भारत में संविधान संशोधन | महत्वपूर्ण संविधान संशोधन
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भारत में संविधान संशोधन | महत्वपूर्ण संविधान संशोधन

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और यहां का संविधान भी दुनियाभर में सबसे बड़ा लिखित संविधान है। लेकिन समय की मांग के हिसाब से इस संविधान में संशोधन किया जाता रहा है। तो आइए जानते है आज की पोस्ट में भारत के संविधान संशोधन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण जानकारी।

संविधान संशोधन क्या है?

भारतीय संविधान का संशोधन भारत के संविधान में परिवर्तन करने की प्रक्रिया है। इस तरह के परिवर्तन भारत की संसद के द्वारा किये जाते हैं।

भारत में संविधान संशोधन कैसे किया जाता है?

एक संशोधन के प्रस्ताव की शुरुआत संसद में होती है जहां बिल के रूप में पेश किया जाता है। इसके बाद इसे संसद के प्रत्येक सदन के द्वारा अनुमोदित किया जाता है। जिसमे प्रत्येक सदन में उपस्थित सांसदों का दो तिहाई बहुमत और मतदान प्राप्त होना चाहिए और सभी सदस्यों (उपस्थित या अनुपस्थित) का साधारण बहुमत प्राप्त होना चाहिए।

भारत में संविधान संशोधन | महत्वपूर्ण संविधान संशोधन

इसके बाद विशिष्ट संशोधनों को कम से कम आधे राज्यों की विधायिकाओं के द्वारा भी अनुमोदित किया जाना चाहिए। एक बार जब सभी अन्य अवस्थाएं पूरी कर ली जाती हैं, संशोधन के लिए भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त की जाती है। इस प्रकार भारत मे संविधान संशोधन की प्रक्रिया पूरी की जाती है।

भारत मे अबतक कितने बार संविधान संशोधन किया जा चुका है?

1950 में संविधान के लागू होने के बाद से इस में 105 संशोधन किये जा चुके हैं। लेकिन विवादस्पद रूप से भारतीय सुप्रीम कोर्ट (सर्वोच्च न्यायालय) के अनुसार संविधान में किये जाने वाले प्रत्येक संशोधन को अनुमति देना संभव नहीं

2022 तक भारत में कितने संविधान संशोधन हो चुके हैं?

भारत में अब तक 127 संविधान संशोधन विधेयक संसद में लाये गये हैं, जिनमें से 105 संविधान संशोधन विधेयक पारित होकर संविधान संशोधन अधिनियम का रूप ले चुके हैं।

105 वां संशोधन क्या है?

भारत के दोनों सदनों में लंबी चर्चा के बाद संविधान 127वें संशोधन विधेयक को 105वें संविधान संशोधन के रूप में संसद की मंजूरी मिल गई। इसके साथ ही सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करने और सूची बनाने का राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का अधिकार बहाल हो गया।

127 वां संविधान संशोधन क्या है?

भारत के संविधान में नए संशोधन के लिए 11 अगस्त, 2021 को राज्यसभा द्वारा संविधान का 127 वां संशोधन विधेयक पारित किया गया। जिसमे 189 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में मत दिया, जबकि 2 सदस्यों ने इसका विरोध किया। यह विधेयक राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को अपनी सूची बनाने का अधिकार देता है।

