भारत के आईपीसी धारा | भारतीय दण्ड संहिता | भारतीय कानून की धारा
भारतीय दण्ड संहिता भारत के अन्दर भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा व दण्ड का प्रावधान करती है। किन्तु यह संहिता भारत की सेना पर लागू नहीं होती। भारतीय कानून की धारा की सूची बहुत लंबी है। आप इस पोस्ट में इसे पूरा देख सकते हैं।
भारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् 1860 में लागू हुई। इसके बाद इसमे समय-समय पर संशोधन होते रहे हैं। विशेषकर भारत के स्वतन्त्र होने के बाद)। पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही लागू किया। भारत के ये धारा लगभग इसी रूप में यह विधान तत्कालीन अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों (बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई आदि) में भी लागू की गयी थी। लेकिन इसमें अब तक बहुत से संशोधन किये जा चुके है।
भारत में कुल कितने धारा है?
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) यानी IPC भारत में होने वाले कुछ अपराधों की परिभाषा और उनके लिए सजा का प्रावधान करती है। आईपीसी में कुल 511 धाराएं हैं। जिन्हें 23 चैप्टर के तहत परिभाषित किया गया है।
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भारत के धारा
- आईपीसी धारा 1 – भारत के इस सबसे पहले धारा में संहिता का नाम और उसके प्रवर्तन का विस्तार
- आईपीसी धारा 2 – भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड।
- आईपीसी धारा 3 – भारत से परे किए गए किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड।
- आईपीसी धारा 4 – राज्य क्षेत्रीय/अपर देशीय अपराधों पर संहिता का विस्तार।
- आईपीसी धारा 5 – कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना।
- आईपीसी धारा 6 – संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना।
- आईपीसी धारा 7 – एक बार स्पष्टीकॄत वाक्यांश का अभिप्राय।
- आईपीसी धारा 8 – लिंग
- आईपीसी धारा 9 – वचन
- आईपीसी धारा 10 – पुरुष। स्त्री।
- आईपीसी धारा 11 – व्यक्ति
- आईपीसी धारा 12 – जनता / जन सामान्य
- आईपीसी धारा 13 – क्वीन की परिभाषा
- आईपीसी धारा 14 – भारत के ये धारा सरकार का सेवक से संबंधित है।
- आईपीसी धारा 15 – ब्रिटिश इण्डिया की परिभाषा
- आईपीसी धारा 16 – गवर्नमेंट आफ इण्डिया की परिभाषा
- आईपीसी धारा 17 – भारत के ये धारा सरकार से संबंधित हैं।
- आईपीसी धारा 18 – भारत के ये धारा भारत से संबंधित हैं।
- आईपीसी धारा 19 -भारत के ये धारा न्यायाधीश से संबंधित हैं।
- आईपीसी धारा 20 – न्यायालय
- आईपीसी धारा 21 – लोक सेवक
- आईपीसी धारा 22 – भारत के ये धारा चल सम्पत्ति से संबंधित हैं।
- आईपीसी धारा 23 – सदोष अभिलाभ / हानि।
- आईपीसी धारा 24 – बेईमानी करना।
- आईपीसी धारा 25 – कपटपूर्वक
- आईपीसी धारा 26 – विश्वास करने का कारण।
- आईपीसी धारा 27 – पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में सम्पत्ति।
- आईपीसी धारा 28 – कूटकरण।
- आईपीसी धारा 29 – दस्तावेज।
- आईपीसी धारा 30 – मूल्यवान प्रतिभूति।
- आईपीसी धारा 31 – भारत के ये धारा बिल से संबंधित हैं।
- आईपीसी धारा 32 – कार्यों को दर्शाने वाले शब्दों के अन्तर्गत अवैध लोप शामिल है।
- आईपीसी धारा 33 – कार्य
- आईपीसी धारा 34 – सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य
- आईपीसी धारा 35 – जबकि ऐसा कार्य इस कारण आपराधिक है कि वह आपराधिक ज्ञान या आशय से किया गया है।
- आईपीसी धारा 36 – अंशत: कार्य द्वारा और अंशत: लोप द्वारा कारित परिणाम।
- आईपीसी धारा 37 – कई कार्यों में से किसी एक कार्य को करके अपराध गठित करने में सहयोग करना।
- आईपीसी धारा 38 – आपराधिक कार्य में संपॄक्त व्यक्ति विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे
- आईपीसी धारा 39 – स्वेच्छया।
- आईपीसी धारा 40 – भारत के ये धारा अपराध से संबंधित हैं।
- आईपीसी धारा 41 – विशेष विधि।
- आईपीसी धारा 42 – स्थानीय विधि
- आईपीसी धारा 43 – अवैध
- आईपीसी धारा 44 – क्षति
- आईपीसी धारा 45 – भारत के ये धारा जीवन से संबंधित हैं।
- आईपीसी धारा 46 – भारत के ये धारा मॄत्यु से संबंधित हैं।
- आईपीसी धारा 47 – भारत के ये धारा जीवजन्तु से संबंधित हैं।
- आईपीसी धारा 48 – भारत के ये धारा जलयान से संबंधित है।
- आईपीसी धारा 49 – वर्ष या मास
- आईपीसी धारा 50 – धारा
- आईपीसी धारा 51 – शपथ।
- आईपीसी धारा 52 – सद्भावपूर्वक।
- आईपीसी धारा 53 – दण्ड।
- आईपीसी धारा 54 – मॄत्यु दण्डादेश का रूपांतरण।
- आईपीसी धारा 55 – आजीवन कारावास के दण्डादेश का लघुकरण
- आईपीसी धारा 56 – य़ूरोपियों तथा अमरीकियों को दण्ड दासता की सजा।
- आईपीसी धारा 57 – दण्डावधियों की भिन्नें
- आईपीसी धारा 58 – निर्वासन से दण्डादिष्ट अपराधियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाए जब तक वे निर्वासित न कर दिए जाएं।
- आईपीसी धारा 59 – कारावास के बदले निर्वासनट।
- आईपीसी धारा 60 – दण्डादिष्ट कारावास के कतिपय मामलों में सम्पूर्ण कारावास या उसका कोई भाग कठिन या सादा हो सकेगा।
- आईपीसी धारा 61 – सम्पत्ति के समपहरण का दण्डादेश।
- आईपीसी धारा 62 – मॄत्यु, निर्वासन या कारावास से दण्डनीय अपराधियों की बाबत सम्पत्ति का समपहरण।
- आईपीसी धारा 63 – आर्थिक दण्ड/जुर्माने की रकम।
- आईपीसी धारा 64 – जुर्माना न देने पर कारावास का दण्डादेश
- आईपीसी धारा 65 – जब कि कारावास और जुर्माना दोनों आदिष्ट किए जा सकते हैं, तब जुर्माना न देने पर कारावास की अवधि
- आईपीसी धारा 66 – जुर्माना न देने पर किस भांति का कारावास दिया जाए।
- आईपीसी धारा 67 – आर्थिक दण्ड न चुकाने पर कारावास, जबकि अपराध केवल आर्थिक दण्ड से दण्डनीय हो।
- आईपीसी धारा 68 – आर्थिक दण्ड के भुगतान पर कारावास का समाप्त हो जाना।
- आईपीसी धारा 69 – जुर्माने के आनुपातिक भाग के दे दिए जाने की दशा में कारावास का पर्यवसान।
- आईपीसी धारा 70 – जुर्माने का छह वर्ष के भीतर या कारावास के दौरान वसूल किया जाना। मॄत्यु सम्पत्ति को दायित्व से उन्मुक्त नहीं करती
- आईपीसी धारा 71 – कई अपराधों से मिलकर बने अपराध के लिए दण्ड की अवधि।
- आईपीसी धारा 72 – कई अपराधों में से एक के दोषी व्यक्ति के लिए दण्ड जबकि निर्णय में यह कथित है कि यह संदेह है कि वह किस अपराध का दोषी है।
- आईपीसी धारा 73 – एकांत परिरोध।
- आईपीसी धारा 74 – एकांत परिरोध की अवधि
- आईपीसी धारा 75 – पूर्व दोषसिद्धि के पश्चात् अध्याय 12 या अध्याय 17 के अधीन कतिपय अपराधों के लिए वर्धित दण्ड।
- आईपीसी धारा 76 – विधि द्वारा आबद्ध या तथ्य की भूल के कारण अपने आप के विधि द्वारा आबद्ध होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य।
- आईपीसी धारा 77 – न्यायिकतः कार्य करते हुए न्यायाधीश का कार्य
