नसीब क्या है? क्या वाकई नसीब के भरोसे कामयाब हो सकते है?

नसीब क्या है | क्या वाकई नसीब के भरोसे कामयाब हो सकते है?

इस दुनिया में बहुत सारे लोग हैं ,जो जीतने की चाह तो रखते हैं या कहूँ कि सफल होना तो चाहते हैं। लेकिन सफल होने के लिए कड़ी मेहनत नहीं करना चाहते है, और अपने नशीब के आगे हाथ फैलाये बैठे रहते है और सोचते हैं कि हमारा नसीब तो हमें कामयाब जरूर करेगा। तो चलिए समझने का प्रयास करते है कि आखिर ये नसीब है क्या, क्या वाकई नसीब के भरोसे कामयाब हो सकते है।

जीवन में मेहनत करना बहुत जरूरी होता है। हम जनते है, कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है, अगर हम मेहनत नहीं करेंगे और अपने नशीब के आगे हाथ फैलाये बैठे रहेंगे है। तो एक दिन हमारा आस्तित्व खत्म हो जाएगा। लोग हमसे बात करना नहीं चाहेंगे, इसलिए अपने जीवन में सफलता पाने के लिए मेहनत बहुत जरूरी होता है। मेहनती व्यक्ति हमेंशा सफलता की ओर अग्रसर रहता है।

नसीब क्या है? क्या वाकई नसीब के भरोसे कामयाब हो सकते है?

क्या सच में किस्मत होती है?

किस्मत एक अदृश्य शक्ति है, जो हमारे सम्पूर्ण जीवन को प्रयत्क्ष- अप्रत्यक्ष दोनों रूपों में प्रभावित करती है, जीवन की दशा और दिशा सब कुछ किस्मत के हाथ मे ही होता है। अच्छे लोगों के साथ बुरा उनके कर्मों की वजह से होता है। उन्होंने पिछले जन्म में जो कर्म किए उसी का उन्हें इस जन्म में फल मिलता है।

नसीब क्या है?

नसीब एक अरबी शब्द है जिसका इस्तेमाल इंडोनेशियाई, मलय, फारसी, तुर्की, पश्तो, सिंधी, सोमाली, उर्दू, हिंदी, गुजराती, बंगाली और पंजाबी सहित कई भाषाओं में किया जाता है। नसीब एक ऐसी घटना और विश्वास है जो असंभव घटनाओं के अनुभव को परिभाषित करता है, विशेष रूप से अनुचित रूप से सकारात्मक या नकारात्मक।

तकदीर या नसीब को कई अलग-अलग तरीकों से समझा जा सकता है। नसीब से तात्पर्य उस व्यक्ति से है जो उस व्यक्ति के नियंत्रण से परे होता है। इस दृष्टिकोण में ऐसी घटनाएं शामिल हैं जो संयोग से घटित होती हैं। संवैधानिक नसीब ऐसे कारकों के साथ जिन्हें बदला नहीं जा सकता। उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति का जन्म स्थान, लेकिन जहां कोई अनिश्चितता शामिल नहीं है, या जहां अनिश्चितता अप्रासंगिक है।

नसीब के भरोसे क्यों न बैठे :

यह विश्वास कि जो कुछ हुआ, हो रहा है और इच्छा और भगवान के आदेश के अनुसार होता है, तकदीर कहलाता है। यह अक्सर सौभाग्य प्रदान करने वाला माना जाता है। तकदीर का मतलब महान नसीब, भाग्य, किस्मत होता है। नसीब के आगे हार न मानने वाले, नसीब से नहीं अपनी मेहनत से इतिहास रचने वालो के बारे में बहुत से उदाहरण हैं, जिन्होंने नसीब के आगे अपने गुटने नहीं टेक, और अपनी इस हार को नए अवसर में बदलने के लिए अपने आप को पूरी तरह से साहित्य साधना को समर्पित कर दिया।

ऐसे महापुरुषों की संख्या बहुत अधिक है, जो अपने जीवन में किसी न किसी मोड़ पर असफल हुए हैं, लेकिन नसीब से नहीं अपनी मेहनत से अलग – अलग क्षेत्रों में बड़ी सफलता हासिल की। इन सभी लोगों में एक बात समान थी, कि उन्होंने अपनी पिछली विफलताओं से सीखने की कोशिश की और आगे बढ़े। मेहनत के बल पर बहुत से लोगो ने अपने देश को उन्नति और विकास के शिखर पर पहुँचा दिया है। सोंचिये अगर वे नसीब के भरोसे बैठे रहते तो क्या आज इस मुकाम तक पहुँच पाते?

