प्रमुख शहरों के संस्थापक कौन कौन है | भारत के प्रमुख शहरों की स्थापना किसने किया
भारत प्राचीन शहरों का देश है। यंहा बहुत ऐसे ऐसे ऐतिहासिक शहर है जिसकी स्थापना बहुत प्राचीन है। इन शहरों की स्थापना अलग अलग राजा महाराजाओं द्वारा की किया गया था। अगर आप भी जानना चाहते है कि भारत के प्रमुख शहरों की स्थापना किस प्रकार और कैसे और किसने किया तो आइए देखते है प्रमुख शहरों के संस्थापक कौन कौन है? भारत के प्रमुख शहरों की स्थापना किसने किया
प्रमुख शहरों के संस्थापक की सूची विस्तृत जानकारी के साथ
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1. कोलकाता – जॉब चरनॉक
भारत के प्रमुख शहरों में शुमार पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता हुगली नदी के किनारे बसा भारत का एक प्राचीन शहर है। आधिकारिक रूप से इस शहर का नाम कोलकाता 1 जनवरी, 2001 को रखा गया। इसका पूर्व नाम अंग्रेजी में कैलकटा था, लेकिन बांग्ला भाषी इसे सदा कोलकाता या कोलिकाता के नाम से ही जानते है एवं हिन्दी भाषी समुदाय में यह कलकत्ता के नाम से जाना जाता रहा है।
इसके नाम की उत्पत्ति के बारे में कई तरह की कहानियाँ मशहूर हैं। सबसे लोकप्रिय कहानी के अनुसार हिंदुओं की देवी काली के नाम से इस शहर के नाम की उत्पत्ति हुई है। यह आधुनिक भारत के शहरों में सबसे पहले बसने वाले शहरों में से एक है। 1690 में इस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जाब चारनाक ने अपने कंपनी के व्यापारियों के लिये एक बस्ती बसाई थी। इसलिए इसे इस शहर का संस्थापक माना जाता है। परंतु कुछ न्याय द्वारा फैसले से इनका नाम सरकारी दस्तावेज से हटा दिया गया।
2. मुंबई – जेराल्ड ओंगियर
सपनों की नगर मुंबई भारत की दूसरा सबसे बड़ा शहर और आर्थिक राजधानी है। इस शहर का इतिहास बहुत पुराना है। 1669 – 1677 ई. मे बम्बई के दूसरे राज्यपाल जेराल्ड ओंगियर ने बॉम्बे शहर की स्थापना की जो आज मुंबई के नाम से जाना जाता है। इसलिए इसे भारत के प्रमुख शहरों में शुमार मुंबई की संस्थापक कहा जाता है। वह शहर के विकास के लिए जिम्मेदार थे उनके कार्यकाल के समय छोटे शहर बॉम्बे को एक आश्चर्यजनक केंद्र मे बदल दिया। तत्कालीन शिवसेना सरकार ने आधिकारिक रूप से सन 1995 में बंबई का नाम बदलकर मुंबई नाम दिया।
3. भोपाल – राजा भोज
झीलों की नगरी कहे जाने वाले राजा भोज की नगर भोपाल, मध्यप्रदेश की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। एक मान्यता के अनुसार भोपाल का प्राचीन नाम भूपाल एक दूसरा मत यह है कि इस शहर का नाम एक अन्य राजा भूपाल शाह के नाम पर पड़ा। लेकिन सही मायने में भोपाल की स्थापना परमार राजा भोज ने 1000-1055 ईस्वी में की थी। भोपाल का पूर्व नाम भोजपाल था।
4. नई दिल्ली – एडविन लुटियंस
भारत की राजधानी और सबसे बड़ा शहर नई दिल्ली यमुना नदी के किनारे बसे एक प्राचीन शहर है। महाभारत काल मे इसे इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता थ। प्रमुख ब्रिटिश वास्तुकार एडविन लुट्यंस और हर्बर्ट बेकर ने बनाने के पूर्व इनकी रुपरेखा तैयार की 1911 मे दिल्ली दरबार इनका आयोजन हुआ और 13 फरवरी 1931 को भारत के लार्ड इरविन ने दिल्ली का उद्दघाटन देश की राजधानी के रूप मे किया।
