भारत का सर्वोच्च न्यायालय कब बना? सर्वोच्च न्यायालय से जुड़े महत्वपूर्ण बातें
सर्वोच्च न्यायालय भारत का सबसे बड़ा न्यायालय हैं। देश में हुए बड़े बड़े विवादों को इसी न्यायालय के जरिये सुलझाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है कि इसका निर्माण कब हुआ? इसमें पदस्थ जज का सैलरी कितना है? इस कोर्ट का न्यायाधीश का कार्यकाल कितने वर्षों का होता है? अबतक कितने मुख्य न्यायाधीश बन चुके है? अगर नही जानते तो आइए देखते है भारत का सर्वोच्च न्यायालय कब बना? सर्वोच्च न्यायालय से जुड़े महत्वपूर्ण बातें कौन कौन से है?
भारत का सर्वोच्च न्यायालय से जुड़े महत्वपूर्ण बातें
संविधान का अनुच्छेद 129 के अनुसार उच्चतम न्यायालय को अभिलेख न्यायालय का स्थान प्रदान करता है। इसका आशय यह है कि इस न्यायालय के निर्णय सब जगह साक्षी के रूप में स्वीकार किए जाएँगे और इसकी प्रामाणिकता के विषय में प्रश्न नहीं किया जाएगा। भारत का उच्चतम न्यायालय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का रक्षक है।
अनुच्छेद 32 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय को विशेष रूप में उत्तरदायी ठहराता है कि वह मौलिक अधिकारों को लागू कराने के लिए आवश्यक कार्यवाई करें। न्यायालय मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए बन्दी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश प्रतिषेध, अधिकारपृच्छा – लेख और उत्प्रेषण के लेख जारी कर सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय का गठन कब हुआ?
1861 में, भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम 1861 को विभिन्न प्रांतों के लिए उच्च न्यायालय बनाने के लिए अधिनियमित किया गया था और कलकत्ता, मद्रास और बॉम्बे में सर्वोच्च न्यायालयों को समाप्त कर दिया गया था और उनके संबंधित क्षेत्रों में प्रेसीडेंसी कस्बों में एस अदार अदालतें भी समाप्त कर दी गई थीं। इन नए उच्च न्यायालयों को भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत भारत के संघीय न्यायालय के निर्माण तक सभी मामलों के लिए सर्वोच्च न्यायालय होने का गौरव प्राप्त था।
वर्तमान सर्वोच्च न्यायालय का गठन अनुच्छेद 124 के अनुसार भारत में एक सर्वोच्च न्यायालय का गठन किया गया है, भारत के गणतंत्र होने के 2 दिन के पश्चात् अर्थात् 28 जनवरी, 1950 को सर्वोच्च न्यायालय अस्तित्व में आया। सर्वोच्च न्यायालय का उद्घाटन संसद भवन के चैंबर्स ऑफ प्रिंसेस में हुआ। 1937 से ही यह कोर्ट यहीं था और आगे 1958 तक इसी स्थान पर रहा। अपने वर्तमान भवन में यह 1958 में स्थानांतरित हुआ।
सर्वोच्च न्यायालय का उद्घाटन किसने किया?
उद्घाटन के समय देश के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति हीरालाल जे. कानिया, न्यायमूर्ति सैयद फज्ल अली, एम. पतंजलि शास्त्री, मेहर चंद महाजन, बिजन कुमार मुखर्जी तथा एस आर. दास कई राज्यों के मुख्य न्यायाधीश, भारत के प्रधानमंत्री आदि उपस्थित थे।
भारत का सर्वोच्च न्यायालय कंहा है?
भारत की न्यायिक व्यवस्था इकहरी और एकीकृत है, जिसके सर्वोच्च शिखर पर भारत का सर्वोच्च या उच्चतम न्यायालय दिल्ली में स्थित है। सर्वोच्च न्यायालय का वास्तविक पता तिलक मार्ग, नई दिल्ली, दिल्ली है।
सर्वोच्च न्यायालय में कितने न्यायाधीश होते है।
प्रारंभ में प्रधान न्यायाधीश सहित 8 न्यायाधीशों की सर्वोच्च न्यायालय में व्यवस्था की गई थी, जो वर्तमान में मुख्य न्यायाधीश सहित 31 पद स्वीकृत हैं। इसमें एक मुख्य न्यायाधीश और बाकी अन्य न्यायाधीश होता है।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशो की नियुक्ति कौन करता है?