हम जानते है, कि असफलता ही इंसान को सफलता का मार्ग दिखाती है। किसी महापुरुष ने बात कही है कि, जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी जीत नहीं सकते। लेकिन अगर आप इस वजह से प्रयास करना छोड़ दें तो कभी सफल नहीं हो सकते, और अपने नशीब के आगे हाथ फैलाये बैठे रहेंगे है। तो सच में सफल नहीं हो सकता कभी भी।

अपना नसीब खुद बनाये :

असफलता से हार नही मानना चाहिए खुद नसीब बनाना चाहिए। क्योंकि प्रत्येक असफलता में एक अवसर छुपा होता है। असफलता, सफलता की दिशा में उठाया गया पहला कदम होता है, इंसान अपने नसीब, किस्मत से लड़कर सफलता हासिल कर सकता है। और अपनी तकदीर बदल सकता है। प्रत्येक असफलता के साथ एक ऐसी शक्ति उत्पन्न होती है जो हमें सफलता की ओर अधिक तेजी से धकेलने लगती है। इसलिए असफलता को एक अवसर की तरह लें और दोगुनी ऊर्जा से फिर से प्रयास करना चाहिए। मेहनत ही सफलता की ओर जाने वाली सड़क होती है।

वक्त से लड़कर जो नसीब बदल दे, इंसान वही जो अपनी तकदीर बदल दे, कल क्या होगा कभी ना सोचे, क्या पता कल वक्त खुद अपनी तस्वीर ही बदल दे। इंसान चाहे तो क्या कुछ हासिल नहीं कर सकता है लेकिन कुछ इंसान अपने नसीब के सहारे होते हैं। यह लेख हमें यह सीख दे रही है की इंसान के अंदर अगर आत्मविश्वास हो तो वो दुनिया की अपने कोई भी जंग जीत सकता है। याद है न कि असफलता हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।

वह इंसान अपने नसीब, किस्मत से लड़कर सफलता हासिल कर सकता है, और अपनी तकदीर बदल सकता है। आत्मविश्वास सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक होती है। उसे कल क्या होगा इसे सोचना नही चाहिए उड़ान तेजी से उड़नी चाहिए। कभी कभी इंसान अपनी मंजिल भूल जाते है। इंसान को अपनी मंजिल दोहराते रहना चाहिए, जिससे हमेशा प्रेरणा मिलती है। इस प्रकार से ही इंसान अपनी तकदीर बदलने में सफलता हासिल करते हैं।

आज दुनिया बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है, अगर हम इसके साथ नहीं चलेंगे तो निश्चित ही पीछे हो जायेंगे। सही समय पर सही काम करने से ही सफलता मिलती हैं। आत्मविश्वासी लोग ही अपनी नसीब से लड़ते है। और अपनी नसीब के आगे झुकते नही,और निरंतर प्रयास से ही सफलता से हासिल करते है।

ये लकीरें ये नसीब ये किस्मत,सब फ़रेब के आईनें हैं, हाथों में तेरा हाथ होने से ही, मुकम्मल ज़िंदगी के मायने हैं। वक्त से लड़कर जो नसीब बदल दे, इंसान वही जो अपनी तकदीर बदल दे, कल क्या होगा कभी ना सोचे, क्या पता कल वक्त खुद अपनी तस्वीर ही बदल दे।

नसीब से जुड़े कुछ और जरूरी बातें

नसीब क्या होता है?

हमारे साथ जो भी अच्छा या बुरा घटित होता है। प्रायः हम उसे प्रारब्ध या नसीब कहते हैं। कई बार हम देखते हैं कि कोई बहुत दान-धर्म करता है, भगवान को पूजता है, फिर भी उसे कई दुःख भोगने पड़ते हैं और इसके विपरीत कुछ लोग ऐसा कुछ न करके भी खुशी से रहते हैं।

नसीब कैसे बनता है?

नसीब इंसान के कर्मों से ही बनता है। अच्छे – बुरे कर्म करता है। उसे उसका फल मिलता ही मिलता है। उसका नसीब बनता है।

मनुष्य का भाग्य कब बदलता है?

मानव जिस काल में जन्म लेता है वही काल उसके भाग्य का निर्धारक होता है। जन्म जन्मांतर में किये गये कर्म प्रारब्ध के रूप में हमें फल प्रदान करते हैं।

भाग्य कैसे बदलता है?