वास्तव में निर्माण कार्य प्रथम विश्व युद्ध के बाद शुरू हुआ और 1931 में पूर्ण हुआ। शहर का नाम बदलकर लुटियंस दिल्ली कर दिया गया, जिसका उद्घाटन 10 फरवरी 1931 को, तत्कालीन भारत के महाराज्यपाल, लॉर्ड इर्विन द्वारा किया गया। एड्विन लुटियंस ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद को आधारभूत मानकर शहर के केंद्रीय प्रशासनिक क्षेत्रों का निर्माण किया था।
5. आगरा – सिकंदर लोदी
दुनिया के अजूबो में सुमार ताज का शहर आगरा यमुना नदी के किनारे स्थित एक प्राचीन शहर है। दिल्ली सल्तनत के उदय से पहले आगरा का इतिहास स्पष्ट नहीं है। दिल्ली के मुसलिम शासक सुल्तान सिकंदर लोदी ने 1504 ई० मे आगरा की स्थापना की। यह एक महाभारत काल के समय प्राचीन शहर भी था। जिसे फिर से स्थापना की गई। आगरा 1526 से 1658 तक मुग़ल साम्राज्य की राजधानी भी रहा।
आगरा के दो इतिहास हैं, पहला यमुना नदी के बाएं तट पर पूर्वी दिशा की ओर स्थित भगवान श्री कृष्ण और महाभारत की किंवदंतियों में वर्णित प्राचीन नगर का, जिसे सिकंदर लोदी द्वारा 1504 – 1505 में पुनः स्थापित किया गया था और दूसरा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित आधुनिक नगर का, जो 1558 में मुगल सम्राट अकबर द्वारा स्थापित किया गया था और जिसे आज विश्व भर में ताज – नगरी के रूप में जाना जाता है।
6. इंदौर – अहिल्या बाई
इंदौर को पहले इंद्रपुर के नाम से जाना जाता था। जब पेशवा बाजीराव-1 द्वारा, मराठा शासन के तहत, इसे मराठा सूबेदार मल्हार राव होलकर को दिया गया था तब से इसका नाम इन्दूर पड़ा। ब्रिटिश राज के दौरान यह नाम अपने वर्तमान रूप इंदौर में बदल गया था। इंदौर को उज्जैन से ओंकारेश्वर की ओर जाने वाले नर्मदा नदी घाटी मार्ग पर एक व्यापार बाजार के रूप में स्थापित किया गया था। मल्हारराव की पुत्रवधु अहिल्या बाई ने इस शहर की आधुनिकीकरण किया।
7. तुगलकाबाद – मोहम्मद तुगलक
मोहम्मद गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली मे तुगलक वंश का शासक चला करा कर 1320 मे दिल्ली के सिहासन पर बैठा इसे तुगलकाबाद का संस्थापक भी मना जाता हैं जो की दिल्ली के सात शहरो मे से एक है। तुगलकाबाद दिल्ली रेलवे स्टेशन से 25 किलोमीटर दूर दिल्ली मे स्थित है।
8. जयपुर – सवाई राजा जयसिंह
जयपुर भारत के राज्य राजस्थान की राजधानी है। जयपुर को पिंक सिटी या गुलाबी नगरी भी कहते है। यूनेस्को द्वारा जुलाई 2019 में जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा दिया गया है। सत्रहवीं शताब्दी में महाराजा सवाई जयसिंह को तब मीलों के दायरे में फ़ैली अपनी रियासत संभालने और सुचारु राजकाज संचालन के लिये आमेर छोटा लगने लगा और इस तरह से इस नई राजधानी के रूप में जयपुर की कल्पना की गई। इसलिए इसे भारत के प्रमुख शहरों में शुमार जयपुर की संस्थापक कहा जाता है।
इतिहास की पुस्तकों में जयपुर के इतिहास के अनुसार यह देश का पहला पूरी योजना से बनाया गया शहर था और स्थापना के समय राजा जयसिंह ने अपनी राजधानी आमेर में बढ़ती आबादी और पानी की समस्या को ध्यान में रखकर ही इसका विकास किया था। नगर के निर्माण का काम 1727 में शुरू हुआ और प्रमुख स्थानों के बनने में करीब चार साल लगे। यह शहर नौ खंडों में विभाजित किया गया था, जिसमें दो खंडों में राजकीय इमारतें और राजमहलों को बसाया गया था।