भारत के सर्वोच्च न्यायालय की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति करता है। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को पद एवं गोपनीयता की शपथ राष्ट्रपति ही दिलाता है।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने के लिए योग्यता
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनने के लिए न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित नहीं की गयी है। 5 वर्ष तक उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रहा हो या दस वर्ष तक वकालत कर चुका हो या राष्ट्रपति की दृष्टि में पारंगत विधिवेत्ता हो। वे सब सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बन सकता है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अवका प्राप्त करने के बाद भारत में किसी भी न्यायालय या किसी अधिकारी के सामने वकालत नहीं कर सकते हैं।
सर्वोच्च न्यायालयनक न्यायाधीश का कार्यकाल कितने वर्षों का होता है?
भारत का सर्वोच्च न्यायालय में पदस्थ न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक ही कोई सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश रह सकता हैं इसके बाद अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त हो जाता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की रिटायरमेंट की आयु 65 वर्ष होती है कोई भी सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश जब मुख्य न्यायाधीश के पद पर पदोन्नत होता है तब उसकी जितनी उम्र होती है उसको 65 में से घटाने पर जितना समय शेष होता है उतना ही कार्यकाल उस पदोन्नत न्यायधीश का भारत के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर होता है। इस प्रकार विभिन्न मुख्य न्यायाधीश के कार्यकाल अलग अलग रहे हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को कौन पदमुक्त कर सकता है?
संसद की कुल सदस्य संख्या के बहुमत एवं सदन में उपस्थित सदस्यों के 2/3 बहुमत हो तो किसी भी न्यायाधीश को पदमुक्त कर सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश अपना त्यागपत्र किसको देता है?
किसी भी न्यायाधीश का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद या किसी कारण से बीच मे पदमुक्त होता है तो वो न्यायाधीश अपना त्यागपत्र भारत के राष्ट्रपति को देता है। जिससे स्वीकृति के बाद ही पद मुक्त होता है।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश का वेतन कितना होता है?
भारत के मुख्य न्यायाधीश को प्रतिमाह 2.80 लाख रुपये का वेतन मिलता है। यह सैलरी देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व राज्यपाल के बाद सबसे ज्यादा होती है। सर्वोच्च न्यायालय के और जजों को 2.50 लाख रुपये मिलता है। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को वेतन के अलावा कई तरह की सुविधाएं दी जाती है। उन्हें रहने के लिए सरकार की ओर से एक आवास प्रदान किया जाता है। इसके अलावा सीजेआई को कार, सुरक्षाकर्मी, कर्माचारी और उनके आवास का बिजली का खर्च सहित कई सुविधाएं सरकार की ओर से दी जाती है। इनसब के अलावा मुख्य न्यायाधीश को 45 हजार रुपये का सत्कार भत्ता भी दिया जाता है और जब सीजेआई रिटायर होते हैं तो उन्हें 16.80 लाख रुपये की सालाना पेंशन भी दी जाती है।
न्यायाधीश का बैठक कंहा होता है?
मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति लेकर दिल्ली के अतिरिक्त अन्य किसी स्थान पर सर्वोच्च न्यायालय की बैठकें कर सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार
- आरंभिक क्षेत्राधिकार – दो राज्य के बीच, केन्द्र और राज्य के बीच, और केन्द्र एकाधिक राज्य के विवादों का निपटारा कराना।
- परामर्श का अधिकार – अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को परामर्श
- न्यायिक पुनरावलोकन का अधिकार – ये अधिकार अमेरिका से लिया गया हैं इसके अंतर्गत अनुच्छेद 131 क के अनुसार केन्द्रीय विधियों की संवैधानिक वैधता से संबंधित प्रश्नों के बारे में पुनरावलोकन का अधिकार तथा अनुच्छेद 137 के अनुसार स्वयं के आदेशों या निर्णयों का उच्चतम न्यायालय द्वारा पुनरावलोकन करना।
- विशिष्ट क्षेत्राधिकार – संविधान की व्याख्या मूल अधिकारों की रक्षा करना।
- अभिलेख न्यायालय ( Court of Record )
- अपीलीय अधिकार – उच्च न्यायालय के विरुद्ध
- अनुच्छेद 32 के तहत निकालने की शक्ति।
सुप्रीम कोर्ट परिसर में कौन कौन सी सुविधाएं है?