- आईपीसी धारा 78 – न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में किया गया कार्य
- आईपीसी धारा 79 – विधि द्वारा न्यायानुमत या तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य।
- आईपीसी धारा 80 – विधिपूर्ण कार्य करने में दुर्घटना।
- आईपीसी धारा 81 – आपराधिक आशय के बिना और अन्य क्षति के निवारण के लिए किया गया कार्य जिससे क्षति कारित होना संभाव्य है।
- आईपीसी धारा 82 – सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्य।
- आईपीसी धारा 83 – सात वर्ष से ऊपर किंतु बारह वर्ष से कम आयु के अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य
- आईपीसी धारा 84 – विकॄतचित व्यक्ति का कार्य।
- आईपीसी धारा 85 – ऐसे व्यक्ति का कार्य जो अपनी इच्छा के विरुद्ध मत्तता में होने के कारण निर्णय पर पहुंचने में असमर्थ है।
- आईपीसी धारा 86 – किसी व्यक्ति द्वारा, जो मत्तता में है, किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित है।
- आईपीसी धारा 87 – सम्मति से किया गया कार्य जिससे मॄत्यु या घोर उपहति कारित करने का आशय न हो और न उसकी संभाव्यता का ज्ञान हो।
- आईपीसी धारा 88 – किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सम्मति से सद््भावपूर्वक किया गया कार्य जिससे मॄत्यु कारित करने का आशय नहीं है।
- आईपीसी धारा 89 – संरक्षक द्वारा या उसकी सम्मति से शिशु या उन्मत्त व्यक्ति के फायदे के लिए सद््भावपूर्वक किया गया कार्य।
- आईपीसी धारा 90 – सम्मति, जिसके संबंध में यह ज्ञात हो कि वह भय या भ्रम के अधीन दी गई है।
- आईपीसी धारा 91 – ऐसे अपवादित कार्य जो कारित क्षति के बिना भी स्वतः अपराध है।
- आईपीसी धारा 92 – सहमति के बिना किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सद्भावपूर्वक किया गया कार्य।
- आईपीसी धारा 93 – सद्भावपूर्वक दी गई संसूचना।
- आईपीसी धारा 94 – वह कार्य जिसको करने के लिए कोई व्यक्ति धमकियों द्वारा विवश किया गया है।
- आईपीसी धारा 95 – तुच्छ अपहानि कारित करने वाला कार्य।
- आईपीसी धारा 96 – प्राइवेट प्रतिरक्षा में की गई बातें।
- आईपीसी धारा 97 – शरीर तथा संपत्ति की निजी प्रतिरक्षा का अधिकार।
- आईपीसी धारा 98 – ऐसे व्यक्ति के कार्य के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार जो विकॄतचित्त आदि हो।
- आईपीसी धारा 99 – कार्य, जिनके विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है।
- आईपीसी धारा 100 – किसी की मॄत्यु कारित करने पर शरीर की निजी प्रतिरक्षा का अधिकार कब लागू होता है।
- आईपीसी धारा 101 – मॄत्यु से भिन्न कोई क्षति कारित करने के अधिकार का विस्तार कब होता है।
- आईपीसी धारा 102 – शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना।
- आईपीसी धारा 103 – कब संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मॄत्यु कारित करने तक का होता है।
- आईपीसी धारा 104 – मॄत्यु से भिन्न कोई क्षति कारित करने तक के अधिकार का विस्तार कब होता है।
- आईपीसी धारा 105 – सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना।
- आईपीसी धारा 106 – घातक हमले के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार जब कि निर्दोष व्यक्ति को अपहानि होने की जोखिम है।
- आईपीसी धारा 107 – किसी बात का दुष्प्रेरण।
- आईपीसी धारा 108 – दुष्प्रेरक।
- आईपीसी धारा 108क – भारत से बाहर के अपराधों का भारत में दुष्प्रेरण।
- आईपीसी धारा 109 – अपराध के लिए उकसाने के लिए दण्ड, यदि दुष्प्रेरित कार्य उसके परिणामस्वरूप किया जाए, और जहां कि उसके दण्ड के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है।
- आईपीसी धारा 110 – दुष्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है।
- आईपीसी धारा 111 – दुष्प्रेरक का दायित्व जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया है और उससे भिन्न कार्य किया गया है।
- आईपीसी धारा 112 – दुष्प्रेरक कब दुष्प्रेरित कार्य के लिए और किए गए कार्य के लिए आकलित दण्ड से दण्डनीय है।
- आईपीसी धारा 113 – दुष्प्रेरित कार्य से कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक द्वारा आशयित से भिन्न हो।
- आईपीसी धारा 114 – अपराध किए जाते समय दुष्प्रेरक की उपस्थिति।
- आईपीसी धारा 115 – मॄत्युदण्ड या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण – यदि दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप अपराध नहीं किया जाता।
- आईपीसी धारा 116 – कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण – यदि अपराध न किया जाए।
- आईपीसी धारा 117 – सामान्य जन या दस से अधिक व्यक्तियों द्वारा अपराध किए जाने का दुष्प्रेरण।
- आईपीसी धारा 118 – मॄत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना।
- आईपीसी धारा 119 – किसी ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना का लोक सेवक द्वारा छिपाया जाना, जिसका निवारण करना उसका कर्तव्य है।
- आईपीसी धारा 120 – कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना।
- आईपीसी धारा 120क – आपराधिक षड्यंत्र की परिभाषा।
- आईपीसी धारा 120ख – आपराधिक षड्यंत्र का दंड।
- आईपीसी धारा 121 – भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करना या युद्ध करने का प्रयत्न करना या युद्ध करने का दुष्प्रेरण करना।
- आईपीसी धारा 121क – धारा 121 द्वारा दंडनीय अपराधों को करने का षणयंत्र।
- आईपीसी धारा 122 – भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करने के आशय से आयुध आदि संग्रहित करना।
- आईपीसी धारा 123 – युद्ध करने की परिकल्पना को सुगम बनाने के आशय से छिपाना।
- आईपीसी धारा 124 – किसी विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग करने के लिए विवश करने या उसका प्रयोग अवरोधित करने के आशय से राष्ट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला करना
- आईपीसी धारा 124क – राजद्रोह
- आईपीसी धारा 125 – भारत सरकार से मैत्री संबंध रखने वाली किसी एशियाई शक्ति के विरुद्ध युद्ध करना
- आईपीसी धारा 126 – भारत सरकार के साथ शांति का संबंध रखने वाली शक्ति के राज्यक्षेत्र में लूटपाट करना।
- आईपीसी धारा 127 – धारा 125 और 126 में वर्णित युद्ध या लूटपाट द्वारा ली गई सम्पत्ति प्राप्त करना।
- आईपीसी धारा 128 – लोक सेवक का स्वेच्छया राजकैदी या युद्धकैदी को निकल भागने देना।
- आईपीसी धारा 129 – लोक सेवक का उपेक्षा से किसी कैदी का निकल भागना सहन करना।
- आईपीसी धारा 130 – ऐसे कैदी के निकल भागने में सहायता देना, उसे छुड़ाना या संश्रय देना।
- आईपीसी धारा 131 – विद्रोह का दुष्प्रेरण या किसी सैनिक, नौसेनिक या वायुसैनिक को कर्तव्य से विचलित करने का प्रयत्न करना
- आईपीसी धारा 132 – विद्रोह का दुष्प्रेरण यदि उसके परिणामस्वरूप विद्रोह हो जाए।