9. लखनऊ – आसफुद्दोला
लखनऊ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी है। लखनऊ प्राचीन कोसल राज्य का हिस्सा था । यह भगवान राम की विरासत थी जिसे उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण को समर्पित कर दिया था। प्राचीन हिन्दू साहित्य के अनुसार यहां भगवान राम के सौतेले भाई लक्ष्मण का जन्म हुआ था जो लाखनपुर से बदलते बदलते लखनऊ हो गया। लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना नवाब आसफ़ुद्दौला ने 1775 ई. में की थी। इसलिए इसे भारत के प्रमुख शहरों में शामिल लखनऊ के संस्थापक मन जाता है। अवध के शासकों ने लखनऊ को अपनी राजधानी बनाकर इसे समृद्ध किया। इसलिए इसे नवाबो का शहर भी कहा जाता है।
10. प्रयागराज – अकबर
प्रयागराज भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। मध्यकालीन के इतिहास मे सम्राट अकबर ने लगभग 1574 से 1575 के करीब यहाँ पर किले की नींव डाली तथा प्रयाग यात्रा और एक शाही शहर वर्तमान नगर की स्थापना की। इसलिए प्रमुख तीर्थ शहरों में से एक प्रयागराज का संस्थापक माना जाता है। सन् 1500 की शताब्दी में मुस्लिम राजा द्वारा इस शहर का नाम प्रयागराज से बदलकर इलाहाबाद किया था जिसे सन् अक्टूबर 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वापस बदलकर प्रयागराज कर दिया। हिन्दू मान्यता अनुसार, इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहाँ वेणीमाधव रूप में विराजमान हैं।
11. झांसी – वीर सिंह जूदेव
झाँसी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य स्थिति झाँसी की रानी की 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका के कारण प्रसिद्ध है।
रानी लक्ष्मीबाई की भूमि झांसी को 1608 ई० मे वीर सिह जुदेव ने बलवंत नगर नामक गांव के निकट एक पहाड़ पर विशाल किले का निर्माण कर झांसी नगर बसाया तब वीर सिंह जुदेव बुंदेला ओरछा अपने इस नगर को देखें तो उनको धुंधला (झांइसी) दिखाई तब से जुदेव ने इस नगर का नाम झांइसी रखा जिसे अभी झांसी कहते है।
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12. अजमेर- अजय राज
अजमेर राजस्थान प्रान्त के मध्य में स्थित एक महानगर व एतिहासिक शहर है। अजमेर अरावली पर्वत श्रेणी की तारागढ़ पहाड़ी की ढाल पर स्थित है। यह नगर सातवीं शताब्दी में अजयराज सिंह नामक एक चौहान ( रावत ) राजा द्वारा बसाया गया था। इस नगर का मूल नाम अजयमेरु था। चौहानवन्श के राजा अजयराज जो 12वी शताब्दी के एक महत्त्वपूर्ण शासक था। चौहान राजा अजयराज ने अपनी राज्य की रक्षा के लिए 1113 ई. में अजमेर नगर की स्थापना की थी।
13. उदयपुर- राणा उदय सिंह
पूर्व के वेनिस लेक सिटी के नाम से मशहूर उदयपुर राजस्थान का एक नगर एवं पर्यटन स्थल है जो अपने इतिहास, संस्कृति और अपने आकर्षक स्थलों के लिये प्रसिद्ध है। उदयपुर की स्थापना 1559 में महाराणा उदयसिंह ने की। किन्तु तिथि को लेकर इतिहासकारों के अलग – अलम मत हैं कुछ इतिहासकार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार उदयपुर की स्थापना आखातीज के दिन मानते हैं तो कुछ का कहना है कि उदयपुर की स्थापना पंद्रह अप्रैल 1553 में ही हो गई थी।
