केला का महत्व | केला कैसा फल है | केले से जुड़े जरूरी जानकारी
केले का पेड़ जुठा बीजो के पेड़ो मे नही गिना जाता है। इन फलो को पवित्र फल मना जाता है। इसे पूजा-पाठ मे भी उपयोग लाया जाता है। केला का फल सेहत के लिये भी काफी लाभदायक होते है। व्रत मे भी केला फल का सेवन किया जाता है। इसलिए केला का बहुत महत्व है।
केला मूसा जाति मे आता है। इसे सबसे पहले पपुआ न्यू गिनी मे उपजाया गया था। यह पादप जगत के अन्तर्गत आता है यह एकबीजपत्री पौधा है इनकी खेती सम्पूर्ण उष्णकटिबंधीय स्थानों मे होता है केला खाने मे सबसे पहला स्थान युगांडा का था जहां हर एक व्यक्ति साल मे लगभग 225 केले खा जाते थे।
कैसा पेड़ होता है केला का?
केला काफी लम्बे होते है, और लकड़ीरहित पौधे है। और यह काफी मजबुत होते है इसमे सीधा तना होता है उसे आमतौर पर छद्मतना कहा जाता है इसकी ऊँचाई 2-8 मी तक होती है। इसके पत्तियाँ भी काफी लम्बे होते है जो 3.5 मी तक होती है। हर छद्मतने मे गुच्छे पाये जाते है जिसमे 20 हरे केले की पँक्तियाँ होती है। यह गुच्छों मे ही बड़े होते है। इसका वजन 30-50 किलो तक हो जाते है।
केले का फल कैसा होता है?
एक फल लगभग 125 ग्राम होता है। यह पकने पर पिला तो होते हि है लेकिन कभी-कभी लाल रंग का भी हो जाता है फल लगने के पश्चात छद्मतने मर जाते है और उन्के स्थान पर दुसरा छद्मतना उग आता है। फल मे 75% तक पानी होता है और 25% सुखा इस वजह से केला शरीर के लिये लाभदायक होते है।
केला के फायदे
- केले के पत्तों को आंखो के ऊपर बांधने से नेत्रदाह का शमन होता है।
- इसमें मौजूद फाइबर वजन घटाने और पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है।
- दस्त यानी लूज़ मोशन होने पर पके हुए केले को मक्खन की तरह फेंटकर उसमें थोड़ी-सी कुछ दाने मिश्री मिलाकर दिनभर में दो-तीन बार खाने से राहत मिलती है।
- जीभ पर पड़े छालों को दूर करने के लिए दो-तीन दिन तक लगातार सुबह दही के साथ केला खाना चाहिये और छाले ठीक हो जाते है
- ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर नियमित रूप से केला खाने चाहिये, यह रक्त की अशुद्धियों को दूर करने के साथ-साथ शरीर में रक्त के बहाव को भी सही करता है और ब्लड प्रेशर की समस्या कम किया जा सकता है।
- दो केले को एक टीस्पून शहद में मिलाकर खाने से सीने के दर्द में आराम मिलता है। लेकिन केला खाने के तुरंत बाद पनी नही पीना चाहिए।
- केले की खेती से बहुत फायदे होते है। सजावटी समान मे भी इसका अच्छे से उपयोग किया जाता है।
केले से नुकसान
जहां फायदे होते है वहा नुकसान भी होता है जैसे
- केला कुछ मरीजो के लिये नुकसान दायक होते है अस्थमा के मरीजो को केला का सेवन नही करना चाहिए। इससे उनकी बीमारी और बड़ सकती है।
- दिनभर में अगर आप 18 ग्राम से अधिक पोटैशियम लेते हैं, तो आपको हाइपरकलेमिया की समस्या हो सकती है। ऐसे में अधिक मात्रा में केला खाने से हाइपरकलेमिया की समस्या हो सकती है। क्योंकि केले में पोटैशियम की मात्रा काफी ज्यादा होती है।
- केले में ट्रीप्टोफन नामक एमिनो एसिड होता है, जो आपके दिमाग को कम संवेदनशील बनाता है। इससे दिमाग के कार्य करने की क्षमता कम होती है।
- शुगर के मरीजों के लिए केले का सेवन नुकसानदायक हो सकता है।
- केले का सेवन करने से गैस और पेट में दर्द की समस्या होती है।
- केले में स्टार्च की मात्रा अधिक होती है जिस कारण इसे पचाने में समय अधिक लगता है।
- डायबिटीज के मरीजों के लिए केला काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है. केले में नेचुरल शुगर होता है जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है।
केला से जुड़े कुछ और महत्वपूर्ण सवालों के जवाब
- विटामिन क्या है इसका क्या काम है और कंहा से मिलता है इसका प्रभाव क्या है
- सब्जियों में कड़वापन का कारण क्या है, सब्जी खाने में क्यों कड़वा लगता हैं
सुबह खाली पेट केला खाने से क्या होता है?