कानूनी सहायता, कोर्ट – फीस विक्रेता, प्राथमिक चिकित्सा पोस्ट, दंत चिकित्सालय, फिजियोथेरेपी यूनिट और पैथोलॉजी लैब, रेल -आरक्षण काउंटर, कैंटीन, डाकघर और एक शाखा और यूको बैंक के 3 एटीएम है इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट संग्रहालय का का भी आगंतुक लाभ उठा सकते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले
• भूमि सुधार 1967
गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य मामला 1967 का मामला था, जिसमें अदालत ने फैसला सुनाया कि संसद किसी भी मौलिक अधिकार में कटौती नहीं कर सकती है।
• आपातकाल के दौरान (1975-1977)
जबलपुर के अतिरिक्त जिलाधिकारी बनाम शिवकांत शुक्ला के मामले में सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों की पीठ ने राज्य के अप्रतिबंधित अधिकारों के पक्ष में फैसला सुनाया। आपातकाल के दौरान हिरासत में लेने के संबंध में।
• केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य 1970
इसे केशवानंद भारती निर्णय के रूप में भी जाना जाता है, भारत के सर्वोच्च न्यायालय का एक ऐतिहासिक निर्णय है जिसने भारतीय संविधान के मूल संरचना सिद्धांत को रेखांकित किया है। इस मामले को मौलिक अधिकार मामले के रूप में भी जाना जाता है।
• 2 जी स्पेक्ट्रम केस 2008
सुप्रीम कोर्ट ने स्पेक्ट्रम के आवंटन को असंवैधानिक और मनमाना घोषित किया और 2 जी मामले में मुख्य आधिकारिक आरोपी ए राजा (तत्कालीन संचार और आईटी मंत्री) के कार्यकाल के दौरान 2008 में जारी किए गए सभी 122 लाइसेंस रद्द कर दिए।
• सूचना का अधिकार 2010
वर्ष 2010 में, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए अपने सामने एक अपील दायर की, जिसमें कहा गया था कि भारत के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय आरटीआई अधिनियम के दायरे में आता है और इसके तहत जानकारी प्रकट करने के लिए उत्तरदायी है।
• अल्पसंख्यक आरक्षण
सुप्रीम कोर्ट ने 27 % के ओबीसी आरक्षण कोटे के तहत अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 % उप – कोटा रद्द करने के आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा।
• विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिक ( एनआरआई ) के लिए ऑनलाइन / पोस्टल बैलेट
भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों के लिए ऑनलाइन / डाक मतपत्र के लिए अनिवासी भारतीयों के एक समूह द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार और भारत के चुनाव आयोग ( ईसी ) को नोटिस जारी किया।
• टीएसआर सुब्रमण्यम और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य 2013
भारत के सर्वोच्च न्यायालय का एक ऐतिहासिक निर्णय था जिसमें न्यायालय ने फैसला सुनाया कि सिविल सेवक मौखिक निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं थे। ये मामला भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दायर एक जनहित नागरिक रिट याचिका के साथ शुरू हुआऔर अक्टूबर 2013 में निर्णय लिया गया।
• कानून में ट्रांसजेंडर को थर्ड जेंडर के रूप में मान्यता
1 अप्रैल 2014 में, न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन ने भारतीय कानून में ट्रांसजेंडर को तीसरा लिंग घोषित किया।
• 35,000 से अधिक लोक सेवकों को राहत
• नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ 2018
2018 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय का एक ऐतिहासिक निर्णय है जिसने समलैंगिक यौन संबंध सहित वयस्कों के बीच सभी सहमति से सेक्स को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है।
• अयोध्या विवाद 2019
एक राजनीतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक – धार्मिक बहस, अयोध्या विवाद 1961 से चल रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने 40 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया और 9 नवंबर 2019 को यह कहते हुए खुलासा किया कि विवादित भूमि हिंदुओं को दी जाएगी और यह भी फैसला सुनाया कि मुस्लिम समुदाय को एक वैकल्पिक टुकड़ा दिया जाएगा।(मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन)
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों की पूरी सूची
- माननीय श्री न्यायमूर्ति हरिलाल जेकिसुंदस कानिया (26-01-1950 से 06-11-1951) – 26-01-1950 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त।
- माननीय श्री न्यायमूर्ति एम पतंजलि शास्त्री (26-01-1950 से 03-01-1954) – 07-11-1951 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त।
- माननीय श्री न्यायमूर्ति मेहर चंद महाजन (26-01-1950 से 22-12-1954) – 04-01-1954 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त।
- माननीय श्री न्यायमूर्ति बिजन कुमार मुखर्जी (26-01-1950 से 31-01-1956) – 23-12-1954 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त।
- माननीय श्री न्यायमूर्ति सुधी रंजन दास (26-01-1950 से 30-09-1959) – 01-02-1956 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त।
- माननीय श्री न्यायमूर्ति भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा (03-12-1954 से 31-01-196) – 01-10-1959 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त।
- माननीय श्री न्यायमूर्ति पी.बी. गजेंद्रगडकर (17-01-1957 से 15-03-1966) – 01-02-1964 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त।
