राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री | भारत के राज्यो के पहले मुख्यमंत्री
भारत में एक मुख्यमंत्री राज्यों में से राज्य सरकार का निर्वाचित प्रमुख होता है। भारत के संविधान के अनुसार, राज्यपाल एक राज्य का मुखिया होता है, लेकिन वास्तविक कार्यकारी अधिकार मुख्यमंत्री के पास होता है। इसी कड़ी में आइये जानते है भारत के विभिन्न राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री कौन कौन है? कौन कौन भारत के राज्यो के पहले मुख्यमंत्री बने?
भारत के विभिन्न राज्यों के प्रथम मुख्यमंत्रियों की सूची विस्तृत जानकारी के साथ
- जिलों का गठन राज्यो में कैसे हुआ? कौनसे राज्य में कितने जिले है?
- भारत के राज्य की स्थापना कब हुई? भारत मे राज्यो की स्थापना कैसे हुई?
जम्मू एवं कश्मीर – गुलाम मोहम्मद सद्दीक
भारत मे जम्मू कश्मीर के विलय के बाद भारत के जम्मू कश्मीर राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में गुलाम मोहम्मद सद्दीक ने राज्यभार संभाला, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर टंकीपुरा से विधानसभा की सीट से जीतकर सद्दीक 29 फरवरी 1964–30 मार्च 1965 तक 1 वर्ष, 29 दिन तक जम्मू कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री बने रहे।
हरियाणा – भगवत दयाल शर्मा
पंजाब से जब हरियाणा भारत के एक अलग राज्य के रूप में गठन हुआ तब भगवत दयाल शर्मा हरियाणा राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला। हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में 1966-67 तक सेवा देने के बाद मध्य प्रदेश और उड़ीसा के राज्यपाल भी रहे थे। इन्होने स्वतंत्रता आंदोलन में भी योगदान दिया था। अपने कार्यकर्ताओं के बीच भगवत दयाल शर्मा पण्डितजी के नाम से प्रसिद्ध थे।
हिमाचल प्रदेश – यशवंत सिंह परमार
डॉ. यशवंत सिंह परमार भारत के राजनेता एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। जब हिमाचल प्रदेश भारत के राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। तब डॉ. परमार हिमाचल प्रदेश राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बने। 1952 से 1956 तक ये हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत रहे। उनका हिमाचल प्रदेश को अस्तित्व में लाने और विकास की आधारशिला रखने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
पंजाब – डॉ. गोपीचन्द भार्गव
भारत जब आजाद हुआ तब अलग अलग राज्यो का भी गठन हुआ और गोपी चंद भार्गव 15 अगस्त 1947 से 13 अप्रैल 1949 तक पंजाब राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बने। उसके बाद फिर 18 अक्टूबर 1949 से 20 जून 1951 के बीच और तीसरी बार कार्यवाहक के रूप में मुख्यमंत्री रहे और 21 जून 1964 और 6 जुलाई 1964 के बीच मुख्यमंत्री रहे।
दिल्ली – चौधरी ब्रह्म प्रकाश
चौधरी ब्रह्म प्रकाश भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और केंद्र शासित राज्य दिल्ली के प्रथम मुख्यमंत्री थे। वे लोकसभा के सदस्य भी रहे। शेर-ए-दिल्ली एवं मुगले आज़म के नाम से मशहूर चौधरी ब्रह्म प्रकश 1952 से 1955 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे। वह केवल 33 साल की उम्र में दिल्ली के मुख्यमंत्री बने और उस समय के सबसे युवा मुख्यमंत्री थे। उन्हें भारत के प्रथम निर्दलीय मुख्यमंत्री बनने का भी गौरव प्राप्त है।
उत्तराखण्ड – नित्यानन्द स्वामी
नित्यानन्द स्वामी भारत के उत्तराखण्ड राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे। उनके शासनकाल में उत्तराखण्ड का नाम उत्तरांचल था। वे राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे और उनका शासनकाल 9 नवम्बर 2000 से लेकर 29 अक्टूबर, 2001 तक रहा। नित्यानन्द पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गए और बाद में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। फिर भाजपा से ही मुख्यमंत्री बने।
राजस्थान – हीरालाल शास्त्री
पण्डित हीरालाल शास्त्री भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी तथा राजनेता तथा वनस्थली विद्यापीठ के संस्थापक के साथ साथ वे 30 मार्च 1948 से 5 जनवरी 1951 तक राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री रहे।
हीरालाल शास्त्री राजस्थान राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे। 26 जनवरी 1950 तक इनका पदनाम प्रधानमंत्री था, फिर संविधान लागु होने पर इनका पदनाम मुख्यमंत्री हो गया।