सुबह खाली पेट केला खाने से पाचन तंत्र में सुधार होता है, और कब्ज की समस्याओं को रोकता है। केले में मौजूद विटामिन A और C इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। केला उच्च पोषक तत्वों से भरपूर होता है और कम कैलोरी वाला फल है। क्योंकि यह 0% वसा के साथ प्रति 100 ग्राम में केवल 90 कैलोरी प्रदान करता है।
कब खाना चाहिए केला?
केला खाने का सबसे अच्छा समय सुबह या एक्सरसाइज के ठीक बाद का होता है। एक्सरसाइज के बाद इसे खाने से आपको तेजी से ठीक होने में मदद मिलेगी और वसा के बजाय मांसपेशियों के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
केला खाने का सही समय क्या है?
ब्रेकफास्ट के बाद केले का सेवन करना चाहिए। केला खाने का सही समय सुबह 8 से 9 बजे का होता है। खाली पेट केले के सेवन से भूख मर जाती है। लेकिन अगर आप केला ही खाना चाहते हैं तो बनाना शेक बनाकर पी सकते हैं।
सुबह खाली पेट केला क्यों नहीं खाना चाहिए?
केला को कभी भी खाली पेट नहीं खाना चाहिए. खाली पेट केला खाने से शरीर में मैग्नीशियम की मात्रा बढ़ती है, जिसकी वजह से शरीर में कैल्शियम और मैग्नीशियम की मात्रा में असंतुलन बन जाता है। केला में पोटैशियम और फाइबर भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। लेकिन इसके साथ-साथ ये फल एसिडिक भी होता है।
केले के पेड़ कितनी बार फल देता है?
साधारण ढंग से उगाए हुए केले के पेड़ अपने जीवन काल में एक बार ही फल देते हैं उसके बाद यह बेकार हो जाते हैं। लेकिन इनके नए पौधे अपने आप ही निकलते रहते हैं जो कि फल देते रहते हैं। प्राकृतिक रूप से लगाए गये केले के पौधे में फल एक ही बार लगते हैं।
क्या केला खाने से मोटापा बढ़ता है?
जो लोग वजन को तेजी से बढ़ाने की चाह रखते हैं उनके लिए केला किसी रामबाण से कम नहीं है। एक पका हुआ केला अधिक कार्ब्स और कैलोरी से भरपूर होता है। एक पके हुए केले में लगभग 115 कैलोरीज और 27 ग्राम कार्ब्स होता है जो आपका वजन बढ़ाने में मददगार साबित होता है।
1 दिन में कितने केले खा सकते हैं?
हर रोज 2 से 3 केले खाने से आप अपना वजन बहुत ही आसानी से बढ़ा सकते हैं। जिससे आप काफी स्वस्थ महसूस करेंगे।
केला फायदेमंद क्यों होता है?
केला बालों, त्वचा और सेहत सभी के लिए फायदेमंद है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन, फॉलिक एसिड, प्रोटीन, आयरन, पोटैशियम, फाइबरऔर भी कई पोषक तत्व पाए जाते हैं।
केले खाने के बाद क्या नहीं खाना चाहिए?
केला खाने के बाद कुछ सीमित समय तक मछली, संतरा, अमरूद, तथा अंडा नही खाना चाहिए और पानी भी नहीं पीना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से बहुत सी स्वास्थ्य संबंधित समश्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
केले का फल कितने दिन में तैयार होता है?
केला रोपाई के बाद या केला का पेड़ लगाने के बाद लगभग 11-12 माह बाद तोड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। अर्थात केला खाने लायक हो जाता है।
क्या रात में केला खा सकते हैं?
आयुर्वेद के मुताबिक, रात में केला खाने से कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन अगर आपको सर्दी-खांसी, अस्थमा, साइनस जैसी दिक्कतें हैं, तो आपको रात में केला नहीं खाना चाहिए। क्योंकि सोने से पहले केला खाने से म्यूकस बनने का ख़तरा रहता है, जो आपकी सर्दी-खांसी की समस्या को बढ़ाता है।
कौन सा केला खाना चाहिए?
सुनहरे पीले व पतले छिलके वाले केले खाने में स्वादिष्ट होते हैं। मोटे छिलके वाले तिकोने केले की सब्जी बनाई जाती है। पके और कच्चे दोनों प्रकार के केले का उपयोग होता है। पके केले का छिलका निकालकर खाया जाता है और कच्चे केले की सब्जी बनाई जाती है।
केले के पेड़ की जीवन अवधि कितनी होती है?
केला का पौधा लगभग 25 साल तक का होता है।
केले का बीज कैसे तैयार होता है? केले का बीज कहां पाया जाता है
दरअसल केले का बीज उसके पल में नहीं बल्कि जड़ में होता है। हर केले के पेड़ की जड़ में कम से कम चार या पांच स्वस्थ बड़े बीज होते हैं। यानी हर पौधा जब पेड़ बनता है तो अपने साथ कम से कम 5 नई पेड़ों के लिए बीज तैयार करके जाता है। इसके अलावा तीन या चार छोटे बीज भी होते हैं।
केले के पेड़ को फल तोड़ने के बाद क्यों काट दिया जाता है?
