राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यान | राजस्थान के वन्यजीव अभ्यारण्य | राजस्थान के टाइगर रिजर्व
क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान, रेगिस्तान के साथ-साथ वन्यजीवों और जंगलों से भी समृद्ध है। 3,42,240 वर्ग किमी. के विशाल क्षेत्र में फैले राजस्थान में अनेकों वन्यजीव अभ्यारण्य और कई राष्ट्रीय उद्यान संरक्षित है। इन राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्यों को आइये देखते है विस्तार से।
राजस्थान में कितने राष्ट्रीय उद्यान है?
राजस्थान में वर्तमान में 5 राष्ट्रीय उद्यान और लगभग 25 वन्यजीव अभ्यारण्य संरक्षित है। जिनमे टाइगर रिजर्व और पक्षी अभ्यारण्य भी शामिल है। राजस्थान के इन राष्ट्रीय उद्यानो में विभिन्न प्रकार के और कुछ दुर्लभ प्रजाति के वन्यजीव भी पाया जाता है।
राजस्थान के सबसे बड़ा वन्यजीव अभ्यारण्य कौनसा है?
राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर के क्षेत्र में 3162 वर्ग किमी में फैले मरुभूमि उद्यान राजस्थान के सबसे बड़े वन्यजीव अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यान है। इसके 20% भाग रेतीले टीलों से ढका हुआ है।
राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यान की सूची विस्तार से
केवला देवी राष्ट्रीय उद्यान
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का निर्माण लगभग 250 वर्ष पहले महाराजा सूरजमल ने करवाया था। 1982 में भरतपुर पक्षी अभ्यारण्य को राष्ट्रीय पार्क घोषित कर दिया गया और इसका नाम केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान रखा गया। वर्ष 1985 में यूनेस्को के विश्व धरोहर के रूप में शामिल हुआ।
यह राष्ट्रीय उद्यान शीत ऋतु में दुर्लभ जाति के पक्षियों का दूसरा घर बन जाती है। यंहा साईबेरियाई सारस, घोमरा, उत्तरी शाह चकवा, जलपक्षी, लालसर बत्तख आदि जैसे विलुप्तप्राय जाति के अनेकों प्रकार के पक्षी यहाँ अपना बसेरा करते है। इसके अलावा यहां कई और दुर्लभ जीव भी निवास करते है।
रणथ्मभोर नेशनल पार्क
राजस्थान के दक्षिणी जिले सवाई माधोपुर में स्थित रणथंभौर को भारत सरकार द्वारा 1955 में सवाई माधोपुर खेल अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था और 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व में से एक घोषित किया गया था। 1 नवंबर 1980 को रणथंभौर एक राष्ट्रीय उद्यान बन गया।
इस राष्ट्रीय उद्यान में पाये जाने वाले अन्य जीव जन्तुओं में मुख्यतः सुस्त भालू, भारतीय तेंदुआ, सांभर, रीसस मकाक, नीलगाय, दक्षिणी मैदानी धूसर लंगूर, जंगली सूअर, धारीदार लकड़बग्घा, मगरमच्छ और चीतल के अलावा सरीसृप और कई प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां भी पाई जाती है। यंहा आकर आप इन वन्यजीवों को आसानी से देख सकते है।
सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान
सरिस्का बाघ अभ्यारण्य भारत में सबसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। यह राजस्थान के राज्य के अलवर जिले में स्थित है। 1955 में इसे वन्यजीव आरक्षित भूमि घोषित किया गया था। 1978 में बाघ परियोजना रिजर्व का दर्जा दिया गया। सरिस्का नेशनल पार्क वर्तमान क्षेत्र 866 वर्ग किमी में फैला है।
सरिस्का बाघ अभयारण्य का सरिस्का नेशनल पार्क में में बाघ चित्ता, तेंदुआ, जंगली बिल्ली, कैरकल, धारीदार बिज्जू, सियार स्वर्ण, चीतल, साभर, नीलगाय, चिंकारा, चार सींग वाला मृग या चौसिंघा, जंगली सुअर, खरगोश, लंगूर और पक्षी प्रजातियों और सरीसृप के बहुत सारे वन्य जीव मिलते है। ये बाघ के लिए ज्यादा प्रसिद्ध है।
डैजर्ट नेशनल पार्क
मरुभूमि राष्ट्रीय उद्यान या डेजर्ट नेशनल पार्क (Desert National Park) राजस्थान के थार मरुस्थल में स्थिति है। जो राजस्थान का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान हैं। उद्यान का काफी बड़ा भाग लुप्त हो चुकी नमक की झीलों की तलहटी और कंटीली झाड़ियों से परिपूर्ण है। उद्यान का 20 प्रतिशत भाग रेत के टीलों से सजा हुआ है।
उद्यान का प्रमुख क्षेत्र खड़ी चट्टानों, नमक की छोटी-छोटी झीलों की तलहटियों, पक्के रेतीले टीलों और बंजर भूमि से भरा पड़ा है। मरुभूमि राष्ट्रीय उद्यान या डेज़र्ट नेशनल पार्क के वन्यजीवों में ब्लैक बक या काला हिरण, चिंकारा, रेगिस्तानी लोमड़ी, बंगाल लोमड़ी, भारतीय भेड़िया, रेगिस्तानी बिल्ली, खरगोश आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा सांप भी यहां बहुत पाए जाते हैं।
दर्रा नेशनल पार्क
दर्राह राष्ट्रीय उद्यान घड़ियालों (पतले मुंह वाले मगरमच्छ) के लिए बहुत लोकप्रिय है। दर्राह राष्ट्रीय उद्यान एक राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभयारण्य भी है जो भारत के राजस्थान राज्य में कोटा से 50 कि॰मी॰ दूर है। बहुत कम जगह दिखाई देने वाला दुर्लभ कराकल यहां देखा जा सकता है। 250 वर्ग किमी. में फैला यह नेशनल पार्क राष्ट्रीय उद्यान के साथ-साथ एक वन्यजीव अभ्यारण्य भी है। इसकी स्थापना 2004 में किया गया था। इसे मुकुंदहिल्स नेशनल पार्क के नाम से भी जाना जाता है।