सकारात्मक सोच रखना भी बहुत जरूरी होता है। अक्सर हमारे दिमाग में नकारात्मक चीजें घूमती रहती है और इसके उसका परिणाम हमारी किस्मत पर भी पड़ता है। हम जितना नकारात्मक सोचते हैं, हमारे साथ इतना गलत होता है। ऐसे में हमेशा सकारात्मक सोच रखें और हर चीज को अच्छे नजरिए से देखें।

क्या मनुष्य भाग्य बदल सकता है?

सरल शब्दों में, आपका भाग्य आपके कर्म से तय होता है। प्रत्येक मनुष्य में अपने कर्म को बदलकर अपना भाग्य बदलने की शक्ति होती है। केवल हम ही वह भविष्य बना सकते हैं जो हम चाहते हैं। किसी के पास अपने कर्म को नियंत्रित करने की शक्ति नहीं है, लेकिन कर्म को बदलने की पूरी शक्ति है।

क्या भाग्य में जो लिखा होता है वही होता है?

अक्सर हमने लोगों को कहते सुना है कि जो भाग्य में लिखा होता है वही होता है। हमारे जीवन में जो भी घटना घटित होती है, वो हमारे कर्म की वजह से होती है, हम जो कर्म करते हैं, उसी का फल हमें मिलता है.

किस्मत और नसीब में क्या फर्क है?

नसीब और किस्मत में कोई फर्क नहीं है। दोनों शब्दों के एक ही अर्थ है परंतु इन दोनों शब्दों के प्रयोग का दृष्टिकोण थोड़ा अलग-अलग हो जाता है। जैसे जो नसीब में लिखा होता है वही होता है। मनुष्य चाहे तो अपनी बुद्धि और कठिन परिश्रम के द्वारा अपनी किस्मत बदल सकता है।

भाग्य और किस्मत में क्या अंतर है?

भाग्य और किस्मत में कोई अंतर नहीं है। दोनों एक ही चीज है मात्र भाषा का अंतर है। भाग्यम् फलति न विद्या न च पुरुषार्थः अर्थात भाग्य ही फलप्रद होता है।

इंसान का भाग्य कैसे बदलता है?

ईश्वर के बाद ईश्वर की प्रकृति महत्वपूर्ण है। जिस प्रकार प्रकृति ने रोग, शोक या अन्य घटना, दुर्घटना को प्रदान किया उसी प्रकार उसने उक्त सभी से बचने के उपाय भी दिए हैं। प्रकृति में ही है वह उपाय जिससे आप अपनी सकारात्मक ऊर्जा का विकास कर अपने भाग्य को जागृत कर सकते हैं। भाग्य में समय और स्थान का भी बहुत महत्व होता है।

हमारी किस्मत कौन लिखता है?

भगवान हमारे कार्यों और निर्णयों को नियंत्रित करता है। वह हमारी किस्मत लिखता है। वह किसी विशिष्ट मूर्ति या रूप में नहीं है। ईश्वर विश्वास के रूप में एक अदृश्य शक्ति है।

क्या भगवान भाग्य लिखता है?

क्या आपका भाग्य भगवान ने लिखा है, अगर आप ऐसा मानते हैं तो ये गलत हो सकता है। क्योंकि वो सिर्फ आप ही हैं जो अपना भाग्य रच सकते हैं। आज के समय में सिर्फ सफलता सिर्फ मेहनत से नहीं मिलती बल्कि खुद में बदलाव करने से मिलती है अगर आपको अपनी विफलता को दूर करना है तो कुछ चतुराई दिखानी होगी।

किस्मत कौन बनाता है?

मेरे अनुसार किस्मत हमारे द्वारा पूर्व समय में किये गये अच्छे और बुरे कर्मों का परिणाम है जिस प्रकार जूसर में हम जो भी फल डालते हैं तो उसीका जूस हमें मिलता है प्राप्त जूस फल की क्वॉलिटी पर भी निर्भर करता है ठीक उसी तरह हम जैसे कर्म और प्रयास करते हैं उसीका परिणाम हमें किस्मत के रूप में मिलता है।

क्या शादी किस्मत पर निर्भर करती है?

कहने को तो विवाह विश्वास की छलांग है, भाग्य की बात है, लेकिन जैसा कि टेनेसी विलियम्स ने कहा, भाग्य विश्वास कर रहा है कि आप भाग्यशाली हैं। तो विश्वास रखें, आशावादी बनें, प्रतिज्ञान के उन बीजों को अपने अवचेतन में रोपें और इसका लाभ उठाएं।

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