केला क्यों काटने पर ही फल देता है? केले का पेड़ पत्तों का एक समूह होता है, दूसरे पेड़ों की तरह इसमें तना नहीं होता सिर्फ फल देने के लिए ही जड़ से एक ही डंठल निकलता है और फल आने के बाद पेड़ का उद्देश्य खत्म हो जाता है इसलिए इसको काट दिया जाता है फिर उसकी जड़ से एक नया अंकुर निकलता है पेड़बनने के लिए।
केला गुणकारी क्यों होता है?
दरअसल केले में विटामिन सी, विटामिन ए, पौटेशियम और विटामिन B6 होता है। केला मैग्नेशियम का अच्छा स्त्रोत है, इसलिए यह बहुत जल्दी पच जाता है और आपके मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त रखता है। फाइबर लोअर ब्लड कॉलेस्ट्रोल को कंट्रोल करने में कारगर है। इसलिए केला इतना गुणकारी है।
केले के फल में बीज नही होता है तो उसका पेड़ कैसे उग जाता है?
केला के फल में बीज नही होता है, तो उसका पेड़ इसलिए उग जाता हैं। क्योंकि केले के बीज केले के पौधे के नीचे होते हैं। एक केले के पौधे में 3 से 5 बीज निकलते हैं।
केले के पेड़ पर जल चढ़ाने से क्या होता है?
केले के पेड़ की नियमित पूजा करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को केले का नियमित भोग लगाने से वे अति प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा करते हैं। गुरुवार को केले के पेड़ पर जल और कच्चा दूध चढ़ाने से गुरु ग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं।
कच्चा केला खाने से क्या फायदा मिलता है?
- कच्चा केला फाइबर से भरपूर होता है और फाइबर आपकी गट हेल्थ और आपके पाचन के लिए बहुत अच्छा होता है।
- हृदय के लिए लाभदायक
- वजन कम करने में लाभदायक
- कई विटामिन का स्रोत
- डायबिटीज में भी है लाभदायक
- पेट की समस्याओं से छुटकारा होता हैं।
केले का पौधा घर में लगाने से क्या होता है?
ऐसा माना जाता है की केले का पौधा विष्णु भगवान का प्रिय पौधा है और तुलसी भी विष्णु प्रिया हैं। इसलिए अगर आप घर में केले का पौधा लगाती हैं तो ध्यान में रखें कि इस पौधे के पास तुलसी का पौधा लगाना जरूरी है। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा दृष्टि बनी रहती है।
केले की सबसे अच्छी प्रजाति कौन सी है?
ड्वार्फ केवेन्डिस केलो में भारत में खेती की जाने वाली प्रमुख किस्मों में से एक है। इस किस्म को सिंगापुरी, सिंदुरानी, बसराई, मोरिस, जहाजी आदि नाम से भी जाना जाता है। इसका पौधा छोटा होता है। इस प्रजाति के फल आकर में बड़े, मुलायम गूदे वाले मीठे होते हैं।
केला का वानस्पतिक नाम क्या है?
केले का वानस्पतिक नाम मूसा पारादीसियाका (Musa paradisiaca) है।
केला उत्पादन में भारत का प्रथम राज्य कौन सा है?
भारत में पिछले कुछ वर्षों में सबसे ज्यादा खेती आंध्र प्रदेश में होती है। इससे पहले तमिलनाडु केला उत्पादन में पहले स्थान पर था। दक्षिण भारत केले की खेती में अव्वल है। उत्पादन के मामले से आंध्र प्रदेश पहले, महाराष्ट्र दूसरे, तीसरे पर गुजरात, चौथे पर तमिलनाडु और पांचवें नंबर पर उत्तर प्रदेश और छठे नंबर पर कर्नाटक है।
केले का सबसे बड़ा उत्पादक देश कौन सा है?
दुनिया भर में 113,212,452 टन केले का प्रति वर्ष उत्पादन किया जाता है। और इसमें भारत प्रति वर्ष 29,124,000 टन उत्पादन की मात्रा के साथ दुनिया में सबसे बड़ा केला उत्पादक है।
केले के फल में कीड़े क्यों नहीं पड़ते?
केला की यह विशेषता होती है इस में कभी कीड़ा नहीं लगता क्योंकि इसमें साइनाइट नामक रासायनिक तत्व होता है। इसमें पोटेशियम, विटामिन बी 6, विटामिन सी और विभिन्न एंटीऑक्सीडेंट फाइव प्रो न्यू टेंट का स्वास्थ्य स्त्रोत है।
केले में कौन सा अम्ल पाया जाता है?
टार्टरिक अम्ल (Tartaric acid) एक कार्बनिक अम्ल है जो सफेद, क्रिस्टलीय होता है। यह प्राकृतिक रूप से केला में पाया जाता है। यह अम्ल खाद्य पदार्थों में प्रतिऑक्सीकारक के रूप में, तथा अपना विशिष्ट खट्टा स्वाद देने के लिए मिलाया जाता है।