढ़ शैलेंद्र के लिए काला अक्षर भैंस बराबर है)।
- तीन लोक से मथुरा न्यारी – अपना अलग ढंग (वाक्य में प्रयोग – नवीन को किसी से कोई मतलब नहीं है)।
- जब तक जीना तब तक सीना – निरंतर परिश्रम करना (वाक्य में प्रयोग – गरीबों को हमेशा जब तक जीना तब तक सीना की नीति पर चलना पड़ता है)।
- कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली– असमान गुणों वालों की तुलना करना वाक्य में प्रयोग– छात्र की तुलना अध्यापक से नहीं हो सकती है, क्योंकि कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली)।
- आप लिखे खुदा बाँचे – अपठनीय लिखावट (वाक्य में प्रयोग – बहुत से लोगों की लिखावट इतनी खराब होती है। उनके लिए यह कहावत लागू होती है आप लिखे खुदा बाँचे )
- अपनी करनी पार उतरनी – मुनष्य अपने परिश्रम से ही सफलता प्राप्त करता है (वाक्य मनुष्य को दूसरों पर भरोसा करके बैठना ठीक बात नहीं, क्योंकि अपनी करनी से ही पार उतरना पड़ता है)।
- चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात – क्षणिक सुख (वाक्य में प्रयोग – सरकारी कर्मचारियों के लिए पहली तारीख बड़ी खुशी का दिन होता है, किन्तु महीने के शेष दिन जैसे – तैसे बीतते हैं। उनका जीवन चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात जैसा हो गया है।
- होनहार बिरवान के होत चिकने पात – महान व्यक्तियों के लक्षण बचपन से ही पता चल जाते हैं (वाक्य में प्रयोग – स्वामी विवेकानंद के द्वारा बाल्यकाल से ही किये गये कार्यों से लगता था कि वे एक दिन अवश्य महान बनेंगे, क्योंकि होनहार बिरवान के होत चिकने पात)।
मुहावरे और कहावतें में क्या अन्तर है?
जब कोई वाक्यांश अपने सामान्य अर्थ को छोड़कर अन्य अर्थ को प्रकट करें, तब उसे मुहावरे कहते हैं, जबकि लोकोक्ति विशेष अर्थ से किसी सच्चाई को प्रकट करती है।