भारतीय संविधान के महत्त्वपूर्ण संशोधन

  • भारत में पहला संविधान संशोधन (1951) — इस संशोधन द्वारा नौवीं अनुसूची को शामिल किया गया।
  • दूसरा संशोधन (1952) — संसद में राज्यों के प्रतिनिधित्व को निर्धारित किया गया।
  • भारत में सातवां संविधान संशोधन (1956) — इस संशोधन द्वारा राज्यों का अ, ब, स और द वर्गों में विभाजन समाप्त कर उन्हें 14 राज्यों और 6 केंद्रशासित क्षेत्रों में विभक्त कर दिया गया।
  • दसवां संशोधन (1961) — दादरा और नगर हवेली को भारतीय संघ में शामिल कर उन्हें संघीय क्षेत्र की स्थिति प्रदान की गई।
  • 12वां संविधान संशोधन (1962) — गोवा, दमन और दीव का भारतीय संघ में एकीकरण किया गया।
  • 13वां संशोधन (1962) — संविधान में एक नया अनुच्छेद 371 (अ) जोड़ा गया, जिसमें नागालैंड के प्रशासन के लिए कुछ विशेष प्रावधान किए गए। 1दिसंबर, 1963 को नागालैंड को एक राज्य की स्थिति प्रदान कर दी गई।
  • 14वां संशोधन (1963) — पांडिचेरी को संघ राज्य क्षेत्र के रूप में प्रथम अनुसूची में जोड़ा गया तथा इन संघ राज्य क्षेत्रों (हिमाचल प्रदेश, गोवा, दमन और दीव, पांडिचेरी और मणिपुर) में विधानसभाओं की स्थापना की व्यवस्था की गई।
  • 21वां संशोधन (1967) — आठवीं अनुसूची में सिंधी भाषा को जोड़ा गया।
  • 22वां संशोधन (1968) — संसद को मेघालय को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित करने तथा उसके लिए विधानमंडल और मंत्रिपरिषद का उपबंध करने की शक्ति प्रदान की गई।
  • 24वां संशोधन (1971) — संसद को मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन का अधिकार दिया गया।
  • 27वां संशोधन (1971) — उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र के पाँच राज्यों तत्कालीन असम, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर व त्रिपुरा तथा दो संघीय क्षेत्रों मिजोरम और अरुणालच प्रदेश का गठन किया गया तथा इनमें समन्वय और सहयोग के लिए एक पूर्वोत्तर सीमांत परिषद् की स्थापना की गई।
  • 31वां संशोधन (1974) — लोकसभा की अधिकतम सदंस्य संख्या 545 निश्चित की गई। इनमें से 543 निर्वाचित व 2 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होंगे।
  • 36वां संशोधन (1975) — सिक्किम को भारतीय संघ में 22वें राज्य के रूप में प्रवेश दिया गया।
  • 37वां संशोधन (1975) — अरुणाचल प्रदेश में व्यवस्थापिका तथा मंत्रिपरिषद् की स्थापना की गई।
  • 42वां संशोधन (1976) — इसे लघु संविधान (Mini Constitution) की संज्ञा प्रदान की गई है।

• इसके द्वारा संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और अखंडता शब्द जोड़े गए।
• इसके द्वारा अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों की व्यवस्था करते हुए नागरिकों के 10 मूल कर्त्तव्य निश्चित किए गए।
लोकसभा तथा विधानसभाओं के कार्यकाल में एक वर्ष की वृद्धि की गई।
• नीति-निर्देशक तत्वों में कुछ नवीन तत्व जोड़े गए।
• इसके द्वारा शिक्षा, नाप-तौल, वन और जंगली जानवर तथा पक्षियों की रक्षा, ये विषय राज्य सूची से निकालकर समवर्ती सूची में रख दिए गए।
• यह व्यवस्था की गई कि अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत आपातकाल संपूर्ण देश में लागू किया जा सकता है या देश के किसी एक या कुछ भागों के लिए।
• संसद द्वारा किए गए संविधान संशोधन को न्यायालय में चुनौती देने से वर्जित कर दिया गया।

  • भारत में 44वां संविधान संशोधन (1978) — संपत्ति के मूलाधिकार को समाप्त करके इसे विधिक अधिकार बना दिया गया।

• लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं की अवधि पुनः 5 वर्ष कर दी गई।
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष्ज्ञ के चुनाव विवादों की सुनवाई का अधिकार पुनः सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालय को ही दे दिया गया।
• मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रपति को जो भी परामर्श दिया जाएगा, राष्ट्रपति मंत्रिमंडल को उस पर दोबारा विचार करने लिए कह सकेंगे लेकिन पुनर्विचार के बाद मंत्रिमंडल राष्ट्रपति को जो भी परामर्श देगा, राष्ट्रपति उस परामर्श को अनिवार्यतः स्वीकार करेंगे।
• ‘व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार’ को शासन के द्वारा आपातकाल में भी स्थगित या सीमित नहीं किया जा सकता, आदि।

  • 52वां संशोधन (1985) — इस संशोधन द्वारा संविधान में दसवीं अनुसूची जोड़ी गई। इसके द्वारा राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक लगाने की चेष्टा की गई है।
  • भारत में 55वां संविधान संशोधन (1986) — अरुणाचल प्रदेश को भारतीय संघ के अन्तर्गत राज्य की दर्जा प्रदान की गई।
  • 56वां संशोधन (1987) — इसमें गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा देने तथा दमन व दीव को नया संघीय क्षेत्र बनाने की व्यवस्था है।
  • 61वां संविधान संशोधन (1989) — मताधिकार के लिए न्यूनतम आवश्यक आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई।
  • 65वां संशोधन (1990) — ‘अनुसूचित जाति तथा जनजाति आयोग’ के गठन की व्यवस्था की गई।
  • भारत में 69वां संविधान संशोधन (1991) — दिल्ली का नाम राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र दिल्ली किया गया तथा इसके लिए 70 सदस्यीय विधानसभा तथा 7 सदस्यीय मंत्रिमंडल के गठन का प्रावधान किया गया।

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Amit Yadav

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