राजस्थान के वन्यजीव अभ्यारण्य की सूची विस्तार से
ताल छापर वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान के चुरू जिले के छपार शहर के पास स्थित ताल छापर नेशनल पार्क को 11 मई 1966 को एक अभयारण्य का दर्जा दिया गया था। यह अभयारण्य थार रेगिस्तान और प्रसिद्ध शेखावाटी क्षेत्र में फैला हुआ है। पहले यह क्षेत्र बीकानेर के पूर्ववर्ती शाही परिवार के शिकार के लिए रिजर्व था।
माउंट आबू वाईल्ड लाइफ सैंचुरी
माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य 288 वर्ग किलोमीटर में फैला हैं। इस अभयारण्य की स्थापना 1960 में की गई थी। यहाँ पक्षियों की लगभग 250 और पौधों की 110 से ज्यादा प्रजातियां देखी जा सकती हैं। पक्षियों में रुचि रखने वालों के लिए उपयुक्त जगह है।
सरिस्का वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में अलवर के क्षेत्र में 219.00 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1955 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से बाघ, सियागोस, बिल्ली और मोर वन्यजीव के साथ साथ धोकड़ा, कौंच की फली, सालर जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
रामसागर वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में धौलापुर के क्षेत्र में 34.40 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1955 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल गीदड़, भेड़िया वन्यजीव के साथ साथ धोकड़ा, खैर और गोया जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
केसर बाग वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में धौलपुर के क्षेत्र में 14.76 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1955 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल चीतल, भेड़िया, जरख, लोमड़ी वन्यजीव के साथ साथ धोकड़ा, कुमठा और रोंज जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
वन विहार वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में धौलपुर के क्षेत्र में 25.60 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1955 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल लोमड़ी, विभिन्न प्रकार के पक्षी के साथ साथ कमल जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
दर्रा वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में कोटा और झालावाड़ के क्षेत्र में 80.75 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1955 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल बाघेरा, गगरानी तोता वन्यजीव के साथ साथ धोकड़ा, खैर तेंदू और बिया जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
जयसमन्द वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में उदयपुर के क्षेत्र में 52.34 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1955 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल बघेरा, लकड़बग्घा वन्यजीव के साथ साथ केवड़ा और ढाक जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में पाली और उदयपुर के क्षेत्र में 608.57 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1971 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल लकड़बग्घा, भेड़िया वन्यजीव के साथ साथ धोकड़ा, सालार और चंदन जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है। ये राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध अभयारण्यों में से एक है।
जवाहर सागर वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में कोटा के क्षेत्र में 153.41 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1975 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल घड़ियाल, मगरमच्छ वन्यजीव के साथ साथ धोकड़ा, और बांस जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
सीतामाता वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में चित्तौड़गढ़ और उदयपुर के क्षेत्र में 422.94 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1979 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल उड़न गिलहरी, रीछ वन्यजीव के साथ साथ सागवान, बांस और महुआ जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
राष्ट्रीय घड़ियाल अभयारण्य
राजस्थान में कोटा, सवाई माधोपुर, बूंदी और धौलापुर के कुछ क्षेत्र में 280 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1979 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल घड़ियाल, मगरमच्छ वन्यजीव के साथ साथ बबूल, खैर और शीशम जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
राष्ट्रीय मरू उद्यान