जिसके प्रमाण उदयपुर के मोतीमहल में मिलते हैं। जिसे उदयपुर का पहला महल माना जाता है जो अब खंडहर में तब्दील हो चुका है, जिसकी सुरक्षा मोतीमगरी ट्रस्ट कर रहा है। उदय सिंह ने अरावली के घने जंगल मे नदी को रोक कर उदयसागर सरोवर का निर्माण किया तथा वहीं तट उन्होंने अपनी नई राजधानी उदयपुर का को बसाया।
14. भरतपुर – राजा सूरजमल
भरतपुर की रियासत जिनमें सिनसिनवार यदुवंशी वंश के जाट शासकों के हाथ में शासन था। सूरजमल के पिता बदन सिंह ने सबसे पहले राजधानी बनाया फिर उसके पुत्र सूरजमल ने भरतपुर शहर की स्थापना की। सूरजमल भरतपुर राज्य के दूरदर्शी जाट महाराज थे
15.कुंभलगढ़ – राजा कुंभा
महाराजा कुम्भा मेवाड़ के सन् 1433 से 1468 तक शासन किये इनके गुरु का नाम जैनाचार्य हीरानन्द थे यह एक सर्वश्रेष्ठ शासक थे। 35 वर्ष की आयु मे इन्होने चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, अचलगढ इनके द्वारा बत्तीस दुर्गौ मे बनवाये गए।
16.पटना – उदयिन
पटना भारत के राज्य बिहार के राजधानी और एक ऐतिहासिक नगर है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र, पुष्पपुरी और कुसुमपुर था। लोककथाओं के अनुसार, राजा पत्रक को पटना का जनक कहा जाता है। उसने अपनी रानी पाटलि के लिये जादू से इस नगर का निर्माण किया। इसी कारण नगर का नाम पाटलिग्राम पड़ा। पुरातात्विक अनुसंधानो के अनुसार पटना का लिखित इतिहास 490 ईसा पूर्व से होता है जब हर्यक वंश के महान शासक महाराजा अजातशत्रु के उत्तराधिकारी उदयिन ने पाटिलपुत्र की स्थापना की और अपनी राजधानी को स्थांतरित कर राजगृह से पाटलिपुत्र मे किया जो गंगा और सोन नदियो के संगम पर स्थित थी। फिर चन्द्रगुप्त मौर्य ने यहाँ अपना राजधानी सम्राज्य स्थापित किया।
17.मुंगेर – चंद्रगुप्त मौर्य
चन्द्रगुप्त मौर्य ने मुंगेर की स्थापना की और इसकी राजधानी चांपा नगर थी। लेकिन प्राचीन काल मे मुंगेर किला का निर्माण मगद के सम्राट जरासंध ने करवाया था इसका वर्णन महाभारत मे भी मिलता है। इसके बाद इस किले पर बहुत से शासक ने अपना प्रभुत्व स्थापित किया था।
18. नालंदा- राजा धर्मपाल
19.देहरादून – राजा जौनसार
दून घाटी में बसा देहरादून नगर पर्यटन, शिक्षा, स्थापत्य, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। देहरादून भारत के राज्य उत्तराखंड की अंतरिम राजधानी हैं। देहरादून की स्थापना लगभग 1699 में हुई थी। कहा जाता हैं कि सिक्खों के गुरु रामराय किरतपुर पंजाब से आकर यहाँ बस गए थे। मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब ने उन्हें कुछ ग्राम टिहरी नरेश से दान में दिलवा दिए थे और इस नगर की स्थापना हुई। इसके अतिरिक्त एक अत्यन्त प्राचीन किंवदन्ती के अनुसार देहरादून का नाम पहले द्रोणनगर था।
20. द्वारका – शंकराचार्य