- आईपीसी धारा 133 – सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारी जब कि वह अधिकारी अपने पद-निष्पादन में हो, पर हमले का दुष्प्रेरण।
- आईपीसी धारा 134 – हमले का दुष्प्रेरण जिसके परिणामस्वरूप हमला किया जाए।
- आईपीसी धारा 135 – सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा परित्याग का दुष्प्रेरण।
- आईपीसी धारा 136 – अभित्याजक को संश्रय देना।
- आईपीसी धारा 137 – मास्टर की उपेक्षा से किसी वाणिज्यिक जलयान पर छुपा हुआ अभित्याजक
- आईपीसी धारा 138 – सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अनधीनता के कार्य का दुष्प्रेरण।
- आईपीसी धारा 138क – पूर्वोक्त धाराओं का भारतीय सामुद्रिक सेवा को लागू होना।
- आईपीसी धारा 139 – कुछ अधिनियमों के अध्यधीन व्यक्ति।
- आईपीसी धारा 140 – सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली पोशाक पहनना या प्रतीक चिह्न धारण करना।
- आईपीसी धारा 141 – विधिविरुद्ध जनसमूह।
- आईपीसी धारा 142 – विधिविरुद्ध जनसमूह का सदस्य होना।
- आईपीसी धारा 143 – गैरकानूनी जनसमूह का सदस्य होने के नाते दंड।
- आईपीसी धारा 144 – घातक आयुध से सज्जित होकर विधिविरुद्ध जनसमूह में सम्मिलित होना।
- आईपीसी धारा 145 – किसी विधिविरुद्ध जनसमूह जिसे बिखर जाने का समादेश दिया गया है, में जानबूझकर शामिल होना या बने रहना।
- आईपीसी धारा 146 – उपद्रव करना।
- आईपीसी धारा 147 – बल्वा करने के लिए दंड
- आईपीसी धारा 148 – घातक आयुध से सज्जित होकर उपद्रव करना।
- आईपीसी धारा 149 – विधिविरुद्ध जनसमूह का हर सदस्य, समान लक्ष्य का अभियोजन करने में किए गए अपराध का दोषी।
- आईपीसी धारा 150 – विधिविरुद्ध जनसमूह में सम्मिलित करने के लिए व्यक्तियों का भाड़े पर लेना या भाड़े पर लेने के लिए बढ़ावा देना।
- आईपीसी धारा 151 – पांच या अधिक व्यक्तियों के जनसमूह जिसे बिखर जाने का समादेश दिए जाने के पश्चात् जानबूझकर शामिल होना या बने रहना।
- आईपीसी धारा 152 – लोक सेवक के उपद्रव / दंगे आदि को दबाने के प्रयास में हमला करना या बाधा डालना।
- आईपीसी धारा 153 – उपद्रव कराने के आशय से बेहूदगी से प्रकोपित करना।
- आईपीसी धारा 153क – धर्म, मूलवंश, भाषा, जन्म-स्थान, निवास-स्थान, इत्यादि के आधारों पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और सौहार्द्र बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करना।
- आईपीसी धारा 153ख – राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन, प्राख्यान
- आईपीसी धारा 154 – उस भूमि का स्वामी या अधिवासी, जिस पर ग़ैरक़ानूनी जनसमूह एकत्रित हो।
- आईपीसी धारा 155 – व्यक्ति जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो का दायित्व।
- आईपीसी धारा 156 – उस स्वामी या अधिवासी के अभिकर्ता का दायित्व, जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया जाता है।
- आईपीसी धारा 157 – विधिविरुद्ध जनसमूह के लिए भाड़े पर लाए गए व्यक्तियों को संश्रय देना।।
- आईपीसी धारा 158 – विधिविरुद्ध जमाव या बल्वे में भाग लेने के लिए भाड़े पर जाना।
- आईपीसी धारा 159 – दंगा।
- आईपीसी धारा 160 – उपद्रव करने के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 161 से 165 – लोक सेवकों द्वारा या उनसे संबंधित अपराधों के विषय में।
- आईपीसी धारा 166 – लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को क्षति पहुँचाने के आशय से विधि की अवज्ञा करना।
- आईपीसी धारा 166क – कानून के तहत महीने दिशा अवहेलना लोक सेवक।
- आईपीसी धारा 166ख – अस्पताल द्वारा शिकार की गैर उपचार।
- आईपीसी धारा 167 – लोक सेवक, जो क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचता है।
- आईपीसी धारा 168 – लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध रूप से व्यापार में लगता है।
- आईपीसी धारा 169 – लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध रूप से संपत्ति क्रय करता है या उसके लिए बोली लगाता है।
- आईपीसी धारा 170 – लोक सेवक का प्रतिरूपण।
- आईपीसी धारा 171 – कपटपूर्ण आशय से लोक सेवक के उपयोग की पोशाक पहनना या निशानी को धारण करना।
- आईपीसी धारा 171क – अभ्यर्थी, निर्वाचन अधिकार परिभाषित।
- आईपीसी धारा 171ख – रिश्वत।
- आईपीसी धारा 171ग – निर्वाचनों में असम्यक्असर डालना।
- आईपीसी धारा 171घ – निर्वाचनों में प्रतिरूपण
- आईपीसी धारा 171ङ – रिश्वत के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 171च – निर्वाचनों में असम्यक् असर डालने या प्रतिरूपण के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 171छ – निर्वाचन के सिलसिले में मिथ्या कथन।
- आईपीसी धारा 171ज – निर्वाचन के सिलसिले में अवैध संदाय।
- आईपीसी धारा 171झ – निर्वाचन लेखा रखने में असफलता।
- आईपीसी धारा 172 – समनों की तामील या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार हो जाना
- आईपीसी धारा 173 – समन की तामील का या अन्य कार्यवाही का या उसके प्रकाशन का निवारण करना।
- आईपीसी धारा 174 – लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर-हाजिर रहना।
- आईपीसी धारा 175 – दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख पेश करने के लिए वैध रूप से आबद्ध व्यक्ति का लोक सेवक को [दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख] पेश करने का लोप।
- आईपीसी धारा 176 – सूचना या इत्तिला देने के लिए कानूनी तौर पर आबद्ध व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को सूचना या इत्तिला देने का लोप।
- आईपीसी धारा 177 – झूठी सूचना देना।
- आईपीसी धारा 178 – शपथ या प्रतिज्ञान से इंकार करना, जबकि लोक सेवक द्वारा वह वैसा करने के लिए सम्यक् रूप से अपेक्षित किया जाए
- आईपीसी धारा 179 – प्रश्न करने के लिए प्राधिकॄत लोक सेवक को उत्तर देने से इंकार करना।
- आईपीसी धारा 180 – कथन पर हस्ताक्षर करने से इंकार।
- आईपीसी धारा 181 – शपथ दिलाने या अभिपुष्टि कराने के लिए प्राधिकॄत लोक सेवक के, या व्यक्ति के समक्ष शपथ या अभिपुष्टि पर झूठा बयान।
- आईपीसी धारा 182 – लोक सेवक को अपनी विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग दूसरे व्यक्ति की क्षति करने के आशय से झूठी सूचना देना।
- आईपीसी धारा 183 – लोक सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार द्वारा संपत्ति लिए जाने का प्रतिरोध।
- आईपीसी धारा 184 – लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई संपत्ति के विक्रय में बाधा डालना।
- आईपीसी धारा 185 – लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई संपत्ति का अवैध क्रय या उसके लिए अवैध बोली लगाना।
- आईपीसी धारा 186 – लोक सेवक के लोक कॄत्यों के निर्वहन में बाधा डालना।