राजस्थान में जैसलमेर और बाड़मेर के क्षेत्र में 3162 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1980 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल मरुबिल्ली, गोडावण वन्यजीव के साथ साथ खेजड़ी, बेर, सेवण और फेग जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है। ये एक राष्ट्रीय उद्यान भी है।
नाहरगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में जयपुर के क्षेत्र में 50 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1980 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल सियार, नीलगाय, बघेरा वन्यजीव के साथ साथ धोकड़ा, सालार और तेंदू जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
रामगढ़ – विषधारी वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में बूंदी के क्षेत्र में 252.79 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1982 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल बाघ, सांबर, सुअर वन्यजीव के साथ साथ धोकड़ा, और चुरैल जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
जमवा रामगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में जयपुर के क्षेत्र में 300 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1982 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल बघेरा, जरख, भेड़िया वन्यजीव के साथ साथ खस और आम जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
भैंसरोड़गढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में चित्तौड़गढ़ के क्षेत्र में 229.14 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1983 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल बघेरा, रीछ वन्यजीव के साथ साथ धोकड़ा, सालार और गुर्जन जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
शेरगढ़-अचरौली वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में बारां के क्षेत्र में 98.71 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1983 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल बघेरा, रीछ, जरख वन्यजीव के साथ साथ चिरौंजी, बिया और बेल जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
टाटगढ़-रावली वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में अजमेर और पाली के क्षेत्र में 463 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1983 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल बघेरा, जरख, रीछ वन्यजीव के साथ साथ धोकड़ा, सालार और धावड़ा जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
कैला देवी राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में करौली के क्षेत्र में 676.76 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1983 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल बघेरा, रीछ, जरख वन्यजीव के साथ साथ धोकड़ा जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
फुलवारी की नाल वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में उदयपुर के क्षेत्र में 492.68 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1983 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल बघेरा, जरख, वनबिलाव वन्यजीव के साथ साथ धोकड़ा, सागवान और महुआ जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
सावाई मानसिहं वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में सवाई माधोपुर के क्षेत्र में 127.76 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1984 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल बघेरा, बाघ वन्यजीव के साथ साथ रोहिड़ा जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।
बन्ध बरेठा वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में भरतपुर के क्षेत्र में 199.50 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1983 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल प्रवासी पक्षी के साथ साथ मारवी, सेमल और घटबोर जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है। ये एक पक्षी अभ्यारण्य है।
सज्जनगढ़ वन्यजीव पार्क
राजस्थान में उदयपुर के क्षेत्र में 5.19 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1987 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल सांभर, चित्तल वन्यजीव के साथ साथ धोकड़ा, सालार और धावड़ा जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है। ये एक बायोलॉजीकल पार्क है जंहा यहां सरीसृप, बाघ, नीलगाय, सांभर, वन्य सूअर, हनीस, पेंथर और गॉल्स देखे जा सकते हैं।
बस्सी वन्यजीव अभ्यारण्य
राजस्थान में चित्तौड़गढ़ के क्षेत्र में 138.69 वर्ग किमी में फैले इस वन्यजीव अभ्यारण्य का स्थापना 1988 में हुआ था। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से शामिल बघेरा, जरख वन्यजीव के साथ साथ ढाक, सागवान और बांस जैसे प्रमुख पेड़-पौधे शामिल है।