द्वारका भारत के गुजरात राज्य के देवभूमि के द्वारका ज़िले में स्थित एक प्राचीन नगर है। द्वारका गोमती नदी और अरब सागर के किनारे ओखामंडल प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर बसा हुआ है। यह हिन्दुओं के चारधाम में से एक है और सबसे पवित्र प्राचीन नगर में से भी एक है। यह भगवान श्रीकृष्ण के प्राचीन राज्य द्वारका का स्थल है। हिन्दू धर्मग्रन्थों के अनुसार, भगवान कृष्ण ने इसे बसाया था। यह श्रीकृष्ण की कर्मभूमि है। द्वारका एक अति – महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थस्थल हैं। यह हिन्दुओं के साथ सर्वाधिक पवित्र तीर्थों में से एक तथा चार धामों में से एक है। यंहा स्थित शारदा – मठ को आदि गुरू शंकराचार्य ने बनवाया था और वर्तमान द्वारिका को स्वरूप दिया था।
21. जम्मू – राजा जम्मू लोचन
जम्मू भारत के जम्मू और कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश में स्थित एक शहर है। यह जम्मू क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर है और साथ ही जम्मू और कश्मीर की शीतकालीन राजधानी भी है जो तवी नदी के तट पर बसा है। इसे मन्दिरों का शहर भी कहा जाता है। राय जम्बुलोचन राजा बाहुलोचन का छोटा भाई था। बाहुलोचन ने तवी नदी के तट पर बाहु कला बनवाया था और जम्बुलोचन ने जम्बुपुरा नगर बसवाया था। नगर के नाम का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है।
22. पुणे – शाहजी भोंसले
पुणे भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित एक महत्त्वपूर्ण और भारत का छठवां सबसे बड़ा शहर व महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह शहर महाराष्ट्र के पश्चिम भाग, मुला व मुठा इन दो नदियों के किनारे बसा है।आठवी शताब्दी मे पुणे को पुन्नक नाम से जाना जाता था। शहर का सबसे पुराना वर्णन ई.स. 758 का है, जब उस काल के राष्ट्रकूट राज में इसका उल्लेख मिलता है। 17 वीं शताब्दी में शहाजीराजे भोसले को निजामशाहा ने पुणे की जमींदारी दी थी। 1749 ई. मे सातारा को छत्रपति की सिहासन और पुणे को मराठा सम्राज्य की राजधानी बना दी गई। तभी से वर्तमान पुणे की स्थापना मानी जाती है।
23. हैदराबाद – कुली कुतुब शाह
हैदराबाद भारत के राज्य तेलंगाना कि राजधानी है। दक्कन के पठार पर मूसी नदी के किनारे स्थित हैदराबाद भारत का चौथा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है और भारत में छठा सबसे अधिक आबादी वाला शहरी समूह है। गोलकोंडा के कुतुब शाही वंश के पांचवी सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह जिन्होंने हैदराबाद की शहर पर नीव चार मीनार का निर्माण करवाया और 1591 मे इन्होंने मुसी नदी के पूर्वी तट पर हैदराबाद नामक शहर की स्थापना की कुतुब शाही राजवंश की स्थापना कुली कुतुब मुल्क ने की और सुल्तान की गद्दि मे बैठा।
24. अमृतसर – गुरु रामदास
अमृतसर भारत के राज्य का एक शहर है अमृतसर पंजाब का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र शहर माना जाता है। सिक्खों का सबसे बड़ा गुरूद्वारा स्वर्ण मंदिर अमृतसर में ही है। ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा पर्यटक अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को ही देखने आते हैं। अमृतसर लगभग साढ़े चार सौ वर्ष से अस्तित्व में है। सबसे पहले गुरू रामदास ने 1577 में 500 बीघा में गुरूद्वारे की नींव रखी थी। यह गुरूद्वारा गुरू रामदास का डेरा हुआ करता था। यह अपनी संस्कृति और लड़ाइयों के लिए बहुत प्रसिद्ध रहा है। अमृतसर को पहले रामदास के नाम से ही जाना जाता था। अमृतसर एक धार्मिक इतिहासिक और एक प्रसिद्ध स्थल शहर है।