- आईपीसी धारा 187 – लोक सेवक की सहायता करने का लोप, जबकि सहायता देने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो।
- आईपीसी धारा 188 – लोक सेवक द्वारा विधिवत रूप से प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा।
- आईपीसी धारा 189 – लोक सेवक को क्षति करने की धमकी।
- आईपीसी धारा 190 – लोक सेवक से संरक्षा के लिए आवेदन करने से रोकने हेतु किसी व्यक्ति को उत्प्रेरित करने के लिए क्षति की धमकी।
- आईपीसी धारा 191 – झूठा साक्ष्य देना।
- आईपीसी धारा 192 – झूठा साक्ष्य गढ़ना।
- आईपीसी धारा 193 – मिथ्या साक्ष्य के लिए दंड
- आईपीसी धारा 194 – मॄत्यु से दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्धि कराने के आशय से झूठा साक्ष्य देना या गढ़ना।
- आईपीसी धारा 195 – आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्धि प्राप्त करने के आशय से झूठा साक्ष्य देना या गढ़ना
- आईपीसी धारा 196 – उस साक्ष्य को काम में लाना जिसका मिथ्या होना ज्ञात है
- आईपीसी धारा 197 – मिथ्या प्रमाणपत्र जारी करना या हस्ताक्षरित करना।
- आईपीसी धारा 198 – प्रमाणपत्र जिसका नकली होना ज्ञात है, असली के रूप में प्रयोग करना।।
- आईपीसी धारा 199 – विधि द्वारा साक्ष्य के रूप में लिये जाने योग्य घोषणा में किया गया मिथ्या कथन।
- आईपीसी धारा 200 – ऐसी घोषणा का मिथ्या होना जानते हुए सच्ची के रूप में प्रयोग करना।
- आईपीसी धारा 201 – अपराध के साक्ष्य का विलोपन, या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए झूठी जानकारी देना।
- आईपीसी धारा 202 – सूचना देने के लिए आबद्ध व्यक्ति द्वारा अपराध की सूचना देने का साशय लोप।
- आईपीसी धारा 203 – किए गए अपराध के विषय में मिथ्या इत्तिला देना।
- आईपीसी धारा 204 – साक्ष्य के रूप में किसी 3[दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख] का पेश किया जाना निवारित करने के लिए उसको नष्ट करना।
- आईपीसी धारा 205 – वाद या अभियोजन में किसी कार्य या कार्यवाही के प्रयोजन से मिथ्या प्रतिरूपण
- आईपीसी धारा 206 – संपत्ति को समपहरण किए जाने में या निष्पादन में अभिगॄहीत किए जाने से निवारित करने के लिए उसे कपटपूर्वक हटाना या छिपाना।
- आईपीसी धारा 207 – संपत्ति पर उसके जब्त किए जाने या निष्पादन में अभिगॄहीत किए जाने से बचाने के लिए कपटपूर्वक दावा।
- आईपीसी धारा 208 – ऐसी राशि के लिए जो शोध्य न हो कपटपूर्वक डिक्री होने देना सहन करना
- आईपीसी धारा 209 – बेईमानी से न्यायालय में मिथ्या दावा करना
- आईपीसी धारा 210 – ऐसी राशि के लिए जो शोध्य नहीं है कपटपूर्वक डिक्री अभिप्राप्त करना।
- आईपीसी धारा 211 – क्षति करने के आशय से अपराध का झूठा आरोप।
- आईपीसी धारा 212 – अपराधी को संश्रय देना।
- आईपीसी धारा 213 – अपराधी को दंड से प्रतिच्छादित करने के लिए उपहार आदि लेना।
- आईपीसी धारा 214 – अपराधी के प्रतिच्छादन के प्रतिफलस्वरूप उपहार की प्रस्थापना या संपत्ति का प्रत्यावर्तन।
- आईपीसी धारा 215 – चोरी की संपत्ति इत्यादि के वापस लेने में सहायता करने के लिए उपहार लेना।
- आईपीसी धारा 216 – ऐसे अपराधी को संश्रय देना, जो अभिरक्षा से निकल भागा है या जिसको पकड़ने का आदेश दिया जा चुका है।
- आईपीसी धारा 216क – लुटेरों या डाकुओं को संश्रय देने के लिए शास्ति।
- आईपीसी धारा 216ख – धारा 212, धारा 216 और धारा 216क में संश्रय की परिभाषा।
- आईपीसी धारा 217 – लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को दंड से या किसी संपत्ति के समपहरण से बचाने के आशय से विधि के निदेश की अवज्ञा।
- आईपीसी धारा 218 – किसी व्यक्ति को दंड से या किसी संपत्ति को समपहरण से बचाने के आशय से लोक सेवक द्वारा अशुद्ध अभिलेख या लेख की रचना।
- आईपीसी धारा 219 – न्यायिक कार्यवाही में विधि के प्रतिकूल रिपोर्ट आदि का लोक सेवक द्वारा भ्रष्टतापूर्वक किया जाना।
- आईपीसी धारा 220 – प्राधिकार वाले व्यक्ति द्वारा जो यह जानता है कि वह विधि के प्रतिकूल कार्य कर रहा है, विचारण के लिए या परिरोध करने के लिए सुपुर्दगी।
- आईपीसी धारा 221 – पकड़ने के लिए आबद्ध लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोप।
- आईपीसी धारा 222 – दंडादेश के अधीन या विधिपूर्वक सुपुर्द किए गए व्यक्ति को पकड़ने के लिए आबद्ध लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोप।
- आईपीसी धारा 223 – लोक सेवक द्वारा उपेक्षा से परिरोध या अभिरक्षा में से निकल भागना सहन करना।
- आईपीसी धारा 224 – किसी व्यक्ति द्वारा विधि के अनुसार अपने पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा।
- आईपीसी धारा 225 – किसी अन्य व्यक्ति के विधि के अनुसार पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा।
- आईपीसी धारा 225क – उन दशाओं में जिनके लिए अन्यथा उपबंध नहीं है लोक सेवक द्वारा पकड़ने का लोप या निकल भागना सहन करना।
- आईपीसी धारा 225ख – अन्यथा अनुपबंधित दशाओं में विधिपूर्वक पकड़ने में प्रतिरोध या बाधा या निकल भागना या छुड़ाना।
- आईपीसी धारा 226 – निर्वासन से विधिविरुद्ध वापसी।
- आईपीसी धारा 227 – दंड के परिहार की शर्त का अतिक्रमण।
- आईपीसी धारा 228 – न्यायिक कार्यवाही में बैठे हुए लोक सेवक का साशय अपमान या उसके कार्य में विघ्न।
- आईपीसी धारा 228क – कतिपय अपराधों आदि से पीड़ित व्यक्ति की पहचान का प्रकटीकरण।
- आईपीसी धारा 229 – जूरी सदस्य या आंकलन कर्ता का प्रतिरूपण।
- आईपीसी धारा 230 – सिक्का की परिभाषा।
- आईपीसी धारा 231 – सिक्के का कूटकरण
- आईपीसी धारा 232 – भारतीय सिक्के का कूटकरण।
- आईपीसी धारा 233 – सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना।
- आईपीसी धारा 234 – भारतीय सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बे।
- आईपीसी धारा 236 – भारत से बाहर सिक्के के कूटकरण का भारत में दुष्प्रेरण।
- आईपीसी धारा 237 – कूटकॄत सिक्के का आयात या निर्यात।
- आईपीसी धारा 238 – भारतीय सिक्के की कूटकॄतियों का आयात या निर्यात।
- आईपीसी धारा 239 – सिक्के का परिदान जिसका कूटकॄत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था।
- आईपीसी धारा 240 – उस भारतीय सिक्के का परिदान जिसका कूटकॄत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था।
- आईपीसी धारा 241 – किसी सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान, जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, कूटकॄत होना नहीं जानता था।
- आईपीसी धारा 242 – कूटकॄत सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उस समय उसका कूटकॄत होना जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था।
- आईपीसी धारा 243 – भारतीय सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उसका कूटकॄत होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था।