उत्तर प्रदेश – गोविन्द वल्लभ पन्त
पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त भारत के प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और वरिष्ठ भारतीय राजनेता थे। वे उत्तर प्रदेश राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री और भारत के चौथे गृहमंत्री थे। 17 जुलाई 1937 से लेकर 2 नवम्बर 1939 तक वे ब्रिटिश भारत में संयुक्त प्रान्त अथवा यू. पी. के पहले मुख्य मन्त्री बने। इसके बाद दोबारा 1 अप्रैल 1946 से 15 अगस्त 1947 तक संयुक्त प्रान्त (यू. पी.) के मुख्य मन्त्री रहे।
फिर जब भारतवर्ष का अपना संविधान बन गया और संयुक्त प्रान्त का नाम बदल कर उत्तर प्रदेश रखा गया तो फिर से तीसरी बार उन्हें ही इस पद के लिये सर्व सम्मति से मुख्यमंत्री बनाया गया। इस प्रकार स्वतन्त्र भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के भी वे 26 जनवरी 1950 से लेकर 27 दिसम्बर 1954 तक उत्तरप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री रहे। 1957 में उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया।
बिहार – श्री कृष्ण सिन्हा
आधुनिक बिहार के वास्तुकारों में से एक श्री कृष्ण सिन्हा जिन्हें श्री बाबू के नाम से भी जाना जाता है, वे बिहार राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे। द्वितीय विश्व युद्ध की अवधि को छोड़कर, सिन्हा 1937 में पहली कांग्रेस मंत्रालय के समय से 1961 में अपनी मृत्यु तक बिहार के मुख्यमंत्री थे। जमींदारी प्रथा को समाप्त करने वाले वे देश के पहले मुख्यमंत्री थे। जब वह जनसमुदाय को संबोधित करते थे तो उन्हें उनकी शेर जैसी दहाड़ के लिए बिहार केसरी के नाम से जाना जाता था।
झारखण्ड – बाबूलाल मराण्डी
बाबूलाल मराण्डी झारखण्ड राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे। 2000 में बिहार से अलग होकर झारखण्ड राज्य बनने के बाद एनडीए के नेतृत्व में बाबूलाल मराण्डी ने राज्य की पहली सरकार बनाई। इन्होंने 2006 में भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर झारखण्ड विकास मोर्चा की स्थापना की। ये कोडरमा से लोकसभा सांसद थे।
पश्चिम बंगाल – प्रफुल्ल चन्द्र घोष
प्रफुल्ल चंद्र घोष भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे। वे पश्चिम बंगाल के दो बार मुख्यमंत्री रहे, पहली बार 15 अगस्त 1947 से 14 अगस्त 1948 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सरकार में, फिर 2 नवंबर 1967 से 20 फरवरी 1968 तक प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन सरकार में। ये भारतीय मूल के पहले एएसए मास्टर, ब्रिटिश भारत में थे। प्रफुल्ल चंद्र घोष भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में भी शामिल रहे।
ओडिशा – हरेकृष्णा महताब
हरेकृष्ण महताब भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख सेनानी, संविधान सभा के सदस्य तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख राजनेताओं में से एक ओडिशा राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे। इनके साथ ही ये एक प्रमुख रचनाकार भी थे। वो 1946 से 1950 तक ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे। वह लोकप्रिय उपाधि उत्कल केसरी से जाने जाते थे।
छत्तीसगढ़ – अजीत जोगी
अजीत प्रमोद कुमार जोगी एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जब छत्तीसगढ़ 2000 में मध्यप्रदेश से अलग होकर एक नए राज्य बना तब वे छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के पदभार को संभाला। फिर बाद में वे जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के रूप में एक अलग राजनीतिक दल बनाया। अजीत जोगी एक अद्वितीय व्यक्ति थे जिन्होंने राज्य पर शासन करने के लिए अपनी भूमिका में राजनीति में प्रशासन और प्रशासन में राजनीति को जोड़ा।
मध्य प्रदेश – पं. रविशंकर शुक्ल
रविशंकर शुक्ल एक वरिष्ठ कांग्रेसी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, 15 अगस्त 1947 से 31 अक्टुबर 1956 तक सीपी और बेरार के प्रथम मुख्यमंत्री रहे और फिर 1 नवम्बर 1956 को नये राज्य मध्यप्रदेश के अस्तित्व में आने पर राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बने। अपने कार्यकाल के दौरान 31 दिसम्बर 1956 को ही इनका स्वर्गवास हो गया। रायपुर में स्थित विश्वविद्यालय का नाम भी पंडित रविशंकर शुक्ल के नाम से रखा गया है।