- माननीय श्री न्यायमूर्ति ए.के. सरकार (03-04-1957 से 29-06-1966) – 16-03-1964 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त।
- माननीय श्री न्यायमूर्ति के. सुब्बा राव (31-01-1958 से 11-04-1967) – 30-06-1966 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त।
- माननीय श्री न्यायमूर्ति के.एन. वांचोक (08-11-1958 से 24-02-1968) – 12-04-1967 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त।
- माननीय श्री न्यायमूर्ति एम हिदायतुल्ला (12-01-1958 से 16-12-1970) – 25-02-1968 के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति जेसी शाह (10-12-1959 से 21-01 -1971) – 17-12-1970 के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त।
- माननीय श्री न्यायमूर्ति एस.एम. सीकरी (02-03-1964 से 25-04-1973) – 22-01-1971 के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति ए.एन. रे (08-01-1969 28-01-1977) – 26-04-1973 के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त।
- माननीय श्री न्यायमूर्ति एम. हमीदुल्ला बेग (12-10-1971 से 21-02-1978) – 29-01-1977 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति वाई.वी. चंद्रचूड़ (28-08-1972 से 11-07-1985) – 22-02-1978 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति पी.एन. भगवती (17-07-1973 से 20-12-1986) – 12-07-1985 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति आर.एस. पाठक (20-02-1978 से 18-06-1989) – 21-12-1986 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति ई.एस. वेंकटरमैया (08-03-1979 से 17-12-1989) – 19-06-1989 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति सब्यसाची मुखर्जी (15-03-1983 से 25-09-1990) – 18-12-1989 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा (15-03-1983 से 24-11-1991) – 25-09-1991 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति के.एन. सिंह (03-10-1986 से 12-12-1991) – 25-11-1991 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति एम.एच. कनिया (05-01-1987 से 17-11-1992) – 13-12-1991 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति एलएम शर्मा (10-05-1987 से 11-02-1993) – 18-11-1992 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति एमएन वेंकटचलैया (10-05-1987 से 24-10-1994) – 12-02-1993 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
- माननीय श्री न्यायमूर्ति ए.एम. अहमदी (14-12-1988 से 24-03-1997) – 25-10-1994 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा (06-03-1989 से 17-01-1998) – 25-03-1997 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति एम.एम. पुंछी (10-06-1989 से 09-10-1998) – 18-01-1998 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय डॉ. न्यायमूर्ति ए.एस. आनंद (18-11-1991 से 31-10-2001) – 10-10-1998 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति एस.पी. भरूचा (07-01-1992 से 05-05-2002) – 01-11-2001 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति बी.एन. कृपाल (09-11-1995 से 07-11-2002) – 06-05-2002 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति जी.बी. पटनायक (09-11-1995 से 18-12-2002) – 08-11-2002 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति वी.एन. खरे (21-03-1997 से 01-05-2004) – 19-12-2002 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति एस. राजेन्द्र बाबू (25-09-1997 से 31-05-2004) – 02-05-2004 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति आर.सी. लाहोटी (12-09-1998 से 31-10-2005) – 01-06-2004 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति वाई.के. सभरवाल (28-01-2000 से 13-01-2007) – 01-11-2005 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति के.जी. बालकृष्णन (06-08-2000 से 12-05-2010) – 14-01-2007 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति एस.एच. कपाड़िया (18-12-2003 से 28-09-2012) – 12-05-2010 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर (09-09-2005 से 18-07-2013) – 29-09-2012 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम (21-08-2007 से 26-04-2014) – 19-07-2013 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा (17-12-2008 से 27-09-2014) – 27-04-2014 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति एच एल दत्तू (17-12-2008 से 02-12-2015) – 28-09-2014 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर (17-11-2009 से 03-01-2017) – 03-12-2015 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर (04-01-2017 से 27-08-2017) – 04-01-2017 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा (10-10-2011से 02-10-2018) – 28-08-2017 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति रंजन गोगोई (23-04-2012 से 17-11-2019) – 03-10-2018 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया
- माननीय श्री न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे (12-04 -2013 से 23-04-2021) -18-11-2019 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
- माननीय श्री न्यायमूर्ति एन.वी. रमण (17-02-2014 से वर्तमान) – 26-08-2022 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त।