- आईपीसी धारा 244 – टकसाल में नियोजित व्यक्ति द्वारा सिक्के को उस वजन या मिश्रण से भिन्न कारित किया जाना जो विधि द्वारा नियत है।
- आईपीसी धारा 245 – टकसाल से सिक्का बनाने का उपकरण विधिविरुद्ध रूप से लेना।
- आईपीसी धारा 246 – कपटपूर्वक या बेईमानी से सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करना।
- आईपीसी धारा 247 – कपटपूर्वक या बेईमानी से भारतीय सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करना।
- आईपीसी धारा 248 – इस आशय से किसी सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाए।
- आईपीसी धारा 249 – इस आशय से भारतीय सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाए।
- आईपीसी धारा 250 – ऐसे सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया है।
- आईपीसी धारा 251 – भारतीय सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया है।
- आईपीसी धारा 252 – ऐसे व्यक्ति द्वारा सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया।
- आईपीसी धारा 253 – ऐसे व्यक्ति द्वारा भारतीय सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया।
- आईपीसी धारा 254 – सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, परिवर्तित होना नहीं जानता था।
- आईपीसी धारा 255 – सरकारी स्टाम्प का कूटकरण।
- आईपीसी धारा 256 – सरकारी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री कब्जे में रखना।
- आईपीसी धारा 257 – सरकारी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना।
- आईपीसी धारा 258 – कूटकॄत सरकारी स्टाम्प का विक्रय।
- आईपीसी धारा 259 – सरकारी कूटकॄत स्टाम्प को कब्जे में रखना।
- आईपीसी धारा 260 – किसी सरकारी स्टाम्प को, कूटकॄत जानते हुए उसे असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लाना।
- आईपीसी धारा 261 – इस आशय से कि सरकार को हानि कारित हो, उस पदार्थ पर से, जिस पर सरकारी स्टाम्प लगा हुआ है, लेख मिटाना या दस्तावेज से वह स्टाम्प हटाना जो उसके लिए उपयोग में लाया गया है।
- आईपीसी धारा 262 – ऐसे सरकारी स्टाम्प का उपयोग जिसके बारे में ज्ञात है कि उसका पहले उपयोग हो चुका है।
- आईपीसी धारा 263 – स्टाम्प के उपयोग किए जा चुकने के द्योतक चिन्ह का छीलकर मिटाना।
- आईपीसी धारा 263क – बनावटी स्टाम्पों का प्रतिषेघ।
- आईपीसी धारा 264 – तोलने के लिए खोटे उपकरणों का कपटपूर्वक उपयोग।
- आईपीसी धारा 265 – खोटे बाट या माप का कपटपूर्वक उपयोग।
- आईपीसी धारा 266 – खोटे बाट या माप को कब्जे में रखना।
- आईपीसी धारा 267 – खोटे बाट या माप का बनाना या बेचना।
- आईपीसी धारा 268 – लोक न्यूसेन्स।
- आईपीसी धारा 269 – उपेक्षापूर्ण कार्य जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फैलना संभाव्य हो।
- आईपीसी धारा 270 – परिद्वेषपूर्ण कार्य, जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फैलना संभाव्य हो।
- आईपीसी धारा 271 – करन्तीन के नियम की अवज्ञा।
- आईपीसी धारा 272 – विक्रय के लिए आशयित खाद्य या पेय वस्तु का अपमिश्रण।
- आईपीसी धारा 273 – अपायकर खाद्य या पेय का विक्रय।
- आईपीसी धारा 274 – औषधियों का अपमिश्रण
- आईपीसी धारा 275 – अपमिश्रित ओषधियों का विक्रय।
- आईपीसी धारा 276 – ओषधि का भिन्न औषधि या निर्मिति के तौर पर विक्रय।
- आईपीसी धारा 277 – लोक जल-स्रोत या जलाशय का जल कलुषित करना।
- आईपीसी धारा 278 – वायुमण्डल को स्वास्थ्य के लिए अपायकर बनाना।
- आईपीसी धारा 279 – सार्वजनिक मार्ग पर उतावलेपन से वाहन चलाना या हांकना।
- आईपीसी धारा 280 – जलयान का उतावलेपन से चलाना।
- आईपीसी धारा 281 – भ्रामक प्रकाश, चिन्ह या बोये का प्रदर्शन।
- आईपीसी धारा 282 – अक्षमकर या अति लदे हुए जलयान में भाड़े के लिए जलमार्ग से किसी व्यक्ति का प्रवहण।
- आईपीसी धारा 283 – लोक मार्ग या पथ-प्रदर्शन मार्ग में संकट या बाधा कारित करना।
- आईपीसी धारा 284 – विषैले पदार्थ के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण।
- आईपीसी धारा 285 – अग्नि या ज्वलनशील पदार्थ के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण।
- आईपीसी धारा 286 – विस्फोटक पदार्थ के बारे में उपेक्षापूर्ण आचरण।
- आईपीसी धारा 287 – मशीनरी के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण।
- आईपीसी धारा 288 – किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण।
- आईपीसी धारा 289 – जीवजन्तु के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण।
- आईपीसी धारा 290 – अन्यथा अनुपबन्धित मामलों में लोक बाधा के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 291 – न्यूसेन्स बन्द करने के व्यादेश के पश्चात् उसका चालू रखना।
- आईपीसी धारा 292 – अश्लील पुस्तकों आदि का विक्रय आदि।
- आईपीसी धारा 2925क – विमर्शित और विद्वेषपूर्ण कार्य जो किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आशय से किए गए हों।
- आईपीसी धारा 292क – Printing,etc, of grossly indecent or securrilous matter or matter intended for blackmail
- आईपीसी धारा 293 – तरुण व्यक्ति को अश्लील वस्तुओ का विक्रय आदि।
- आईपीसी धारा 294 – अश्लील कार्य और गाने।
- आईपीसी धारा 294क – लाटरी कार्यालय रखना।
- आईपीसी धारा 295 – किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के आशय से उपासना के स्थान को क्षति करना या अपवित्र करना।
- आईपीसी धारा 296 – धार्मिक जमाव में विघ्न करना।
- आईपीसी धारा 297 – कब्रिस्तानों आदि में अतिचार करना।
- आईपीसी धारा 298 – धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के सविचार आशय से शब्द उच्चारित करना आदि।
- आईपीसी धारा 299 – आपराधिक मानव वध
- आईपीसी धारा 300 – हत्या
- आईपीसी धारा 301 – जिस व्यक्ति की मॄत्यु कारित करने का आशय था उससे भिन्न व्यक्ति की मॄत्यु करके आपराधिक मानव वध करना।
- आईपीसी धारा 302 – हत्या के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 303 – आजीवन कारावास से दण्डित व्यक्ति द्वारा हत्या के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 304 – हत्या की श्रेणी में न आने वाली गैर इरादतन हत्या के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 304क – उपेक्षा द्वारा मॄत्यु कारित करना।
- आईपीसी धारा 304ख – दहेज मॄत्यु।
- आईपीसी धारा 305 – शिशु या उन्मत्त व्यक्ति की आत्महत्या का दुष्प्रेरण।
- आईपीसी धारा 306 – आत्महत्या का दुष्प्रेरण।
- आईपीसी धारा 307 – हत्या करने का प्रयत्न।
- आईपीसी धारा 308 – गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास।
- आईपीसी धारा 309 – आत्महत्या करने का प्रयत्न।
- आईपीसी धारा 310 – ठग।