गुजरात – डॉ. जीवराज नारायण मेहता
जीवराज नारायण मेहता एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ थे। वे 4 सितंबर 1948 को स्वतंत्र भारत की बड़ौदा रियासत के पहले दीवान (प्रधान मंत्री) बने। फिर जब बॉम्बे राज्य का विभाजन हुआ तब, नवगठित गुजरात राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में 1960 – 1963 तक कार्य किया। इसके बाद 1963 से 1966 तक यूनाइटेड किंगडम में भारतीय उच्चायुक्त के रूप में कार्य किया। 1947 के पहले वे कुछ समय के लिए महात्मा गांधी के निजी चिकित्सक थे और बाद में स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए।
महाराष्ट्र – यशवन्त राव चव्हाण
यशवन्तराव चव्हाण बॉम्बे के विभाजन के बाद महाराष्ट्र राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बने और इसके बाद वे भारत के पाँचवें उप-प्रधानमंत्री भी रहे। वे एक मजबूत कांग्रेस नेता, स्वतंत्रता सेनानी, सहकारी नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक थे। उन्हें आम लोगों के नेता के रूप में जाना जाता था। महाराष्ट्र के विकास के लिए चौहान का स्वप्न था कि संपूर्ण राज्य के औद्योगिक तथा कृषि क्षेत्रों का समान रूप से विकास हो। उन्होंने सहकारी आंदोलन के माध्यम से इस स्वप्न को पूर्ण करने की चेष्टा की।
गोवा – दयानंद बांदोडकर
दयानन्द बान्दोडकर गोवा, दामन और दीव राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे। महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होने गोवा के अलग राज्य बनने पर 1963, 1967 और 1972 के चुनावों में भारी विजय प्राप्त की और 1973 में अपनी मृत्यु तक गोवा के मुख्यमंत्री बने रहे। उन्होंने महाराष्ट्र राज्य के साथ इस क्षेत्र का विलय करने की मांग की थी। हालांकि स्थानीय लोगों ने उनके प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। लेकिन संसद के सर्व सम्मति से गोवा एक अलग राज्य बना रहा।
आंध्र प्रदेश – नीलम संजीव रेड्डी
आन्ध्र प्रदेश के कृषक परिवार में जन्मे नीलम संजीव रेड्डी की छवि कवि, अनुभवी राजनेता एवं कुशल प्रशासक के रूप में थी। वे अक्टूबर 1956 में आन्ध्रप्रदेश राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बनें और दुसरी बार फिर 1962 से 1964 तक मुख्यमंत्री के पद पर बने रहे। 1966 के आम चुनाव में जब इंदिरा गांधी की पराजय हुई, उस समय नव गठित राजनीतिक दल जनता पार्टी ने इनको भारत के राष्ट्रपति का प्रत्याशी बनाया और वे भारत के पहले गैर काँग्रेसी राष्ट्रपति बने।
तमिलनाडु – पी.एस. कुमारस्वामी राजा
पूसापति संजीव कुमारस्वामी राजा एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने 6 अप्रैल 1949 से 26 जनवरी 1950 तक मद्रास प्रेसीडेंसी के अंतिम मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। फिर जब मद्रास प्रेसिडेंट का विभाजन हुआ तब 26 जनवरी 1950 से 10 अप्रैल 1952 तक अलग मद्रास राज्य (वर्तमान तमिलनाडु) के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में पद संभाला। उसके बाद 1954 से 1956 के बीच उड़ीसा के राज्यपाल भी रहे।
केरल – इ.एम.एस. नंबूदिरीपाद
इलमकुलम मनक्कल शंकरन नंबूदरीपाद भारत का कम्युनिस्ट नेता, लेखक, इतिहासकार और सामाजिक टीकाकार था। नमबूद्रीपद ने 1957 में केरल में पहली कम्युनिस्ट सरकार का गठन किया और वे 5 अप्रैल 1957 से 31 जुलाई 1959 तक केरल राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री रहे। वे 1957 में केरल में विश्व की पहली लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई मार्क्सवादी सरकार के मुख्यमंत्री थे। उनहोंने वाम दल में लोकतांत्रिक हौसले को जिंदा रखा और उस आंदोलन को प्रेरित किया जिससे केरल भारत का पहला पूर्ण साक्षर राज्य बन गया।
असम – गोपीनाथ बारदलोई
गोपीनाथ बोरदोलोई भारत के स्वतंत्रता सेनानी और असम राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे। वे स्वतंत्रता से पहले भी 19 सितंबर, 1938 से 17 नवंबर, 1939 तक असम के मुख्यमंत्री रहे। इनके योगदानों के कारण असम चीन और पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) से बच के भारत का हिस्सा बन पाया। उन्हें सन् 1999 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इनके नाम से बना गोपीनाथ बोरदोलोई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए प्रवेशद्वार और सबसे बड़ा हवाई अड्डा है।