- आईपीसी धारा 311 – ठगी के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 312 – गर्भपात कारित करना।
- आईपीसी धारा 313 – स्त्री की सहमति के बिना गर्भपात कारित करना।
- आईपीसी धारा 314 – गर्भपात कारित करने के आशय से किए गए कार्यों द्वारा कारित मॄत्यु।
- आईपीसी धारा 315 – शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी मॄत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य।
- आईपीसी धारा 316 – ऐसे कार्य द्वारा जो गैर-इरादतन हत्या की कोटि में आता है, किसी सजीव अजात शिशु की मॄत्यु कारित करना।
- आईपीसी धारा 317 – शिशु के पिता या माता या उसकी देखरेख रखने वाले व्यक्ति द्वारा बारह वर्ष से कम आयु के शिशु का परित्याग और अरक्षित डाल दिया जाना।
- आईपीसी धारा 318 – मॄत शरीर के गुप्त व्ययन द्वारा जन्म छिपाना।
- आईपीसी धारा 319 – क्षति पहुँचाना।
- आईपीसी धारा 320 – घोर आघात।
- आईपीसी धारा 321 – स्वेच्छया उपहति कारित करना।
- आईपीसी धारा 322 – स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना।
- आईपीसी धारा 323 – जानबूझ कर स्वेच्छा से किसी को चोट पहुँचाने के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 324 – खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छया उपहति कारित करना।
- आईपीसी धारा 325 – स्वेच्छापूर्वक किसी को गंभीर चोट पहुचाने के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 326 – खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छापूर्वक घोर उपहति कारित करना।
- आईपीसी धारा 326क – एसिड हमले।
- आईपीसी धारा 326ख – एसिड हमला करने का प्रयास।
- आईपीसी धारा 327 – संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छापूर्वक चोट पहुँचाना।
- आईपीसी धारा 328 – अपराध करने के आशय से विष इत्यादि द्वारा क्षति कारित करना।
- आईपीसी धारा 329 – सम्पत्ति उद्दापित करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना।
- आईपीसी धारा 330 – संस्वीकॄति जबरन वसूली करने या विवश करके संपत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया क्षति कारित करना।
- आईपीसी धारा 331 – संस्वीकॄति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना।
- आईपीसी धारा 332 – लोक सेवक अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुँचाना।
- आईपीसी धारा 333 – लोक सेवक को अपने कर्तव्यों से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया घोर क्षति कारित करना।
- आईपीसी धारा 334 – प्रकोपन पर स्वेच्छया क्षति करना।
- आईपीसी धारा 335 – प्रकोपन पर स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना।
- आईपीसी धारा 336 – दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा पहुँचाने वाला कार्य।
- आईपीसी धारा 337 – किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, चोट पहुँचाना कारित करना।
- आईपीसी धारा 338 – किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, गंभीर चोट पहुँचाना कारित करना।
- आईपीसी धारा 339 – सदोष अवरोध।
- आईपीसी धारा 340 – सदोष परिरोध या गलत तरीके से प्रतिबंधित करना।
- आईपीसी धारा 341 – सदोष अवरोध के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 342 – ग़लत तरीके से प्रतिबंधित करने के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 343 – तीन या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध।
- आईपीसी धारा 344 – दस या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध।
- आईपीसी धारा 345 – ऐसे व्यक्ति का सदोष परिरोध जिसके छोड़ने के लिए रिट निकल चुका है
- आईपीसी धारा 346 – गुप्त स्थान में सदोष परिरोध।
- आईपीसी धारा 347 – सम्पत्ति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य करने के लिए मजबूर करने के लिए सदोष परिरोध।
- आईपीसी धारा 348 – संस्वीकॄति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन करने के लिए सदोष परिरोध।
- आईपीसी धारा 349 – बल।
- आईपीसी धारा 350 – आपराधिक बल।
- आईपीसी धारा 351 – हमला।
- आईपीसी धारा 352 – गम्भीर प्रकोपन के बिना हमला करने या आपराधिक बल का प्रयोग करने के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 353 – लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से भयोपरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
- आईपीसी धारा 354 – स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
- आईपीसी धारा 354क – यौन उत्पीड़न।
- आईपीसी धारा 354ख – एक औरत नंगा करने के इरादे के साथ कार्य।
- आईपीसी धारा 354ग – छिप कर देखना।
- आईपीसी धारा 354घ – पीछा।
- आईपीसी धारा 355 – गम्भीर प्रकोपन होने से अन्यथा किसी व्यक्ति का अनादर करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग
- आईपीसी धारा 356 – हमला या आपराधिक बल प्रयोग द्वारा किसी व्यक्ति द्वारा ले जाई जाने वाली संपत्ति की चोरी का प्रयास।
- आईपीसी धारा 357 – किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध करने के प्रयत्नों में हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
- आईपीसी धारा 358 – गम्भीर प्रकोपन मिलने पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
- आईपीसी धारा 359 – व्यपहरण।
- आईपीसी धारा 360 – भारत में से व्यपहरण।
- आईपीसी धारा 361 – विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरण।
- आईपीसी धारा 362 – अपहरण।
- आईपीसी धारा 363 – व्यपहरण के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 363क – भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए अप्राप्तवय का व्यपहरण का विकलांगीकरण।
- आईपीसी धारा 364 – हत्या करने के लिए व्यपहरण या अपहरण करना।
- आईपीसी धारा 364क – फिरौती, आदि के लिए व्यपहरण।
- आईपीसी धारा 365 – किसी व्यक्ति का गुप्त और अनुचित रूप से सीमित / क़ैद करने के आशय से व्यपहरण या अपहरण।
- आईपीसी धारा 366 – विवाह आदि के करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को व्यपहृत करना, अपहृत करना या उत्प्रेरित करना।
- आईपीसी धारा 366क – अप्राप्तवय लड़की का उपापन।
- आईपीसी धारा 366ख – विदेश से लड़की का आयात करना।
- आईपीसी धारा 367 – व्यक्ति को घोर उपहति, दासत्व, आदि का विषय बनाने के उद्देश्य से व्यपहरण या अपहरण।
- आईपीसी धारा 368 – व्यपहृत या अपहृत व्यक्ति को गलत तरीके से छिपाना या क़ैद करना।
- आईपीसी धारा 369 – दस वर्ष से कम आयु के शिशु के शरीर पर से चोरी करने के आशय से उसका व्यपहरण या अपहरण।
- आईपीसी धारा 370 – मानव तस्करी – दास के रूप में किसी व्यक्ति को खरीदना या बेचना।
- आईपीसी धारा 371 – दासों का आभ्यासिक व्यवहार करना।
- आईपीसी धारा 372 – वेश्यावॄत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को बेचना।
- आईपीसी धारा 373 – वेश्यावॄत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को खरीदना।
- आईपीसी धारा 374 – विधिविरुद्ध बलपूर्वक श्रम।
- आईपीसी धारा 375 – बलात्संग
- आईपीसी धारा 376 – बलात्कार के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 376क – पॄथक् कर दिए जाने के दौरान किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ संभोग्र।
- आईपीसी धारा 376ख – लोक सेवक द्वारा अपनी अभिरक्षा में की किसी स्त्री के साथ संभोग।
- आईपीसी धारा 376ग – जेल, प्रतिप्रेषण गॄह आदि के अधीक्षक द्वारा संभोग।
- आईपीसी धारा 376घ – अस्पताल के प्रबन्ध या कर्मचारिवॄन्द आदि के किसी सदस्य द्वारा उस अस्पताल में किसी स्त्री के साथ संभोग।
- आईपीसी धारा 377 – प्रकॄति विरुद्ध अपराध।
- आईपीसी धारा 378 – चोरी।
- आईपीसी धारा 379 – चोरी के लिए दंड।
- आईपीसी धारा 380 – निवास-गॄह आदि में चोरी।
- आईपीसी धारा 381 – लिपिक या सेवक द्वारा स्वामी के कब्जे में संपत्ति की चोरी।
- आईपीसी धारा 382 – चोरी करने के लिए मॄत्यु, क्षति या अवरोध कारित करने की तैयारी के पश्चात् चोरी करना।
- आईपीसी धारा 383 – उद्दापन / जबरन वसूली
- आईपीसी धारा 384 – ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 385 – ज़बरदस्ती वसूली के लिए किसी व्यक्ति को क्षति के भय में डालना।
- आईपीसी धारा 386 – किसी व्यक्ति को मॄत्यु या गंभीर आघात के भय में डालकर ज़बरदस्ती वसूली करना।
- आईपीसी धारा 387 – ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को मॄत्यु या घोर आघात के भय में डालना।
- आईपीसी धारा 388 – मॄत्यु या आजीवन कारावास, आदि से दंडनीय अपराध का अभियोग लगाने की धमकी देकर उद्दापन
- आईपीसी धारा 389 – जबरन वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को अपराध का आरोप लगाने के भय में डालना।
- आईपीसी धारा 390 – लूट।
- आईपीसी धारा 391 – डकैती
- आईपीसी धारा 392 – लूट के लिए दण्ड
- आईपीसी धारा 393 – लूट करने का प्रयत्न।
- आईपीसी धारा 394 – लूट करने में स्वेच्छापूर्वक किसी को चोट पहुँचाना।
- आईपीसी धारा 395 – डकैती के लिए दण्ड
- आईपीसी धारा 396 – हत्या सहित डकैती।
- आईपीसी धारा 397 – मॄत्यु या घोर आघात कारित करने के प्रयत्न के साथ लूट या डकैती।
- आईपीसी धारा 398 – घातक आयुध से सज्जित होकर लूट या डकैती करने का प्रयत्न।
- आईपीसी धारा 399 – डकैती करने के लिए तैयारी करना।
- आईपीसी धारा 400 – डाकुओं की टोली का होने के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 401 – चोरों के गिरोह का होने के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 402 – डकैती करने के प्रयोजन से एकत्रित होना।
- आईपीसी धारा 403 – सम्पत्ति का बेईमानी से गबन / दुरुपयोग।
- आईपीसी धारा 404 – मॄत व्यक्ति की मॄत्यु के समय उसके कब्जे में सम्पत्ति का बेईमानी से गबन / दुरुपयोग।
- आईपीसी धारा 405 –
- आईपीसी धारा 406 – विश्वास का आपराधिक हनन।
- आईपीसी धारा 407 – कार्यवाहक, आदि द्वारा आपराधिक विश्वासघात।
- आईपीसी धारा 408 – लिपिक या सेवक द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन
- आईपीसी धारा 409 – लोक सेवक या बैंक कर्मचारी, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन।
- आईपीसी धारा 410 – चुराई हुई संपत्ति।
- आईपीसी धारा 411 – चुराई हुई संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना।
- आईपीसी धारा 412 – ऐसी संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना जो डकैती करने में चुराई गई है।
- आईपीसी धारा 413 – चुराई हुई संपत्ति का अभ्यासतः व्यापार करना।
- आईपीसी धारा 414 – चुराई हुई संपत्ति छिपाने में सहायता करना।
- आईपीसी धारा 415 – छल
- आईपीसी धारा 416 – प्रतिरूपण द्वारा छल
- आईपीसी धारा 417 – छल के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 418 – इस ज्ञान के साथ छल करना कि उस व्यक्ति को सदोष हानि हो सकती है जिसका हित संरक्षित रखने के लिए अपराधी आबद्ध है।
- आईपीसी धारा 419 – प्रतिरूपण द्वारा छल के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 420 – छल करना और बेईमानी से बहुमूल्य वस्तु / संपत्ति देने के लिए प्रेरित करना।
- आईपीसी धारा 421 – लेनदारों में वितरण निवारित करने के लिए संपत्ति का बेईमानी से या कपटपूर्वक अपसारण या छिपाना।
- आईपीसी धारा 422 – त्रऐंण को लेनदारों के लिए उपलब्ध होने से बेईमानी से या कपटपूर्वक निवारित करना।
- आईपीसी धारा 423 – अन्तरण के ऐसे विलेख का, जिसमें प्रतिफल के संबंध में मिथ्या कथन अन्तर्विष्ट है, बेईमानी से या कपटपूर्वक निष्पादन।
- आईपीसी धारा 424 – सम्पत्ति का बेईमानी से या कपटपूर्वक अपसारण या छिपाया जाना।
- आईपीसी धारा 425 – रिष्टि / कुचेष्टा।
- आईपीसी धारा 426 – रिष्टि के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 427 – कुचेष्टा जिससे पचास रुपए का नुकसान होता है।
- आईपीसी धारा 428 – दस रुपए के मूल्य के जीवजन्तु को वध करने या उसे विकलांग करने द्वारा रिष्टि।
- आईपीसी धारा 429 – किसी मूल्य के ढोर, आदि को या पचास रुपए के मूल्य के किसी जीवजन्तु का वध करने या उसे विकलांग करने आदि द्वारा कुचेष्टा।
- आईपीसी धारा 430 – सिंचन संकर्म को क्षति करने या जल को दोषपूर्वक मोड़ने द्वारा रिष्टि।
- आईपीसी धारा 431 – लोक सड़क, पुल, नदी या जलसरणी को क्षति पहुंचाकर रिष्टि।
- आईपीसी धारा 432 – लोक जल निकास में नुकसानप्रद जलप्लावन या बाधा कारित करने द्वारा रिष्टि।
- आईपीसी धारा 433 – किसी दीपगॄह या समुद्री-चिह्न को नष्ट करके, हटाकर या कम उपयोगी बनाकर रिष्टि।
- आईपीसी धारा 434 – लोक प्राधिकारी द्वारा लगाए गए भूमि चिह्न के नष्ट करने या हटाने आदि द्वारा रिष्टि।
- आईपीसी धारा 435 – सौ रुपए का या (कॄषि उपज की दशा में) दस रुपए का नुकसान कारित करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा।
- आईपीसी धारा 436 – गॄह आदि को नष्ट करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा।
- आईपीसी धारा 437 – किसी तल्लायुक्त या बीस टन बोझ वाले जलयान को नष्ट करने या असुरक्षित बनाने के आशय से कुचेष्टा।
- आईपीसी धारा 438 – धारा 437 में वर्णित अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा की गई कुचेष्टा के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 439 – चोरी, आदि करने के आशय से जलयान को साशय भूमि या किनारे पर चढ़ा देने के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 440 – मॄत्यु या उपहति कारित करने की तैयारी के पश्चात् की गई रिष्टि।
- आईपीसी धारा 441 – आपराधिक अतिचार।
- आईपीसी धारा 442 – गॄह-अतिचार।
- आईपीसी धारा 443 – प्रच्छन्न गॄह-अतिचार।
- आईपीसी धारा 444 – रात्रौ प्रच्छन्न गॄह-अतिचार।