मणिपुर – एम. कोइरेंग सिंह
मैरेम्बम कोइरेंग सिंह जिन्हें मोइरंग कोइरेंग के नाम से भी जाना जाता है, भारत के मणिपुर राज्य के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री थे। मैरेम्बम कोइरेंग सिंह मणिपुर के ऐसे प्रमुख व्यक्तित्व व राजनीतिज्ञ थे जो मणिपुर के पहले, दूसरे और चौथे मुख्यमंत्री रहे।
मेघालय – डब्ल्यू. ए. संगमा
विलियमसन अम्पांग संगमा एक गारो नेता, मेघालय के संस्थापक और मेघालय राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे। जब भारतीय संघ में भारत का इक्कीसवीं राज्य बना तब से संगमा मेघालय के मुख्यमंत्री के रूप में 2 अप्रैल 1970 3 मार्च 1978 तक रहे। फिर वे 1989 में वे गोजो के बीच पहली मिजोरम राज्यपाल थे। कप्तान विलियमसन ए संगमा एक राजनेता, आदिवासी नेता थे और मेघालय राज्य के निर्माण के लिए संघर्ष किये।
सिक्किम – के.एल. दोरजी खंगसरपा
काजी लेंडुप दोरजी या लेंडुप दोरजी खांगसरपा भारत के सिक्किम राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे। भारत के साथ सिक्किम के 1975 के संघ में दोरजी को एक प्रमुख व्यक्ति माना जाता था। दोरजी ने 1975 से सिक्किम के पहले मुख्यमंत्री के रूप में आधिकारिक विलय से एक साल पहले, 1979 तक सेवा की। इन्हें 2002 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
नागालैण्ड – पी. शीलू एओ
जब नागालैण्ड का गठन हुआ तो राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री नागा नेशनलिस्ट ऑर्गनाइजेशन के पी. शीलू एओ बने। वे 1 दिसंबर 1963 से 14 अगस्त 1966 तक नागालैण्ड के मुख्यमंत्री रहे। नागालैण्ड में 1963 से, अब तक आठ विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के ग्यारह व्यक्ति मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान हो चुके हैं। ये नागालैण्ड के प्रमुख राजनीतिज्ञ रहे है।
अरुणाचल प्रदेश – प्रेम खांडू थुंगन
प्रेम खांडू थुंगन एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता हैं। लेकिन विधानसभा चुनावों के बाद जनता पार्टी के नेतृत्व वाली अरुणाचल प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री बने। प्रेम खांडू थुंगन अरुणाचल प्रदेश राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बने इनका कार्यकाल 13 अगस्त 1975 से 18 सितंबर 1979 तक रहा।
मिजोरम – सी. चुंगा
सी. चुंगा पूर्वोत्तर भारत के पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम के प्रथम मुख्यमंत्री थे। उन्होंने 1972 से 1977 तक मिज़ो संघ के सदस्य के रूप में कार्य किया। सी. चुंगा मिजोरम के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में 3 मई 1972 से 10 मई 1977 तक कार्य किया। वे मिजोरम के प्रमुख राजनीतिज्ञ रहे है। चुंगा मिजोरम जिला परिषद, द यूनाइटेड मिजो पार्लियामेंट्री पार्टी, मिजो यूनियन और कांग्रेस पार्टी के गठबंधन के मुख्य कार्यकारी सदस्य थे।
तेलंगाना – कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव
कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव या केसीआर तेलंगाना राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री है, वे तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रमुख, तथा अलग तेलंगाना राष्ट्र आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ता हैं। जब तेलंगाना आंध्रप्रदेश से अलग होकर एक नया राज्य बना तब 2 जून 2014 से अबतक वे तेलंगाना के मुख्यमंत्री है। अलग तेलंगाना राज्य बनाने में इनकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। वे तेलंगाना के मेदक जिले के गजवेल विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।
पुडुचेरी – एडौर्ड गौबर्ट
एडौर्ड गौबर्ट 1 जुलाई 1963 और 11 सितंबर 1964 के बीच भारत के केंद्र शासित राज्य पांडिचेरी या पुडुचेरी के पूर्व महापौर और पहले मुख्यमंत्री थे। शुरुआत में वे एक बड़े फ्रांसीसी समर्थक नेता थे, बाद में वे विलय समर्थक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर स्थानांतरित हो गए, जो अंततः भारत में फ्रांस के कंपोजिट (व्यापारिक पदों) की संप्रभुता के लिए मौत की घंटी बन गई। एडौर्ड गौबर्ट और लैम्बर्ट सरवणे ने जुलाई 1947 में फ्रेंच इंडिया सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की थी।