- आईपीसी धारा 445 – गॄह-भेदन।
- आईपीसी धारा 446 – रात्रौ गॄह-भेदन।
- आईपीसी धारा 447 – आपराधिक अतिचार के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 448 – गॄह-अतिचार के लिए दण्ड।
- आईपीसी धारा 449 – मॄत्यु से दंडनीय अपराध को रोकने के लिए गॄह-अतिचार।
- आईपीसी धारा 450 – अपजीवन कारावास से दंडनीय अपराध को करने के लिए गॄह-अतिचार।
- आईपीसी धारा 451 – कारावास से दण्डनीय अपराध को करने के लिए गॄह-अतिचार।
- आईपीसी धारा 452 – बिना अनुमति घर में घुसना, चोट पहुंचाने के लिए हमले की तैयारी, हमला या गलत तरीके से दबाव बनाना।
- आईपीसी धारा 453 – प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन के लिए दंड।
- आईपीसी धारा 454 – कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करना।
- आईपीसी धारा 455 – उपहति, हमले या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्चात् प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन
- धारा 456 – रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन के लिए दण्ड।
- धारा 457 – कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करना।
- धारा 458 – क्षति, हमला या सदोष अवरोध की तैयारी के करके रात में गॄह-अतिचार।
- धारा 459 – प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करते समय घोर उपहति कारित हो
- धारा 460 – रात्रौ प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या रात्रौ गॄह-भेदन में संयुक्ततः सम्पॄक्त समस्त व्यक्ति दंडनीय हैं, जबकि उनमें से एक द्वारा मॄत्यु या घोर उपहति कारित हो
- धारा 461 – ऐसे पात्र को, जिसमें संपत्ति है, बेईमानी से तोड़कर खोलना
- धारा 462 – उसी अपराध के लिए दंड, जब कि वह ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया है जिसे अभिरक्षा न्यस्त की गई है
- धारा 463 – कूटरचना
- धारा 464 – मिथ्या दस्तावेज रचना
- धारा 465 – कूटरचना के लिए दण्ड।
- धारा 466 – न्यायालय के अभिलेख की या लोक रजिस्टर आदि की कूटरचना
- धारा 467 – मूल्यवान प्रतिभूति, वसीयत, इत्यादि की कूटरचना
- धारा 468 – छल के प्रयोजन से कूटरचना
- धारा 469 – ख्याति को अपहानि पहुंचाने के आशय से कूटरचन्न
- धारा 470 – कूटरचित 2[दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेखट
- धारा 471 – कूटरचित दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख का असली के रूप में उपयोग में लाना
- धारा 472 – धारा 467 के अधीन दण्डनीय कूटरचना करने के आशय से कूटकॄत मुद्रा, आदि का बनाना या कब्जे में रखना
- धारा 473 – अन्यथा दण्डनीय कूटरचना करने के आशय से कूटकॄत मुद्रा, आदि का बनाना या कब्जे में रखना
- धारा 474 – धारा 466 या 467 में वर्णित दस्तावेज को, उसे कूटरचित जानते हुए और उसे असली के रूप में उपयोग में लाने का आशय रखते हुए, कब्जे में रखना
- धारा 475 – धारा 467 में वर्णित दस्तावेजों के अधिप्रमाणीकरण के लिए उपयोग में लाई जाने वाली अभिलक्षणा या चिह्न की कूटकॄति बनाना या कूटकॄत चिह्नयुक्त पदार्थ को कब्जे में रखना
- धारा 476 – धारा 467 में वर्णित दस्तावेजों से भिन्न दस्तावेजों के अधिप्रमाणीकरण के लिए उपयोग में लाई जाने वाली अभिलक्षणा या चिह्न की कूटकॄति बनाना या कूटकॄत चिह्नयुक्त पदार्थ को कब्जे में रखना
- धारा 477 – विल, दत्तकग्रहण प्राधिकार-पत्र या मूल्यवान प्रतिभूति को कपटपूर्वक रदद््, नष्ट, आदि करना
- धारा 477क – लेखा का मिथ्याकरण
- धारा 478 – व्यापार चिह्न
- धारा 479 – सम्पत्ति-चिह्न
- धारा 480 – मिथ्या व्यापार चिह्न का प्रयोग किया जाना
- धारा 481 – मिथ्या सम्पत्ति-चिह्न को उपयोग में लाना
- धारा 482 – मिथ्या सम्पत्ति-चिह्न को उपयोग करने के लिए दण्ड।
- धारा 483 – अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाए गए सम्पत्ति चिह्न का कूटकरण
- धारा 484 – लोक सेवक द्वारा उपयोग में लाए गए चिह्न का कूटकरण
- धारा 485 – सम्पत्ति-चिह्न के कूटकरण के लिए कोई उपकरण बनाना या उस पर कब्जा
- धारा 486 – कूटकॄत सम्पत्ति-चिह्न से चिन्हित माल का विक्रय
- धारा 487 – किसी ऐसे पात्र के ऊपर मिथ्या चिह्न बनाना जिसमें माल रखा है
- धारा 488 – किसी ऐसे मिथ्या चिह्न को उपयोग में लाने के लिए दण्ड
- धारा 489 – क्षति कारित करने के आशय से सम्पत्ति-चिह्न को बिगाड़ना
- धारा 489क – करेन्सी नोटों या बैंक नोटों का कूटकरण
- धारा 489ख – कूटरचित या कूटकॄत करेंसी नोटों या बैंक नोटों को असली के रूप में उपयोग में लाना
- धारा 489ग – कूटरचित या कूटकॄत करेन्सी नोटों या बैंक नोटों को कब्जे में रखना
- धारा 489घ – करेन्सी नोटों या बैंक नोटों की कूटरचना या कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री बनाना या कब्जे में रखना
- धारा 489ङ – करेन्सी नोटों या बैंक नोटों से सदृश्य रखने वाली दस्तावेजों की रचना या उपयोग
- धारा 490 – समुद्र यात्रा या यात्रा के दौरान सेवा भंग
- धारा 491 – असहाय व्यक्ति की परिचर्या करने की और उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने की संविदा का भंग
- धारा 492 – दूर वाले स्थान पर सेवा करने का संविदा भंग जहां सेवक को मालिक के खर्चे पर ले जाया जाता है
- धारा 493 – विधिपूर्ण विवाह का धोखे से विश्वास उत्प्रेरित करने वाले पुरुष द्वारा कारित सहवास।
- धारा 494 – पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना
- धारा 495 – वही अपराध पूर्ववर्ती विवाह को उस व्यक्ति से छिपाकर जिसके साथ आगामी विवाह किया जाता है।
- धारा 496 – विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्वक विवाह कर्म पूरा करना।
- धारा 497 – व्यभिचार
- धारा 498 – विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाना, या निरुद्ध रखना
- धारा 498A – किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उसके प्रति क्रूरता करना
- धारा 499 – मानहानि
- धारा 500 – मानहानि के लिए दण्ड।
- धारा 501 – मानहानिकारक जानी हुई बात को मुद्रित या उत्कीर्ण करना।
- धारा 502 – मानहानिकारक विषय रखने वाले मुद्रित या उत्कीर्ण सामग्री का बेचना।
- धारा 503 – आपराधिक अभित्रास।
- धारा 504 – शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना
- धारा 505 – लोक रिष्टिकारक वक्तव्य।
- धारा 506 – धमकाना
- धारा 507 – अनाम संसूचना द्वारा आपराधिक अभित्रास।
- धारा 508 – व्यक्ति को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करके कि वह दैवी अप्रसाद का भाजन होगा कराया गया कार्य
- धारा 509 – शब्द, अंगविक्षेप या कार्य जो किसी स्त्री की लज्जा का अनादर करने के लिए आशयित है
- धारा 510 – शराबी व्यक्ति द्वारा लोक स्थान में दुराचार।
- धारा 511 – आजीवन कारावास या अन्य कारावास से दण्डनीय अपराधों को करने का प्रयत्न करने के लिए दण्ड